अब शहर के झोपड़पट्टीवासियों को तगड़ा झटका, मालकी पट्‌टे की प्रक्रिया रूकी

An order of the District Magistrate Sachin Kurwa raised the problems of slum dwellers
अब शहर के झोपड़पट्टीवासियों को तगड़ा झटका, मालकी पट्‌टे की प्रक्रिया रूकी
अब शहर के झोपड़पट्टीवासियों को तगड़ा झटका, मालकी पट्‌टे की प्रक्रिया रूकी

डिजिटल डेस्क, नागपुर। मालिकाना पट्टों का इंतजार कर रहे नजूल की जमीन पर बसे झोपड़पट्टीवासियों को एक आदेश से तगड़ा झटका लगा है। तत्कालीन जिलाधिकारी सचिन कुर्वे के एक आदेश ने इन झोपड़पट्टीवासियों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। इस परिपत्रक में नजूल की जगह पर बसी झोपड़पट्टियों की जमीन झोपड़पट्टी पुनर्वसन प्राधिकरण (एसआरए) को हस्तांतरित करने का आदेश दिया गया है। मुश्किल यह है कि एसआरए को मालिकाना पट्टे वितरण करने का अधिकार नहीं है। वह सिर्फ झोपड़पट्टीवासियों का पुनर्वसन कर सकती है। इस परिपत्रक ने नजूल की जगह पर बसे झोपड़पट्टीवासियों को मालिकाना पट्टे देने की वितरण प्रक्रिया को  रोक दी है। जिससे झोपड़पट्टी वासियों में भारी असंतोष है। सरकार ने जो पट्टे वितरण करने की प्रक्रिया शुरू की थी, इस परिपत्रक की वजह से प्रक्रिया पर रोक लग गई है। झोपड़पट्टीवासी पुनर्वसन नहीं, मालिकाना पट्टे देने की मांग कर रहे हैं। राज्य सरकार ने गत वर्ष से बड़ी धूमधाम के साथ शहर में पट्टे वितरण की प्रक्रिया शुरू की है।

पूर्व नागपुर में एक भव्य समारोह में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी की उपस्थिति में यह प्रक्रिया शुरू की थी। इसके बाद से झोपड़पट्टीवासियों में एक उम्मीद जगी थी। फिलहाल महानगरपालिका और नागपुर सुधार प्रन्यास की जमीन पर बसी झोपड़पट्टीवासियों की प्रक्रिया सुचारु चल रही है, लेकिन नजूल की जमीन पर बसे झोपड़पट्टीवासियों के सपनों को इस आदेश ने करार झटका दिया है। जिलाधिकारी कार्यालय द्वारा 26 दिसंबर 2017 को इस संबंध में परिपत्रक जारी किया है। यह परिपत्रक जारी होने के बाद इस पर चर्चा करने के लिए जून में एक बैठक भी बुलाई गई थी। किन्तु अधिकारियों की व्यस्तथा के कारण यह बैठक नहीं हो पायी। जिस कारण परिपत्रक को लेकर उठे सवालों का समाधान नहीं हो पा रहा है। शहर विकास मंच इस समस्या को लेकर लगातार प्रयासरत है। लेकिन प्रशासन से उसे कोई खास प्रतिसाद नहीं मिल रहा है। 

शहर में है 424 झोपड़पट्टियां 
नागपुर शहर में 424 झोपड़पट्टियां हैं। इसमें 293 को अधिकृत का दर्जा मिला है। 131 अभी भी अनधिकृत है। नासुप्र की 52 झोपड़पट्टियों में से 34 में सर्वेक्षण का काम कर पट्टे वितरण की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। 935 लोगों को डिमांड भेजे गए हैं, इसमें से 600 ने डिमांड जमा भी कर दी है। 163 को रजिस्ट्री भी मिल गई है। मनपा अंतर्गत 15 झोपड़पट्टियां हैं। जिसमें 7 में सर्वेक्षण शुरू है तो 8 में पट्टे वितरण का काम हुआ है। लेकिन नजूल का मामला फंस गया है। अगर नजूल की जगह पर बसी झोपड़पट्टियों को मनपा या नासुप्र को हस्तांतरित करने का उल्लेख होता तो इन्हें आसानी से मालिकाना पट्टे वितरण की प्रक्रिया हो सकती थी। लेकिन एसआरए को हस्तांतरित करने के आदेश देने से मामला पेचिदा बन गया है। एसआरए पुनर्वसन का काम करती है, उसे मालिकाना पट्टे देने का अधिकार है। 

नजूल की 4 झोपड़पट्टियों पर संकट  
शहर में नजूल की 4 झोपड़पट्टियों में मालिकाना पट्टे देने की प्रक्रिया शुरू की गई थी। गौतम नगर, राहुल नगर, सरस्वती नगर, अंगुलीमाल कॉलोनी में यह प्रक्रिया शुरू की गई थी। लेकिन परिपत्रक में यह जमीन एसआरए को हस्तांतरित करने का आदेश देने से इन झोपड़पट्टियों पर संकट गहरा गया है। 

पुनर्वसन नहीं, मालिकाना पट्टे दें 
नजूल की जमीन पर बसी झोपड़पट्टियों को मनपा या नासुप्र को हस्तांतरित की जाए। एसआरए के पास जाने से सिर्फ पुनर्वसन होगा। हमें पुनर्वसन नहीं चाहिए, मालिकाना अधिकार चाहिए। प्रशासन के त्रुटिपूर्ण आदेश के कारण संकट गहरा गया है। नजूल के झोपड़पट्टीवासियों को पुनर्वसन नहीं, सरकारी नीति के तहत जमीन के मालकी पट्टे दें। यह बात शहर विकास मंच ने समय-समय पर जिलाधिकारी व मनपा आयुक्त के सामने रखी है। फरवरी 2018 से इसे लेकर निवेदन दिया जा रहा है। लेकिन जिलाधिकारी या मनपा ने कोई निर्णय नहीं लिया। जिसकारण झोपडपट्टीवासी मालिकाना पट्टों से वंचित है। तुरंत इसका हल निकाला जाए। 
(अनिल वासनिक, संयोजक, शहर विकास मंच) 
 

Created On :   27 Sep 2018 7:04 AM GMT

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