एसबीएल कंपनी से पेट्रोल पंप पर पहुंच रहा बारूद

Ammo reaching the petrol pump from SBL company
एसबीएल कंपनी से पेट्रोल पंप पर पहुंच रहा बारूद
नागपुर एसबीएल कंपनी से पेट्रोल पंप पर पहुंच रहा बारूद

डिजिटल डेस्क, नागपुर। अमरावती रोड पर बाजारगांव लिंक रोड स्थित एसबीएल बारूद फैक्टरी में लापरवाही को लेकर विस्फोटक विभाग कोई जांच नहीं कर रहा है। फैक्टरी में निर्मित बारूद खुले बाजार में बेचा जा रहा है। फैक्टरी से चेारी के बाद बोरों में भरकर समीप के पेट्रोल पंप पर बारूद जमा किया जा रहा है। हैरानी यह है कि, पेट्रोल पंप पर बारूद के बाेरों को देखकर पेट्रोलियम कंपनी के अधिकारी भी कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। पेट्रोल पंप पर जमा बारूद बगैर अनुमति अथवा जांच के ट्रकों से ग्राहकों तक पहुंचाया जा रहा है। बारूद बिक्री का भुगतान नगद स्वरूप में पेट्रोल पंप पर पहुंचाया जाता है और पंप से एसबीएल के आला अधिकारियों के परिजनों के बैंक खातों में ट्रांसफर कर दिया जाता है। इस मामले में एसबीएल के संचालकों सहित विस्फोटक विभाग को कई मर्तबा जानकारी दी गई है। पेट्रोल पंप पर बारूद जमा होने से भीषण दुर्घटना की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है।

10 प्रकार के विस्फोटक
एसबीएल फैक्टरी में 10 प्रकार के बारूद और विस्फोटक का निर्माण किया जाता है। पीटीएन से डिटोनेटर फ्यूज को खतरनाक स्वरूप के विस्फोट के लिए इस्तेमाल किया जाता है। साथ ही स्लरी के रूप में खदानों में विस्फोट होता है। इसके अलावा करीब 5 से 7 प्रकार के डिटोनेटर भी तैयार किए जाते हैं। इनमें सामान्य डिटोनेटर, इलेक्ट्रिक डिटोनेटर, डिले डिटोनेटर और नोनल डिटोनेटर का समावेश है। इन डिटोनेटर और आर्टिलरी को खदानों के साथ ही सुरंगों और सड़क निर्माण में भी इस्तेमाल किया जाता है। इसी डिटोनेटर को नक्सली हमले में भी इस्तेमाल किया जाता है। फैक्टरी प्रबंधन और अधिकारियों की ओर से पर्याप्त निगरानी नहीं होने से खुले बाजार में आसानी से खतरनाक विस्फोटक पहुंच रहे हैं।

वजन में हेराफेरी, यूरिया और नमक की मिलावट : विस्फोटक विभाग की पर्याप्त निगरानी नहीं होने से एसबीएल कंपनी में बारूद चोरी का बड़ा खेल हो रहा है। विभाग के अधिकारी कभी भी औचक निरीक्षण कर  बारूद निर्माण और बिक्री के स्टॉक की जांच नहीं करते हैं। जांच के नाम पर केवल बोरों की गिनती कर खानापूर्ति कर ली जाती है। बोरों में वजन को बनाएं रखने के लिए मिलावट की जाती है। बारूद का वजन करने के बाद बारूद को निकालकर यूरिया और नमक को मिला दिया जाता है। यूरिया और नमक से वजन बने रहने के साथ ही गुणवत्ता भी प्रभावित होती है, लेकिन चोरी के बारूद को खुले बाजार में बगैर कोई रिकॉर्ड के मोटे दाम पर बेचा जा रहा है। चोरी का बारूद बेरोकटोक फैक्टरी से बगैर जांच के निकल जाता है।

 गोंडखैरी की सरकारी प्रयोगशाला में भी गड़बड़ी : विस्फोटक विभाग की लगातार निगरानी और बारूद नमूनों की जांच को लेकर काफी ऐहतियात बरती जाती है। आयुष कारखानों में निर्मित बारूद की गुणवत्ता और सुरक्षा के लिए गोंडखैरी में विस्फोटक जांच प्रयोगशाला (एक्स्प्लोजिव टेस्टिंग स्टेशन) बनाया गया है। करीब 200 एकड़ क्षेत्र में फैले परिसर में बारूद एवं उपकरणों की जांच के लिए सुविधाओं को रखा गया है। विस्फोटक विभाग के उपप्रमुख नियंत्रक सहित करीब 20 से अधिक जांच अधिकारी मौजूद रहते हैं, लेकिन उत्पाद की जांच के नाम पर केवल खानापूर्ति होती है।

जांच के नाम पर लीपापोती :  प्रत्येक नमूने की जांच के लिए 10,000 रुपए निर्धारित शुल्क भुगतान के बाद अधिकारियों को कारखाने में जाकर नमूनों को संकलित करना है, लेकिन जांच अधिकारी जांच के नाम पर लीपापोती कर रहे हैं। ऐसे में विस्फोटक की गुणवत्ता और सुरक्षा को लेकर होने वाली लापरवाही उजागर होती है। पिछले दो साल में बगैर नमूनों की जांच के एसबीएल को जांच के प्रमाणपत्र मुहैया कराएं गए हैं।  
 

Created On :   22 Oct 2022 4:40 PM IST

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