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पासपोर्ट की तर्ज पर बच्चा गोद लेने के लिए भी बनाई जाए अथॉरिटी

डिजिटल डेस्क, मुंबई । देश में हर साल करीब 4 हजार बच्चों को गोद लिया जाता है। जबकि औसतन 20 से 25 हजार दंपति हर साल बच्चा गोद लेने के लिए रजिस्ट्रेशन कराते हैं। बच्चा गोद लेने के लिए बनाए गए जटिल नियमों के चलते हजारों बच्चों को कभी ऐसे अभिभावक नहीं मिल पाते जो उनके रहन-सहन और पढ़ाई लिखाई का खर्च उठा सकें। इसे देखते हुए मुंबई की एक वकील वेदिका चौबे ने पासपोर्ट बनाने के लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रिया के तर्ज पर बच्चा गोद लेने के लिए भी अथॉरिटी नियुक्त करने की मांग की है।
चौबे ने कहा कि देश में बड़ी संख्या में अनाथ बच्चे हैं। जो भीख मांगकर गुजर बसर करते हैं। हजारों ऐसे लोग हैं जिनकी कोई संतान नहीं है, वे बच्चे गोद लेना चाहते हैं। लेकिन गोद लेने की प्रक्रिया इतनी जटिल है कि कई बार आम लोगों के लिए सारी कानूनी प्रक्रिया का पालन करते हुए बच्चा गोद लेना असंभव हो जाता है। इसी के चलते वकील चौबे ने मांग की है कि बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया सरल बनाई जानी चाहिए। जिस तरह पासपोर्ट के लिए आवेदन करने पर पुलिस सभी तरह की जांच कर अपनी रिपोर्ट सौंपती है। वही प्रक्रिया बच्चों के गोद लेने के मामले में भी अपनाई जा सकती है। इससे लोगों की भागदौड़ और परेशानी कम होगी। बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया आसान हो जाएगी। चौबे ने कहा कि मैं जब भी घर से बाहर निकलती हूं मुझे सिग्नल और फुटपाथ पर भीख मांगते बच्चे दिख जाते हैं। वहीं दूसरी ओर सिर्फ एक सप्ताह में तीन दंपतियों ने मुझसे संपर्क कर बच्चा गोद लेने की इच्छा जताई है।
एक ओर बच्चों के पास संसाधन नहीं है जिससे उन्हें रहने को घर और पढ़ाई लिखाई के अवसर मिल सके। दूसरी ओर ऐसे अभिभावक हैं जो बच्चों की चाह रखते हैं। अगर हम दोनों को मिलाने के लिए एक सरल प्रक्रिया बना पाएं तो इससे सभी को फायदा होगा। लेकिन मौजूदा कानून बेहद जटिल है। कई बार कानून के जानकार वकीलों को भी गोद लेने के पूरी कानूनी प्रक्रिया की जानकारी नहीं होती।
दो साल से भी ज्यादा वक्त लगता है
चौबे के मुताबिक फिलहाल केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण के जरिए रजिस्ट्रेशन के बाद कई सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाकर यह साबित करना पड़ता है कि आप बच्चे का पालन पोषण करने में सक्षम हैं। एजेंसियां इन दावों की जांच भी करतीं हैं। कानून के मुताबिक बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया दो साल में खत्म हो जानी चाहिए लेकिन वास्तविकता यह है कि कई मामलों में यह प्रक्रिया दो साल से ऊपर तक चलती है। चौबे ने बताया कि उत्तर प्रदेश के कानपुर में रहने वाले दंपति ने उनसे बच्चा गोद लेने के लिए संपर्क किया था। छह महीने बीत गए हैं। लेकिन दंपति अब भी सरकारी ऑफिसों के चक्कर काटकर परेशान हो रहा है। इसी कानूनी प्रक्रिया से परेशान होकर कई दंपति बिना खानापूर्ति के बच्चे अवैध रुप से खरीद लेते हैं लेकिन इसके लिए उन्हें कई बार 20 लाख रुपए तक खर्च कर करने पड़ते हैं।
Created On :   14 Dec 2020 12:44 PM IST