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कर्ज दिए पैसे वापस मांगना आत्महत्या के लिए उकसाना नहीः हाईकोर्ट

डिजिटल डेस्क, मुंबई। कर्ज दिए गए अपना बकाया पैसा वापस मांगने को आत्महत्या के लिए उकसाने की वजह अथवा परेशान करना नहीं माना जा सकता है। यह बात कहते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने आरोपी गौरव गुरव को जमानत प्रदान की है। आरोपी पर उस युवक को आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप था जिसने उसके नौ लाख रुपए नहीं लौटाए थे। जुलाई 2020 से जेल में बंद गुरव के जमानत आवेदन पर न्यायमूर्ति न्यायमूर्ति भारती डागरे के सामने सुनवाई हुई।
अभियोजन पक्ष के मुताबिक गुरव ने मंदार वेरलकर को पहले 13 लाख रुपए दिए थे। बाद में और नौ लाख रुपए दिए थे। वेरलकर की मां के मुताबिक उसके बेटे ने 13 लाख रुपए के बदले ब्याज के साथ आरोपी को 17 लाख रुपए का भुगतान कर दिया था। फिर भी आरोपी मेरे बेटे को लगातार परेशान कर रहा था। जिससे परेशान होकर मेरे बेटे ने मार्च 2020 में आत्महत्या कर ली थी। जबकि आरोपी के मुताबिक उसने 13 लाख रुपए लौटाए थे लेकिन अलग से लिए नौ लाख रुपए का भुगतान नहीं किया था। न्यायमूर्ति ने मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद पाया कि वेरलकर की मां ने अपने बेटे के दूसरे कर्ज का ज़िक्र पुलिस के सामने नहीं किया था।
न्यायमूर्ति ने कहा कि कानून में यह स्पष्ट किया गया है कि यदि कोई वित्तीय संस्थान अथवा व्यक्ति जिसके पास कर्ज देने का वैध लाइसेंस है और वह किसी को कर्ज देता है और फिर वह अपने पैसे वापस मांगता है तो इसे परेशान करना अथवा आत्महत्या के लिए उकसाना की वजह नहीं माना जाएगा। इस मामले से जुड़े आरोपी के पास ब्याज पर कर्ज देने का लाइसेंस था। ऐसे में सिर्फ अपने बकाए कर्ज के पैसे वापस मांगने को आत्महत्या के लिए उकसाने की वजह नहीं माना जा सकता है। न्यायमूर्ति ने कहा कि आरोपी सिर्फ अपने बकाया नौ लाख रुपए मांग रहा था। इसलिए यह मामला भारतीय दंड संहिता की धारा 306 के तहत नहीं आता है।
Created On :   19 March 2022 7:55 PM IST