एट्रोसिटी एक्ट : सवा तीन साल में दर्ज हुए 700 से ज्यादा मामले आैर मात्र 32 को सजा

Atrocity Act: More than 700 cases registered in three-and-a-half years, only 32 sentences
एट्रोसिटी एक्ट : सवा तीन साल में दर्ज हुए 700 से ज्यादा मामले आैर मात्र 32 को सजा
एट्रोसिटी एक्ट : सवा तीन साल में दर्ज हुए 700 से ज्यादा मामले आैर मात्र 32 को सजा

प्रशांत बहादुरे, नागपुर। अनुसूचित जनजाति अत्याचार के मामलों में (एट्रोसिटी) नागपुर समेत विदर्भ में बड़ी संख्या में प्रकरण दर्ज होते हैं, मगर सजा का प्रमाण बहुत कम है। दर्ज आंकड़ों से इसकी पुष्टि भी होती है। सरकारी और गैर-सरकारी संस्थानों में सबसे ज्यादा अनुसूचित जनजाति (एट्राेसिटी एक्ट) से जुड़े मामले उजागर होते हैं। कुछ राजनीति से प्रेरित तो कुछ रंजिश के चलते। कार्यस्थलों पर महिला वर्ग के साथ सबसे ज्यादा घटनाएं होती हैं। कुछ महिलाओं ने दर्ज शिकायत में कहा है कि उन्हें कार्यस्थल पर यौन प्रताड़ित किया जाता रहा है। प्रतिकार करने पर जाति सबंधित गाली-गलौज कर अपमानित किया जाता रहा है। ऐसे प्रकरणों में कई बार माहौल खराब हुए। बावजूद इसके पुलिस प्रशासन ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। आरोप लगते रहे हैं कि खानापूर्ति के प्रकरण दर्ज कर लिए जाते हैं, सख्ती से जांच नहीं होती और यही कारण है कि दर्ज प्रकरणों की तुलना में सजा का प्रमाण बहुत ही कम है।

अधिकारी की संदिग्ध भूमिका
गंभीर और संवेदनशील प्रकरण होने से सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) स्तर के अधिकारी ऐसे मामलों की जांच करते हैं, लेकिन अनेकों बार इनकी भूमिका संदिग्ध रही। पक्षपात के आरोप लगते रहे हैं। उदाहरण के लिए शहर में हाल ही में घटित कांबले दोहरे हत्याकांड है। इस प्रकरण में एट्रोसिटी एक्ट की भी धारा लगाई गई है। जांच अधिकारी सहायक उपायुक्त किशोर सुपारे संदेह के घेरे में रहे। उन्हें जांच से हटा दिया गया।
इतनी हो सकती है सजा 

अधिवक्ता हितेश खंडवानी के मुताबिक आईपीसी की धाराओं के तहत आरोपी को दस वर्ष की सजा और आर्थिक जुर्माना भी हो सकता है। अन्य धाराओं, जिसमें बालकों से भिक्षा मांगने से लेकर विविध तरह से प्रताड़ित करने के मामलों में 6 महीने से लेकर 5 वर्ष की सजा और आर्थिक जुर्माने का प्रावधान है। 

कानून का दुरुपयोग
कुछ मामलों में एट्रोसिटी एक्ट का दुरुपयोग भी हुआ है। द्वेष के चलते भी कुछ मामले थाने तक पहुंचे हैं। जानकारों का कहना है कि इस कानून को कड़ाई से लागू करना चाहना चाहिए।

यह है नागपुर में दर्ज हुए मामलों की स्थिति
1 जनवरी से 30 जून 2018 तक नागपुर में सात महीने के भीतर 10 प्रकरण दर्ज हुए हैं। इसमें से कुछ आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है, लेकिन कुछ अभी भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं।

यह है एट्रोसिटी एक्ट के तहत दर्ज आंकड़ों की स्थिति 

  वर्ष                प्रकरण    दोषमुक्त    सजा
  2015            206       86             1  
  2016            234       142           12 
  2017            263       235           14 
  2018 (मार्च)    68        41              5

दोषी अधिकारी के खिलाफ भी हो सकती है कार्रवाई
संभाजी कदम उपायुक्त, अपराध शाखा के मुताबिक प्रकरण की जांच में किसी भी तरह की लापरवाही सामने आती है या शिकायत मिलती है, तो दोषी अधिकारी के खिलाफ भी अवश्य कार्रवाई होगी। 

Created On :   15 July 2018 10:30 AM GMT

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