मराठा आरक्षण पर याचिका दायर करने वाले वकील से मारपीट, पडसलगीकर सेवा विस्तार पर जवाब तलब

Attacked on lawyer who file petitions against Maratha Reservation
मराठा आरक्षण पर याचिका दायर करने वाले वकील से मारपीट, पडसलगीकर सेवा विस्तार पर जवाब तलब
मराठा आरक्षण पर याचिका दायर करने वाले वकील से मारपीट, पडसलगीकर सेवा विस्तार पर जवाब तलब

डिजिटल डेस्क, मुंबई। मराठा समुदाय को आरक्षण दिए जाने के फैसले खिलाफ दायर याचिका की पैरवी कर रहे अधिवक्ता गुणरत्न सदाव्रते पर सोमवार को बांबे हाईकोर्ट के बाहर एक युवक ने हमला कर दिया। याचिका पर सुनवाई के बाद सदाव्रते जैसे ही हाईकोर्ट के बाहर निकले वैसे ही उनसे एक युवक ने मारपीट की। इस घटना के तुरंत बाद सदाव्रते दोबारा मुख्य न्यायाधीश नरेश पाटील के सामने पहुंचे। इस दौरान उन्होंने कहा कि मराठा समुदाय को दिए गए आरक्षण के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर करने की वजह से अब तक मुझे एक हजार धमकी भरे फोन आ चुके हैं। फोन पर कहा जा रहा है कि तुम पिछड़े वर्ग के हो तुम्हे आरक्षण के विरोध में याचिका दायर करने की क्या जरुरत है? यहीं नहीं मेरे घर के बाहर आकर कुछ लोग मेरी तस्वीरे खीच रहे हैं। स्थानीय पुलिस को मैंने धमकी भरे फोनकाल की जानकारी दी है लेकिन अब तक इस मामले में कुछ नहीं किया गया।

सोमवार को भी जब मेरे उपर हमला किया उस समय भी ‘एक मराठा लाख मराठा’ का नारा लगाया गया। उन्होंने कहा कि मैंने सिर्फ मराठा समुदाय के आरक्षण के निर्णय को चुनौती दी है मेरा इसमें कोई निजी स्वार्थ नहीं है। भले ही मेरी जान क्यों न चली जाए पर मैं संवैधानिक मूल्यों व उचित मुद्दों के लिए लड़ता रहूंगा। सदाव्रते की इन दलीलों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि यह बेहद गंभीर मामला है। सरकार अधिवक्ता सदाव्रते को पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करे। यह तरीका मामले के समाधान के लिए उचित नहीं है। इससे समस्या का हल नहीं निकलेगा। इसके बाद राज्य के महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोणी ने खंडपीठ को आश्वस्त किया कि वे पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों से सदाव्रते को सुरक्षा प्रदान करने के लिए बात करेंगे। हमला करने वाले युवक का नाम वैजनाथ पाटील है और वह जालना का रहने वाला है।

पुलिस महानिदेशक पडसलगीकर के सेवा विस्तार पर सरकार से मांगा जवाब
वहीं बांबे हाईकोर्ट ने राज्य के पुलिस महानिदेशक दत्ता पडसलीकर को दिए गए सेवा विस्तार को लेकर राज्य सरकार से जवाब मांगा है। पेशे से वकील आर.आर त्रिपाठी ने श्री पड़सलगीकर के तीन महीने के सेवा विस्तार के निर्णय को हाईकोर्ट में चुनौती दी है। सोमवार को मुख्य न्यायाधीश नरेश पाटील व न्यायमूर्ति एमएस कर्णिक की खंडपीठ के सामने त्रिपाठी की याचिका सुनवाई के लिए आयी। सुनवाई के दौरान श्री त्रिपाठी ने कहा कि राज्य के पुलिस महानिदेशक को दिया गया सेवा विस्तार आल इंडिया सर्विस रुल के खिलाफ है। सरकार ने यह कह कर राज्य के पुलिस महानिदेशक को दोबारा 30 नवंबर को तीन महीने का सेवा विस्तार दिया है कि वे सरकार की एक कमेटी के पूर्णकालिक सदस्य हैं। उन्होंने कहा कि यदि राज्य के पुलिस महानिदेशक कमेटी को पूरा समय देंगे तो पुलिस महानिदेशक पद की जिम्मेदारी कैसे निभाएंगे। इसलिए महानिदेशक पडसलगीरकर को दिए गए सेवा विस्तार पर रोक लगाई जाए।

सरकारी वकील अभिनंदन व्याज्ञानी ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि सरकार अपवादजनक स्थिति में जरुरी प्रशासकीय कामकाज के लिए केंद्र सरकार की मंजूरी लेकर सेवा विस्तार दे सकती है। सरकार के पास इस संबंध में नियमों को शिथिल करने का भी अधिकार है। उन्होंने खंडपीठ के सामने कहा कि सेवा से जुडे मामलों को लेकर जनहित याचिका नहीं दायर की जा सकती। साथ ही उन्हें इस मामले में जवाब देने के लिए वक्त दिया जाए। मामले से जुडे दोनों पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने सरकार को याचिका में उठाए गए मुद्दों पर अपना रुख स्पष्ट करने को कहा और मामले की सुनवाई 17 दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दी। 
 

Created On :   10 Dec 2018 4:14 PM GMT

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