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किसानों को नहीं मिल रही खाद, डिमांड से 30 फीसदी कम हुई सप्लाई

डिजिटल डेस्क, कटनी। हर साल बुवाई का रकबा दस फीसदी बढ़ाया जाता है पर खाद-बीज की उपलब्धता घटती जा रही है। जिससे जिले में भी खाद संकट गहराने लगा है। वर्तमान में जिले के बहुत से क्षेत्रों में रबी फसल की बुवाई चल रही है। आने वाले दिनों में सिंचाई के पश्चात इसी के साथ यूरिया की आवश्यकता बढ़ेगी और सहकारी समितियों में यूरिया, डीएपी का स्टाक खाली है। किसानों को व्यापारियों से महंगे दामों में खाद खरीदने विवश होना पड़ रहा है। इस बार डिमांड से 30 प्रतिशत कम खाद की सप्लाई होने एवं इसमें से 50 प्रतिशत खाद व्यापारियों को आवंटित करने से खाद विक्रेताओं द्वारा जमकर मुनाफाखोरी की जा रही है। कृषि विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार जिले में पिछले रबी सीजन में 30929 मीट्रिक टन खाद का वितरण किया गया था। इस बार लक्ष्य 34500 मीट्रिक टन निर्धारित किया गया। जबकि शासन से 23810 मीट्रिक टन खाद की आपूर्ति की गई।
घटा दिया खाद का कोटा
जानकारी के अनुसार जिले में यूरिया का कोटा पिछले साल से भी कम कर दिया गया। पिछले रबी सीजन में जिले में यूरिया की खपत 14031 मीट्रिक टन थी। इस साल 16 हजार मीट्रिक की डिमांड की गई लेकिन आपूर्ति हुई केवल 9100 मीट्रिक टन। डीएपी की की पर्याप्त आपूर्ति की गई, डिमांड 7600 मीट्रिक टन के विरुद्ध 8600 मीट्रिक टन की आपूर्ति की गई। सुपर फास्सफेट की आपूर्ति कम कर दी गई। सिंगल सुपर फास्फेट की पिछले रबी सीजन में खपत 9420 मीट्रिक टन थी, इस बार डिमांड 9500 मीट्रिक टन की गई लेकिन सप्लाई हुई 4992 मीट्रिक्र टन। जबकि बोवनी में इसकी आवश्यकता अधिक होती है।
व्यापारी वसूल रहे मनमाने दाम
बोवनी एवं सिंचाई के बाद फसलों में यूरिया की आवश्यकता अधिक रहती है। सहज उपलब्धता नहीं होने का फायदा व्यापारी उठा रहे हैं। जिले की सहकारी समितियों में यूरिया एवं डीएपी खाद नहीं होने से किसानों से व्यापारी मनमाने दाम वसूल रहे हैं। 45 किलोग्राम वजन के यूरिया बैग की सहकारी समितियों में कीमत 267 रुपये है जबकि व्यापारी किसानों से 320 रुपये से लेकर 350 रुपये तक ले रहे हैं। इस बार सहकारी समितियों का कोटा घटाकर व्यापारियों को यूरिया, डीएपी, एसएसपी की सप्लाई अधिक कर दी। सहकारी समितियों के गोदाम एक पखवाड़े से खाली पड़े हैं। इसका फायदा व्यापारी उठा रहे हैं।
रबी बोवनी का रकबा बढ़ा
कृषि विभाग ने इस रबी फसलों की बुवाई का रकबा पांच फीसदी बढ़ा दिया है। पिछले साल एक लाख 77 हेक्टेयर में बुवाई हुई थी। इस बार एक लाख 81 हजार हेक्टेयर का लक्ष्य निर्धारित किया है। जिसमें से एक लाख 42 हजार हेक्टेयर में बोवनी हो चुकी है। गेहूं का रबका सर्वाधिक एक लाख छह हजार हेक्टेयर है जिसमें से 70 हजार हेक्टेयर में बोवनी हो चुकी है। दलहनों में चना का रकबा सबसे 48 हजार हेक्टेयर है। जिसमें से 46 हजार हेक्टेयर में बोवनी हो चुकी है।
इनका कहना है
सहकारी समितियों द्वारा उर्वरक की राशि 19 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान नहीं करने के कारण इस बार कोटा 50 प्रतिशत कर दिया है और 50 प्रतिशत उर्वरक प्राइवेट विक्रेताओं को आवंटित किया गया है। ज्यादा कीमत वसूलने की शिकायत पर दुकानदारों के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी। -ए.के.राठौर उप संचालक कृषि
Created On :   22 Dec 2018 2:32 PM IST