धीरे-धीरे बंद हो रही आंगनवाड़ी सेवा, सरकार ने खींचे हाथ, जानिए क्यों...

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धीरे-धीरे बंद हो रही आंगनवाड़ी सेवा, सरकार ने खींचे हाथ, जानिए क्यों...
धीरे-धीरे बंद हो रही आंगनवाड़ी सेवा, सरकार ने खींचे हाथ, जानिए क्यों...

डिजिटल डेस्क, नागपुर। सरकार एक ओर कुपोषण कम करने के लिए योजनाएं अमल में लाने का दावा कर रही वहीं दूसरी ओर गर्भस्थ शिशु, किशोरी तथा माता का पोषण व स्वास्थ्य की देखभाल करने के लिए शुरू की गई आंगनवाड़ी सेवा सरकार की बेरुखी के चलते लड़खड़ाने लगी है। आंगनवाड़ियों में बच्चों को पोषण आहार तथा स्वास्थ्य सेवा देने से केंद्र सरकार ने हाथ खींच लिए हैं। केंद्र सरकार  से आंगनवाड़ियों को 75 प्रतिशत अनुदान दिया जाता था। इसे घटा कर 25 प्रतिशत कर दिया गया है। केंद्र सरकार के हाथ खड़े करने से राज्य सरकार की तिजोरी पर 75 प्रतिशत खर्च का बोझ बढ़ गया है। इसे कम करने के लिए अब राज्य सरकार ने 25 बच्चों से कम संख्या वाली आंगनवाड़ियों को बंद करने का निर्णय लिया है। सरकार के इस निर्णय से आधे से ज्यादा आंगनवाड़ियों पर बंद होने का खतरा मंडरा रहा है।
 

कुपोषण कम करने केंद्र की योजना
केंद्र सरकार ने वर्ष 1985 में कुपोषण कम करने के लिए आंगनवाड़ी योजना शुरू की थी। 6 वर्ष उम्र तक के बच्चों को पोषण, स्वास्थ्य और पूर्व प्राथमिक शिक्षा संबंधी आवश्यकताओं की पूर्ति करने एकात्मिक बाल विकास सेवा योजाना के माध्यम से आंगनवाड़ियां चलाई जाती हैं। इन केंद्रों से किशोरियों तथा गर्भवती महिलाओं को पोषण अाहार तथा स्वास्थ्य सेवा दी जाती है, ताकि कुपोषण को कम किया जा सके। 
 

पहले जनसंख्या  का आधार
जिस समय आंगनवाड़ी योजना शुरू की गई, उस समय 1000 बच्चों की संख्या के लिए 1 आंगनवाड़ी का प्रमाण था। कुपोषण की समस्या को लेकर एक जनहित याचिका दायर करने पर हाईकोर्ट के आदेश पर 400 की संख्या के आधार 1 आंगनवाड़ी स्थापित करने का निर्णय लिया गया था। अब जनसंख्या के आधार पर आंगनवाड़ी की शर्त बदलकर 25 बच्चों का आधार लागू किया गया है।


कुपोषण बढ़ने का खतरा
आंगनवाड़ी की मूल संकल्पना बच्चों, गर्भवती तथा स्तनदा माता, किशोरियों के पोषण और स्वास्थ्य पर आधारित है। आंगनवाड़ी से सेवा लेने वालों को लाभार्थी कहा जाता है। सरकार ने चालांकी से लाभार्थी शब्द हटाकर इसकी जगह बच्चों का आधार जोड़ दिया है। कुपोषण की समस्या से निपटने के लिए आंगनवाड़ी के माध्यम से 6 प्रकार की सेवाएं दी जाती हैं। सरकार के निर्णय से बंद होने वाली आंगनवाड़ियों में सेवा खंडित होने पर कुपोषण बढ़ने का खतरा बढ़ सकता है। नागपुर शहर में आंगनवाड़ियों की संख्या 981 है। वहीं जिले की 13 तहसीलों में 2300 आंगनवाड़ियां हैं। शहरों में अंग्रेजी शिक्षा की ओर बढ़ते रुझान के कारण आंगनवाड़ियों में बच्चों की संख्या काफी कम है। पोषण तथा स्वास्थ्य लाभ लेने वाली गर्भवती, स्तनदा माता और किशोरी लाभार्थियों की संख्या अधिक है। बच्चों की संख्या के आधार पर अांगनवाड़ियां बंद करने के निर्णय से शहर की 70 प्रतिशत और ग्रामीण क्षेत्र की 30 प्रतिशत आंगनवाड़ियों पर बंद होने का खतरा मंडरा रहा है।

 


ग्रामीण क्षेत्रों में वरदान से कम नहीं
एकात्मिक बाल विकास सेवा योजना अंतर्गत 6 साल की उम्र तक बच्चों को आंगनवाड़ियों में पोषण आहार तथा पूर्व प्राथमिक शिक्षा दी जाती है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से आंगनवाड़ी के बच्चों के स्वास्थ्य की नियमित देखभाल, टीकाकरण, गर्भवती महिला तथा किशोरियों को पोषण आहार, स्वास्थ्य से संंबंधित जांच तथा उपचार किया जाता है। ग्रामीण क्षेत्र में स्वास्थ्य से संबंधित अज्ञानता तथा सुविधा के अभाव में आंगनवाड़ी केंद्र बच्चों, गर्भवती महिला तथा किशोरियों के लिए वरदान से कम नहीं हैं। अब सरकार इसे भी बंद करने की तैयारी में है।

16 जुलाई 2018 को महिला व बाल विकास विभाग सहसचिव ने परिपत्र जारी कर 25 से कम बच्चों की संख्या वाले आंगनवाड़ी केंद्रों को बंद कर करीब के दूसरे आंगनवाड़ी केंद्रों में बच्चों का समायाेजन करने के निर्देश एकात्मिक बाल विकास सेवा योजना आयुक्त को दिए हैं। इसी के साथ अतिरिक्त आंगनवाड़ी कर्मचारियों का रिक्त स्थानों पर समायोजन व प्रकल्पों की संख्या घटाकर फेर-रचना प्रस्ताव भेजने के निर्देश दिए गए हैं। शहर से कम अंतर के प्रकल्पों को नागरी प्रकल्पों से जोड़कर नागरी बाल विकास प्रकल्प अधिकारियों से अन्य सेवा लेने का प्रस्ताव भेजने के लिए कहा गया है।
 

निर्देश को लेकर संभ्रम
6 जून को हुई बैठक में 25 से कम लाभार्थी रहने वाली आंगनवाड़ियों के बच्चों का अन्य आंगनवाड़ी में समायोजन के निर्देश दिए गए थे। परिपत्र में लाभार्थी की जगह 25 बच्चे शब्द प्रयोग किया गया है, जिसके चलते संभ्रम बना हुआ है। इस सिलसिले में एक बैठक होने वाली है। बैठक के बाद जो निर्देश दिए जाएंगे, उसी के आधार प्रस्ताव भेजने की आगे की कार्रवाई की जाएगी। ( रमेश टेटे, प्रकल्प अधिकारी, एकात्मिक बाल विकास विभाग)

Created On :   20 Aug 2018 5:27 AM GMT

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