नागपुर यूनिवर्सिटी में पदभर्ती पर मंथन, 50 प्रतिशत पदों पर नियुक्तियां जरूरी

appointment process for non-teaching posts in Nagpur University is not being done properly
नागपुर यूनिवर्सिटी में पदभर्ती पर मंथन, 50 प्रतिशत पदों पर नियुक्तियां जरूरी
नागपुर यूनिवर्सिटी में पदभर्ती पर मंथन, 50 प्रतिशत पदों पर नियुक्तियां जरूरी

डिजिटल डेस्क, नागपुर। राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय में लंबे समय से गैर-शिक्षक पदों की नियुक्ति प्रक्रिया ठंडे बस्ते में है। यूनिवर्सिटी ने अब तक कांट्रिब्यूटरी शिक्षकों के सहारे काम चलाया और अब कांट्रैक्ट शिक्षकों की नियुक्तियां की जा रही है। मगर ये प्रबंध अस्थाई है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के निर्देशों के अनुसार विश्वविद्यालय या कॉलेजों में पढ़ाने के लिए स्थाई शिक्षक होना अनिवार्य है, मगर सरकार ने लंबे समय से नियुक्तियों पर प्रतिबंध लगा रखा है। इससे यूनिवर्सिटी की परेशानी बढ़ गई है। यूनिवर्सिटी में कम से कम 50 प्रतिशत पदों पर नियुक्तियां जरूरी है। ऐसे में इस समस्या के समाधान के लिए विवि एक बार फिर राज्य सरकार की ओर टकटकी लगा कर देख रहा है। प्रभारी कुलसचिव डॉ.नीरज खटी के अनुसार अगले हफ्ते सरकार के साथ होने वाली बैठक में नागपुर विश्वविद्यालय में अधिक से अधिक पद भरने के लिए विवि जोर लगाएगा। सरकार नवंबर में फिर एक बार पदभर्ती का नया प्रारूप तैयार करेगी। 

लंबे समय से हो रहे हैं प्रयास
बता दें कि बीते दो वर्षों से यूनिवर्सिटी में पदभर्ती के प्रयास हो रहे हैं। हर बार तैयारी पूर्ण होने के बाद सरकार अपने फैसले बदल देती है। पूर्व में सरकार ने नागपुर विश्वविद्यालय से कुल खाली पदों के 30 प्रतिशत पदभर्ती के लिए प्रस्ताव मंगाए थे। बीते दिनों तमाम कानूनी दाव-पेंच से निकल कर यूनिवर्सिटी ने विभाग संचालक, सहायक संचालक, प्रकाशन अधिकारी, चिकित्सा अधिकारी, यूनिवर्सिटी अभियंता, जनसंपर्क अधिकारी, विधि अधिकारी 23 गैर-शिक्षक पदों के लिए साक्षात्कार आयोजित किए थे, मगर सरकार ने एक और ‘लेटर बम’ विश्वविद्यालय पर गिराया था। नए आदेश में यूनिवर्सिटी सिर्फ कुल खाली पदों में से 30 प्रतिशत ही भरने की अनुमति दी गई थी। इसके बाद पदभर्ती का प्रारूप लगातार बदला और अंतत: मामला ठंडे बस्ते में चला गया। 

बार- बार बदल रहे फैसले
नागपुर विश्वविद्यालय में खाली पड़े करीब 200 से अधिक पदों पर लंबे समय से नियुक्तियों को अनुमति नहीं मिली थी। मगर इसके बाद सरकार ने यूनिवर्सिटी  के खाली पदों में से 50 प्रतिशत पद भरने को अनुमति दी। इस पर यूनिवर्सिटी ने समित गठित कर अतिमहत्वपूर्ण 50 प्रतिशत पदों का चयन किया, जिसे मैनेजमेंट काउंसिल ने अनुमति भी दे दी थी। लेकिन इसके बाद सरकार का फैसला फिर बदला, अब सरकार ने कुल खाली पदों में से महज 4 प्रतिशत पद भरने का आदेश यूनिवर्सिटी  को दिया। इसके बाद बीते अप्रैल में शिक्षा मंत्री विनोद तावडे ने यूनिवर्सिटी में खाली पदों में 100 प्रतिशत नियुक्ति की घोषणा नागपुर के एक कार्यक्रम मंे की। इसके बाद यूनिवर्सिटी से अन्य 50 प्रतिशत पद और अतिरिक्त पदों पर नियुक्ति के लिए प्रस्ताव मांगे गए। तमाम नियमों के बाद आखिर यूनिवर्सिटी ने 4 प्रतिशत पदों को भरने का निर्णय लिया और 23 पदों के लिए प्रक्रिया शुरू की। इसके बाद सरकार ने नया आदेश जारी करके कुल खाली पदों में से महज 30 प्रतिशत पदभर्ती का फैसला लिया है, जो अब तक लटका पड़ा है।

Created On :   29 Oct 2018 6:27 AM GMT

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