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समाज सुधार के लिए सदैव तत्पर रहे पं.रामलाल शर्मा

डिजिटल डेस्क, भोपाल। शासकीय नर्मदा महाविद्यालय नर्मदापुरम् में हिंदी विभाग और भूतपूर्व छात्र समिति के संयुक्त तत्वावधान में शासकीय नर्मदा महाविद्यालय के संस्थापक पूर्व प्राचार्य स्वर्गीय पं. रामलाल शर्मा जी की पावन स्मृति में काव्य पाठ "आंगन की कविता" का आयोजन किया गया। जिसमें छात्र-छात्राओं प्राध्यापकों और शहर के जाने-माने कवियों और साहित्यकारों ने अपनी कविता पाठ किया। कार्यक्रम सरस्वती पूजन के साथ प्रारंभ हुआ। स्वागत वक्तव्य में प्राचार्य डॉ ओ. एन. चौबे ने महाविद्यालय के संरचनात्मक ढांचे का विकास और अन्य सुविधाओं, व्यवस्थाओं के सुधार के लिए सभी भूतपूर्व छात्र और शहर के गणमान्य नागरिकों से सुझाव और सहयोग आह्वान किया। साथ ही क्रीडा और अन्य पाठ्य सहगामी क्रियाओं हेतु अपने आगामी कार्यक्रम पर विचार प्रस्तुत किए।
कार्यक्रम के संयोजक और हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. कृष्णगोपाल मिश्र ने पंडित रामलाल शर्मा (कक्का जी) को समर्पित श्रद्धांजलि उद्बोधन में कहा कि उन्होंने अपना उत्तरदायित्व बोध बखूबी निभाया। उनका एक-एक पल समाज सुधार के लिए रहा। उन्होंने समय की आवश्यकता को समझा और शिक्षा के माध्यम से समाज सुधार, औपचारिक और अनौपचारिक शिक्षा को बढ़ावा दिया। उनके द्वारा स्थापित शिक्षण संस्थान स्वयं इस बात की गवाही देते हैं। पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष पं. भवानी शंकर शर्मा , पूर्व विधायक पं.गिरजाशंकर शर्मा ने भी श्रद्धांजलि स्वरूप अपने वक्तव्य प्रस्तुत किए। सत्यम् तिवारी, डॉ. रूपा भावसार, डॉ.प्रीति कौशिक, आशा ठाकुर ने अपना कविता पाठ किया।
छात्र देवांश बैरागी ने "फिर मचल उठा है कभी हृदय, कहता है मन की व्यथा लिखो" कविता सुनाते हुए कहा कि अगर आप कविता करना चाहते हैं तो प्रेम कीजिए और प्रेम करना चाहते हैं तो कविता कीजिए। भूतपूर्व छात्रों में खेमचंद यादवेश ने "रंगो जैसा हमें मिलाया होली ने" महेश मूलचंदानी ने "बाबूजी कुछ काम देना जो मर्जी हो दाम देना" संतोष व्यास ने "समय चुनौती देने आया पढ़ बेटी अपनी किस्मत अपने हाथों से गढ़ बेटी" डॉ. के. जी. मिश्र ने "पंचमढ़ी बुलाती है" पं. बाबूलाल कदम ने "खादी खाद का काम करती "कार्यक्रम की अध्यक्षीय भूमिका में सुरेश उपाध्याय ने "महाकाव्य हम बन न सके हम रहे मुक्तक, अपनी चर्चा होगी ज्यादा से ज्यादा कल तक" नित्य गोपाल कटारे ने फोन से संबंध सारे जगत से हैं" अनेक तल स्पर्शी, टूटते संबंधों और यथार्थवादी कविताएं पढ़ीं। डॉ. विनोद निगम ने "दिखते सहज सरल है लेकिन बड़े कठिन है राजाराम" हास्य कविता पढ़ते हुए आभार व्यक्त किया। डॉ. हंसा व्यास ने संचालन किया। इस अवसर पर डॉ. संजय चौधरी, डॉ. जे. पी. कमलपुरिया, डॉ अंजना यादव, विनीता अशवारे, जुगल किशोर, अमन मेहरा सहित अनेक छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।
Created On :   12 March 2022 8:25 PM IST