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कंगारू किड्स के वार्षिकोत्सव में पंजाबी भांगड़ा व महाराष्ट्रीयन मुलगी का जलवा

डिजिटल डेस्क, नागपुर। एक तरफ पंजाबी भांगड़ा की धूम तो दूसरी ओर महाराष्ट्रीयन मुलगी का जलवा। राजस्थान को रिप्रेजेंट करते पधारो म्हारे देश का आह्वान तो रजनीकांत ने चष्मा लगाकर लुंगी डांस किया। फिर सभी स्टूडेंट्स ने इस्ट और वेस्ट इंडिया इज बेस्ट के जयघोष किए। यह दिलकश नजारा कंगारू किड्स के वार्षिकोत्सव के दौरान देखने मिला। कार्यक्रम का आयोजन पारडी स्थित कंगारू किड्स स्कूल के परिसर में किया गया। बच्चों ने अपनी प्रस्तुतियों से दर्शकों का दिल जीत लिया। मनभावन प्रस्तुतियों से हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। कार्यक्रम के दौरान मुख्य अतिथि के रूप में मुंबई की बबीता पुजारी तथा कंगारू किड्स प्राचार्य डॉ. प्रीति कासलीवाल मुख्य रूप से मौजूद थीं। मुख्य अतिथि द्वारा दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। इसके उपरांत गणेश वंदना की प्रस्तुति दी गई।
नन्ही धानी ने गीता श्लोक के साथ सार भी बताया
कार्यक्रम के अवसर पर नन्ही धानी ने भगवत गीता श्लोक सुनाया और साथ ही उपस्थित जनों को गीता के श्लोकों का महत्व भी समझाया। नवयुग चांडक ने जब गीत-इतनी शक्ति हमें देना दाता पेश किया तो पैरेन्ट्स उसके साथ गुनगुनाने से खुद को रोक नहीं पाए। गरबा रास और कश्मीरी गर्ल्स के बूमरो नृत्य के कार्यक्रम की शोभा में चार चांद लगा दिए।
लोक नृत्यों की प्रस्तुति
कार्यक्रम में देश भी के विभिन्न राज्यों से जुड़े लोक नत्यों की प्रस्तुति आकर्षण का केंद्र रहा। गरबा और डांडिया की प्रस्तुति भी मनभावन रहीं। कश्मीरी गर्ल्स ने बूमरो पर नृत्य से पैरेन्ट्स को भी डांस करने पर मजबूर कर दिया। गोवा का सोन्योरीटा पर तालियों की आवाज गूंजती रही। अंत में सभी बच्चों ने स्टेज पर आकर धूम मचाई और सभी राज्य की परंपरा और संस्कृति को प्रस्तुत किया। एक साथ बच्चों ने आकर प्रस्तुति दी।
पैरेन्ट्स को दी चाइल्ड अब्यूज की जानकारी
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि बबीता पुजारी ने पैरेन्ट्स को महत्वपूर्ण टिप्स दिए। उन्होंने चाइल्ड एब्यूज के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि सबसे मुख्य बात यह कि ज्यादा से ज्यादा पैरेन्ट्स को अपने बच्चों के साथ कम्युनिकेट करना चाहिए। कम्युनिकेशन के जरिए ही बच्चों की प्रॉबलम्स को जान पाएंगे। पैरेन्ट्स को पेपर को माेड़ने और उस पर पड़े निशान की मदद से बताया गया कि जिस तरह लाइन पड़ने पर उसे हटाया नहीं जा सकता उसी तरह बच्चों के मन पर पड़े दाग को हटाया नहीं जा सकता। पुजारी ने पैरेन्ट्स को बच्चों को एप्रीशियेट करने के लिए भी प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि 2 से 6 वर्ष तक के उम्र के बच्चों की उम्र सीखने की होती है। वे जो देखते हैं, सुनते हैं उसे जन्मभर याद रखते हैं। पैरेन्ट्स को इन आयु वर्ग के बच्चों को अच्छी और सही सीख देने के साथ ही उनके साथ टाइम स्पेंड भी करना चाहिए। उनके साथ कम्युनिकेट करना भी जरूरी है। बच्चों को गुड टच और बेैड टच के बारे में भी जानकारी दी जानी चाहिए।
Created On :   6 Feb 2019 1:57 PM IST