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विदर्भ को लेकर शरद पवार के बयान पर यह बोले विधायक आशीष देशमुख

डिजिटल डेस्क, नागपुर। विदर्भ व किसानों के मामलों को लेकर सरकार के विरोध में मोर्चा खोल बैठे भाजपा विधायक आशीष देशमुख के तेवर कायम है। अपने निर्वाचन क्षेत्र काटोल में जारी आंदोलन को अचानक स्थगित करने के बाद भी वे सरकार के प्रति नरम नहीं हुए हैं। उनका कहना है कि उनका तेवर नहीं बदला है,किसानों की बात सरकार के सामने खुलकर रखने को कोई अलग तेवर कहें तो बात अलग है। विधायक देशमुख से हुई चर्चा के प्रमुख अंश...
सवाल- राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने कहा है कि विदर्भ राज्य की मांग केवल हिंदी भाषियों की है। विदर्भवादी नेता के नाते आप क्या कहेंगे?
जवाब- विदर्भ राज्य की मांग करनेवालों में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस,भूतल परिवहन मंत्री नितीन गडकरी प्रमुखता से शामिल रहे हैं। भाजपा ने विदर्भ राज्य के समर्थन में प्रस्ताव भी मंजूर किया है। गडकरी फडणवीस समेत विदर्भ के सभी भाजपा नेता हिंदी भाषीय तो नहीं है। कांग्रेस में रणजीत देशमुख,दत्ता मेघे से लेकर तमाम नेता यह मांग उठाते रहे। जांबुवंतराव धोटे ने जीवन पर्यत विदर्भ आंदोलन किया। राकांपा में कई नेताओं ने विदर्भ आंदोलन में सहभागिता दर्ज की है। ये सभी नेता हिंदी भाषीय तो नहीं हैं। स्वयं शरद पवार पहले कह चुके हैं कि विदर्भ की जनता चाहे तो उनकी पार्टी विदर्भ राज्य की मांग को समर्थन देगी। लेकिन अब उनका मत अलग सुना जा रहा है। विदर्भ राज्य की मांग को लेकर पवार से मुलाकात करुंगा।
सवाल- काटोल में अचानक आंदोलन समाप्त क्यों कर दिया?
जवाब- काटोल में न्यायालय के निर्देश पर आंदोलन को स्थगित किया गया है। 12 वीं कक्षा की परीक्षा को देखते हुए न्यायालय के जारी आदेश का पालन करना सबके लिए आवश्यक है। अनुविभागीय पुलिस अधिकारी के अलावा अन्य अधिकारियों ने भी आंदोलन के लिए दी अनुमति वापस ले ली। लिहाजा आंदोलन स्थगित करना पड़ा। शुक्रवार को काटोल में ही अन्य स्थान पर किसान सम्मेलन का आयाेजन किया गया है।
सवाल- आपके आंदोलन पर राजनीतिक दबाव तो नहीं?
जवाब- राजनीतिक दबाव का प्रयास तो निश्चित ही रहा है। आंदोलन के दौरान मेरे पिता रणजीत देशमुख से संबंधित संस्थाओं को लगातार 3 नोटिस मिले। अलग अलग संस्थाओं को अलग अलग प्राधिकरण ने नोटिस भेजे। यह सब अचानक या संयोग से तो नहीं हो जाता है। सामान्य जनता भी समझ रही है कि राजनीति किस तरह होने लगी है। तमाम स्थितियों में भी आंदोलन तो जारी रहेगा। विधानमंडल के बजट सत्र में सर्वदलीय विधायकों की सहायता से किसान व अन्य मामलों पर सरकार से प्रश्न पूछे जाएंगे।
सवाल- आपने कहा है कि भाजपा में आना आपकी बड़ी भूल थी, भाजपा में रहेंगे या नहीं?
जवाब- भाजपा ने 2014 के चुनाव में जनता से जो वादे किये थे उन्हें पूरा नहीं किया जा सका है। जनता कहने लगी है कि उस चुनाव में भाजपा के वादों पर विश्वास करना उनकी भूल थी। जनता की भावना को ही खुले मंच से मैंने सार्वजनिक किया है। भाजपा में रहने नहीं रहने के बारे में स्थिति जल्द साफ हो जायेगी। दो बार भाजपा के चिन्ह पर विधानसभा चुनाव लड़ा हूं। जिन आश्वासनों के बल पर लोगों से मत पाये उसी का जिक्र करना पार्टी से नाराजगी का विषय तो नहीं कहला सकता है। फिलहाल किसानों की मांगों को लेकर मुख्यमंत्री की भूमिका जानने का इंतजार है। पालकंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा था कि मुंबई में मंत्रिमंडल की बैठक में वे काटोल के किसानों का मुद़दा रखेंगे।
Created On :   22 Feb 2018 7:14 PM IST