टहनी काटने पर ऐतिहासिक बरगद वृक्ष से मांगी माफी 

Apologies to the historic banyan tree for cutting a twig
टहनी काटने पर ऐतिहासिक बरगद वृक्ष से मांगी माफी 
अमरावती टहनी काटने पर ऐतिहासिक बरगद वृक्ष से मांगी माफी 

डिजिटल डेस्क,अंजनगांव सुर्जी (अमरावती)। वृक्ष लगाओ– वृक्ष जगाओ  मुहिम समूचे देश में चल रहा है इस बीच  संरक्षित श्रेणी में रहनेवाले वृक्ष को सरकार का विशेष संरक्षण रहते हुए जमींदोज करने की स्थिति आन पड़ी। अंजनगांव सुर्जी शहर के गोकुलढूसा परिसर में लगभग 200 वर्ष पुराना बरगद का वृक्ष कुछ दिन पहले कटाई कर उसकी अनेक टहनियां छांटी गई। जिससे रविवार 26 जून को विद्यानिकेतन महाविदयालय के सभी शिक्षकों की ओर से अंजनगांव के ऐतिहासिक बरगद वृक्ष की माफी मांगी गई। एक बार गलती हुई इसके बाद कभी भी इस तरह की गलती नहीं होने देंगे। इस आशय की चेतावनी इस समय संस्था के सचिव प्रशांत अभ्यंकर ने दी है। 

अध्यापक वर्ग ने बरगद के वृक्ष का पोस्टर तैयार कर बरगद बचाओ जनजागरण किया। बरगद का पेड़ 300 से 400 वर्षो तक जी सकता है। विश्व में सबसे पहले बरगत का वृक्ष भारत में पश्चिम बंगाल में पाया गया । इसी कारण उसका नाम बंगाल शब्द से फायकस बेंगलेत्सिस है। पूरी तरह से बढ़ा हुआ यह वृक्ष हर घंटे 712 किलो मिटर ऑक्सीजन देता है। भारत का राष्ट्रीय वृक्ष ब्रिटिश शासन काल में हजारों क्रांतिकारकों को स्वाधिनता आंदोलन में सहभाग लेने पर इसी पेड़ पर फांसी से लटकाकर मारा गया। इसी कारण बरगद के वृक्ष को राष्ट्रीय वृक्ष घोषित किया गया है। ऐसा जनजागरण अभियान में शामिल संस्था सचिव प्रशांत अभ्यंकर ने बताया। इस अवसर पर महाविद्यालय के सभी प्राध्यापक उपस्थित थे। 


 

Created On :   27 Jun 2022 3:51 PM IST

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