पत्नी की अंतिम क्रिया देखने कैदी के लिए जेल में  हो वीडियो कांफ्रेसिंग की व्यवस्थाः हाईकोर्ट

Arrangement of video conferencing for the prisoner to see the last action of his wife: High Court
पत्नी की अंतिम क्रिया देखने कैदी के लिए जेल में  हो वीडियो कांफ्रेसिंग की व्यवस्थाः हाईकोर्ट
पत्नी की अंतिम क्रिया देखने कैदी के लिए जेल में  हो वीडियो कांफ्रेसिंग की व्यवस्थाः हाईकोर्ट

 डिजिटल डेस्क,मुंबई । राज्य में तेजी से बढ़ते कोरोना संक्रमण को देखते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने जेल प्रशासन को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की व्यवस्था बनाने को कहा है जिससे एक विचाराधीन कैदी अपने पत्नी की अंतिम संस्कार की क्रिया देख सके और अपने परिवारवालों से बात कर सके। हत्या के आरोप में तलोजा जेल में बंद कैदी ने पत्नी के अंतिम संस्कार से जुड़ी धार्मिक क्रिया में शामिल होने के लिए 6 दिन की अंशकालिक जमानत मांगी थी। किंतु कोर्ट ने कैदी के जमानत आवेदन को खारिज करते हुए जेल प्रशासन को आरोपी को अंतिम संस्कार से जुडी धार्मिक क्रिया के दौरान वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए परिवार वालों से बात कराने का निर्देश दिया। 

आरोपी अभय कुरुंडकर के आवेदन पर सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति सारंग कोतवाल को बताया गया कि आरोपी की पत्नी की कोरोना के चलते बीते 15 अप्रैल को मौत हो गई थी। वह अपनी पत्नी की अंत्येष्टि में शामिल नहीं हो पाया था। अब वह अपनी पत्नी के दसवें व तेरवी में शामिल होना चाहता है। ताकि वह अंतिम संस्कार से जुड़ी धार्मिक क्रियाओं का पालन कर सके। आरोपी कोरोना का पहला टीका ले चुका है। उसके बच्चे कोरोना संक्रमित नहीं है इसलिए उसे अंतिम संस्कार से जुड़ी धार्मिक क्रिया में शामिल होने के लिए अनुमति दी जाए।  इससे पहले विशेष सरकारी वकील प्रदीप घरत ने आरोपी के आवेदन का विरोध किया। उन्होंने कहा कि आरोपी कोल्हापुर स्थित अजरा जाना चाहता है। ऐसे में आरोपी के साथ जो पुलिस दल जाएगा उसके संक्रमित होने की आशंका है।इसलिए आरोपी के आवेदन को अस्वीकार किया जाए। श्री घरत की इन दलीलों को सुनने के बाद न्यायमूर्ति ने कहा कि सामान्य हालात में निश्चित तौर पर आरोपी के आग्रह पर विचार किया जाता पर वर्तमान में स्थिति गंभीर है। हमे सरकारी वकील की यह बात सही लग रही है कि आरोपी के साथ जानेवाले पुलिस दल को ख़तरा हो सकता है। 

जेल के दूसरे कैदियों को लिए हो सकता है खतरा
इसके साथ ही आरोपी के वापस आने के बाद जेल के दूसरे कैदियों के लिए खतरा हो सकता है। इसलिए आरोपी को अंतिम संस्कार से जुड़ी धार्मिक क्रिया में शामिल होने की अनुमति से जुड़े आवेदन को खारिज किया जाता है। न्यायमूर्ति ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि आरोपी अपनी पत्नी की अंत्येष्टि में शामिल नहीं हो सकता। लेकिन आरोपी अंतिम संस्कार की धार्मिक क्रिया के दौरान अपने घरवालों से बात कर सके इसके लिए जेल प्रशासन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की व्यवस्था बनाए। न्यायमूर्ति ने स्थिति सामान्य होने के बाद दोबारा आवेदन करने की छूट दी है। 
 

Created On :   24 April 2021 5:47 PM IST

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