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‘संविधान की कसौटी पर खरा होना चाहिए कानून में संशोधन’

डिजिटल डेस्क, मुंबई । स्थानीय निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट से लगातार मिले झटकों से उबरने के लिए राज्य सरकार के मध्यप्रदेश की तर्ज पर प्रभाग (वार्ड) रचना की व्यवस्था अपने हाथ में लेने के लिए विधेयक लाने के दाव की सफलता को कानून के जानकार संदेह भरी नजरों से देख रहे हैं।
राज्य के पूर्व महाधिवक्ता श्रीहरि अणे के मुताबिक सरकार के पास कानून में संशोधन का अधिकार है। लेकिन संशोधन का संविधान की कसौटी में खरा उतरना जरूरी है। चूंकि ओबीसी आरक्षण से जुड़ा मुद्दा देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान में है इसलिए सरकार को इस बारे में संशोधन करते समय ओबीसी मामले पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निष्कर्षों को ध्यान में रखना होगा। जहां तक बात चुनाव आयोग की है तो उसका काम सिर्फ चुनाव कराना है। उसका बाकी मुद्दे जैसे कौन से वर्ग के लोग चुनाव लड़ सकते है और कौन से नहीं, इससे उसका कोई संबंध नहीं है। उन्होंने कहा कि इस मामले में राज्य सरकार को नई व्यवस्था बनाते समय ध्यान में रखना होगा कि नई व्यवस्था संविधान के खिलाफ न हो। क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने पहले आरक्षण की मर्यादा 50 प्रतिशत तय की है। ऐसे में सरकार को अपने विधेयक को संविधान की कसौटी पर उतारने की परीक्षा को पास करना पड़ेगा।
कोर्ट में मिल सकती है चुनौती
वहीं इस बारे में अधिवक्ता उदय वरुनजेकर का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के चलते राज्य सरकार विधेयक के जरिए आरक्षण की बैकडोर इंट्री की फिराक में है। संविधान ने सभी के अधिकार तय किए हैं। जिसके तहत सभी को निष्पक्ष,पारदर्शी व स्वतंत्र होकर अपने दायित्व निर्वाह करने की बात गई है। ऐसे में सरकार यदि कोई कानून लाती है तो निश्चित तौर पर उसकी वैधता को कोर्ट में चुनौती दी जाएगी। क्योंकि सरकार नई व्यवस्था लाकर सुप्रीम कोर्ट के फंदे से निकलने की कोशिश में है। लेकिन वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट के रुख के चलते राह इतना आसान नहीं दिख रही है। सबसे बड़ी चुनौती सरकार के पास नई व्यवस्था को लागू करने के समय की भी है। क्योंकि कई स्थानीय निकायों का कार्यकाल खत्म हो गया है।
सरकार के पास अधिकार
वहीं वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल साखरे का कहना है कि सरकार के पास नया कानून लाने का अधिकार है और चुनाव को आगे बढ़ाने का भी अधिकार है। इस विषय में सरकार की ओर से लिया गया निर्णय यदि संविधान की कसौटी पर परखा भी गया तो सरकार अपनी कानूनी लड़ाई लड़ सकती है।
ओबीसी आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट का आदेश यथावतः मध्य प्रदेश चुनाव आयोग
महाराष्ट्र सरकार ने मध्य प्रदेश सरकारी तर्ज पर विधेयक पेश करनेलकी बात कही है। वहीं मध्यप्रदेश राज्य चुनाव आयोग के सचिव बी एस जामोद के अनुसार ओबीसी आरक्षण को लेकर सुप्रीम की ओर से दिए गए आदेश को यथावत रखा गया है। प्रभाग रचना व आरक्षण प्रक्रिया का काम राज्य सरकार करेगी। सरकार का काम पूरा होने के बाद चुनाव आयोग तारीख की घोषणा करेगा।
Created On :   5 March 2022 8:22 PM IST