इस विदेशी रहनुमा ने HIV ग्रस्त बच्चों के नाम कर दिया जीवन

America to help HIV affected children in nagpur district maharashtra
इस विदेशी रहनुमा ने HIV ग्रस्त बच्चों के नाम कर दिया जीवन
इस विदेशी रहनुमा ने HIV ग्रस्त बच्चों के नाम कर दिया जीवन

डिजिटल डेस्क, नागपुर। HIV प्रभावित बच्चों की मदद के लिए अमेरिका का एक शख्स यहां ‘रहनुमा’ बनकर रह रहा है। उपराजधानी में विदेशी मेहमान हेरी (बदला हुआ नाम) नामक इस शख्स ने न केवल एक संस्था का गठन किया, बल्कि HIV प्रभावित बच्चों की जानकारी जुटा उनका जीवन संवारने की जिम्मेदारी भी अपने कंधों पर उठा ली। सबसे पहले मेयो और मेडिकल जैसे सरकारी अस्पतालों में जाकर ऐसे संक्रमित बच्चों की जानकारी जुटाई और उनका भविष्य बनाने की ठान ली।

इस कहानी ने बदल दी जिंदगी
इस ‘रहनुमा’ का भारत आना भी चकित करने वाला है। दरअसल, साल 2000 के दौरान नीदरलैंड की राजधानी एम्सटर्डम में एक सम्मेलन हुआ था। बिली ग्राम एसोसिएशन की ओर से आयोजित कार्यक्रम में संतरानगरी से श्वानंद बंसोड़ और रवि कुमार भी शामिल हुए। उसी दौरान उनकी मुलाकात हेरी से हुई। दोस्ती हुई और दोनों ने हेरी को भारत आने का न्योता दिया। हेरी साल 2003 में उनसे मिलने संतरानगरी आए। दूसरी बार, 2004 में भी भारत आना हुआ। फिर जब 2005 में भारत आने के लिए हेरी ने आवेदन दिया, तो चौंकाने वाली जानकारी सामने आई। यूएस एंबेसी में हेरी के मेडिकल टेस्ट की रिपोर्ट आई। रिपोर्ट में हेरी HIV पॉजिटिव पाए गए, जबकि कुछ साल पहले तक वो पूरी तरह स्वस्थ थे। बस,  इस रिपोर्ट ने जैरी का जीवन बदलकर रख दिया। 

मानो जुनून सवार हो गया
इसके बाद तो हेरी पर मानो जुनून सवार हो गया। HIV प्रभावित बच्चों के लिए कुछ करने का जुनून। यूएस स्थित मिनियापोलिस के रहने वाले 43 साल के हेरी ने साल 2014 तक नागपुर को अपना मुकाम बना लिया। 2016 में यहां जगह खरीद ‘हाउज ऑफ होप’ की स्थापना की। इसके  बैनर तले काम शुरू किया। कड़बी चौक में होस्टल बनवाया। कई शहरों से लाए गए 12 बच्चों को यहां सिर छिपाने की जगह मिली। जीने की नई राह मिली। अब इनमें से कुछ प्राइवेट स्कूलों में अध्यापन कार्य भी कर रहे हैं। इन बच्चों में एक नेत्रहीन दिव्यांग भी है, जिसे पढ़ाने के लिए नेत्रहीन दिव्यांग टीचर रखा गया है। इसके अलावा यहां 5 और भी HIV संक्रमित हैं, जो व्यस्क हैं।

नहीं करेंगे शादी... इन बच्चों के लिए सबसे बड़ा फैसला : हेरी ने फैसला किया है कि वो कभी शादी नहीं करेगा। क्योंकि शादी के बाद उसकी जिम्मेदारियां बढ़ जाएंगी, वो नहीं चाहता कि कभी अनाथ माने-जाने वाले इन बच्चों के हिस्से का प्यार वो अपने खून से बांट सके।

अब घुटन से दूर
हेरी की संस्था में 4 कर्मचारी, 3 वॉलेंटियर और एक नेत्रहीन टीचर है, जो वहां मौजूद बच्चों का ध्यान रख रहे हैं। इनके साथ एक महिला और उसकी बेटी भी संस्था से जुड़ीं हैं, जिन्हें कभी ससुरालवाले घर में अलग-थलग ही रखते थे। खाने के लिए बर्तन भी अलग ही होते थे। अन्य बच्चों के साथ बच्ची खेल नहीं पाती थी। अब वे उस घुटन भरी जिंदगी से बाहर निकल चुके हैं और अच्छा जीवन जी रहे हैं।  

जानें, क्या है HIV
ह्युमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस (HIV) एक लेंटिवायरस (रेट्रोवायरस परिवार का एक सदस्य) है, जो अक्वायर्ड इम्युनोडेफिशिएंसी सिंड्रोम एड्स का कारण बनता है। इससे प्रतिरक्षा तंत्र विफल होने लगता है, जिनसे मौत का खतरा होता है। इस संक्रमण को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने महामारी माना है। इसे लेकर लोगों को जागरूक करने के लिए सरकार कई अभियान चला रही है। 

Created On :   1 Dec 2018 10:38 AM GMT

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