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स्वार्थ के लिए सहायता करते हैं अमेरिका, चीन समान देश

डिजिटल डेस्क, नागपुर। साधन संपन्न कहे जाने वाले देशों की आर्थिक उदारता पर सरसंघचालक डॉ.मोहन भागवत ने चुटकी लेते हुए कहा है कि स्वार्थ को सबसे आगे रखा जाने लगा है। अमेरिका, चीन समान देश केवल स्वार्थ के लिए अन्य देशों की सहायता करते हैं। संकट में सहायता को भारत की सांस्कृतिक पहचान जताते हुए सरसंघचालक ने कहा-संकट की हर स्थिति में सहायता के लिए दौड़कर जाना भारत की पहचान है। आर्थिक संकट में फंसे श्रीलंका का जिक्र करते हुए कहा-श्रीलंका में जब व्यापार की संभावनाएं थीं, तब चीन, अमेरिका, पाकिस्तान वहां पहुंच रहे थे। लेकिन श्रीलंका व मालदीव में जलसंकट हुआ तो सहायता के लिए भारत पहुंचा। भारत विश्व को अपना घर मानता है। इसी भावना से वह अन्य देशों की नि:स्वार्थ सहायता करते रहता है। गुुरुवार को भारत विकास परिषद के पश्चिम क्षेत्र सम्मेलन में सरसंघचालक बोल रहे थे। सुरेश भट सभागृह में आयोजित सम्मेलन में विकास परिषद के अध्यक्ष गजेंद्र सिंह संधु, उद्योजक सत्यनारायण नुवाल, उमराव सिंह ओस्तवाल, चंद्रशेखर घुसे, श्याम शर्मा, सुधीर पाठक उपस्थित थे।
विकास का मॉडल लादने का प्रयास
सरसंघचालक ने कहा कि पश्चिम के देशों ने विकास का मॉडल भारत पर लादने का प्रयास किया, लेकिन सही समय पर भारत वास्तविकता को समझकर संभल गया। प्रत्येक देश को अावश्यकता के अनुसार अपना विकास मॉडल तैयार करना चाहिए। सेवाभाव मन में होना चाहिए। यह नहीं भूलना चाहिए कि धर्म, अर्थ व काम जैसे पुरुषार्थ को पूरा करके समाज को कुछ देना होता है। सेवाकार्य फैशनेबल नहीं, बल्कि मन में होना चाहिए। धन पाने के लिए स्वयं को समाप्त करने के बजाय समाज हित का विचार किया जानाा चाहिए। अहंकार से कोई भी सेवा नहीं होती है।
Created On :   30 Sept 2022 3:10 PM IST