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म्युटेशन के लिए चक्कर लगाते हुए घिस गई चप्पलें पर नहीं मिला न्याय

डिजिटल डेस्क, नागपुर। न्यू कैलास नगर निवासी परमेश्वर रामचंद्र उपनकर विगत 2 वर्ष से नगर भूमापन कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं। उनकी चप्पलें घिस गईं किंतु उन्हें न्याय नहीं मिला। नागपुर सुधार प्रन्यास द्वारा जारी आर. एल. लेटर के मुताबिक उपनकर मौजा मानेवाड़ा नगर भूमापन क्र. 3411 के भूखंड क्र एस-2 के धारक हैं। दस्तावेज के मुताबिक यह भूखंड 30 बाय 50 फुट अर्थात 1500 वर्ग फुट का है। प्रत्यक्ष में इस भूखंड का क्षेत्रफल 28 बाय 50 अर्थात 1400 फुट बताया जा रहा है। उपनकर ने 1500 वर्ग फुट जमीन गिनकर देने के लिए नगर भूमापन कार्यालय में 13 मई 2016 को आवेदन पेश किया। नापजोख शुल्क के रूप में उन्होंने 4 जून 2016 को 6 हजार रुपये अदा किए। इस आवेदन को संज्ञान में लेते हुए नगर भूमापन कार्यालय द्वारा पत्र प्रेषित कर 9 अगस्त 2016 को भूखंड नापजोख की तारीख मुकर्रर की गई। तय दिन व समय पर नगर भूमापन कार्यालय के भूमापक पर्यवेक्षक अरविंद नेतराम रामटेके अपने एक साथी के साथ उपनकर के निवास पर पहुंचे। भूखंड की नापजोख कर उन्होंने इसकी प्रति 29 सितंबर 2016 को जारी की।
उपनकर ने अविश्वास जताया
उपनकर की इस आपत्ति पर नगर भूमापन कार्यालय के अधिकारी अनिल गायकवाड़ ने 20 मई 2017 को एक बार फिर सर्वेक्षण किया तथा पुरानी रिपोर्ट में त्रुटियां होने का खुलासा किया गया। इस सर्वेक्षण में यह तथ्य निकला कि पड़ोसी मोटघरे द्वारा उपनकर के निवास की कुछ जमीन पर कब्जा कर नल लगाया गया है जिसे हटाया जाना चाहिए। पंचों के समक्ष नल हटाने के लिए अतिक्रमणकारी तुषार मोटघरे ने 3 माह का वक्त मांगा जिसे नगर भूमापन कार्यालय के अधिकारियों ने हरी झंडी दे दी। इसके बाद अब तक अतिक्रमणकारी द्वारा न अतिक्रमण हटाया गया और न ही नगर भूमापन कार्यालय के अधिकारियों ने इस मामले की दखल ली। अब उपनकर बार-बार नगर भूमापन कार्यालय के चक्कर काटकर अपनी जमीन की मांग कर रहे हैं किंतु उन्हें न्याय नहीं मिल रहा है। उपनकर के मुताबिक जब तक अधिकारियों की जेब गर्म नहीं की जाए, वे किसी भी प्रकार की कार्रवाई नहीं करते हैं। वे रिश्वत देना नहीं चाहते हैं इसलिए उनका काम 2 वर्ष से अटका हुआ है।
हर्जाना दिया, कार्यप्रणाली नहीं बदली
नगर भूमापन कार्यालय क्र. 2 द्वारा सूचना के अधिकार का उल्लंघन करते हुए समय पर मांगी गई जानकारी उपलब्ध न कराने के मामले में राज्य सूचना आयोग द्वारा अपीलार्थी श्रीचंद पहलाजराय औचानी को नुकसान भरपाई के 5 हजार रुपये अदा करने का आदेश 2 मई 2017 को दिया गया था। इस आदेश का पालन कर नगर भूमापन कार्यालय की ओर से पीड़ित को नुकसान भरपाई के रूप में 5 हजार रुपये अदा तो किए गए किंतु इस विभाग की कार्यप्रणाली में अब भी कोई बदलाव नहीं आया है। स्थिति जस की तस है तथा अनेक आवेदक लंबे अरसे से काम न होने की पीड़ा झेल रहे हैं। भवन निर्माण कार्य से जुड़े करोडीलाल अमृतलाल आहूजा ने डी बी स्टार से चर्चा में बताया कि उनका अक्सर किसी न किसी आवश्यकता की पूर्ति के लिए नगर भूमापन कार्यालय जाना होता है। दस्तावेज चाहे जितने सटीक व परिपूर्ण हों आवेदन के साथ संलग्न करने के बाद इन दस्तावेजों में भू-संपत्ति की रजिस्ट्री के कुछ पन्ने निकाल लिए जाते हैं। आवेदक द्वारा काम के लिए जब पूछताछ की जाती है तो पहले से ही उसके आवेदन पर टिप्प्णी लिख पन्ना थमा दिया जाता है। इस पन्ने पर लिखा होता है कि दस्तावेज अधूरे हैं इसलिए दोबारा दस्तावेज पेश करें।
रिकॉर्ड सुरक्षित कैसे हों जब जगह ही न मिले
नगर भूमापन अधिकारी सारिका कडृू के मुताबिक सिटी सर्वे कार्यालय में पृथक रिकार्ड रूम की आवश्यकता है। प्रशासकीय इमारत क्र. 1 में स्थित इन कार्यालयों में जगह की कमी है जिसके कारण रिकॉर्ड व अन्य दस्तावेज कर्मचारियों की टेबल के आसपास बिखरे नजर आते हैं। कुछ पुराने रिकॉर्ड बरामदे में रखी अलमारियों में हैं। ये अलमारियां टूटी हैं। सरकार से रिकॉर्ड रूम की व्यवस्था की मांग की गई है। नगर भूमपान विभाग के कार्यालयों के लिए एक स्वतंत्र इमारत की व्यवस्था होनी चाहिए।
Created On :   18 Sept 2018 3:33 PM IST