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मवेशियों को ठंड से बचाने अलाव लगाया जाए- सीएम हेल्पलाइन में अजब-गजब शिकायतें

डिजिटल डेस्क सिंगरौली (वैढऩ)।सीएम हेल्प लाइन वैसे तो जनता की समस्याओं के निदान का बहुत ही उपयोगी मंच है। प्रतिमाह इस हेल्प लाइन में एक हजार से अधिक शिकायतें दर्ज होती हैं। यह आंकड़ा मात्र सिंगरौली जिले का है। जिले के अफसर भी कोशिश करते हैं कि जो शिकायतें दर्ज हों उनका निराकरण लेबल-थ्री में ही कर लिया जाये। लेकिन कई बार ऐसी-ऐसी शिकायत आ जाती हैं कि उनका निदान करना भी संभव नहीं होता है। ऐसे में संबंधित अधिकारी शिकायतकर्ता को समझा-बुझाकर शिकायत कटवाने के लिये तैयार करते हैं। कई बार जब शिकायतकर्ता तैयार नहीं होता है तो फिर अधिकारी भी मजबूर हो जाते हैं। 17 जनवरी को मोरवा के वार्ड-8 के एक गुप्ता जी ने शिकायत की कि सिंगरौली में मवेशियों को सर्दी से बचाने के लिये अलाव नहीं जलाये जा रहे हैं। जिससे मवेशियों को ठंड से बहुत परेशानी हो रही है। जिससे वह मर भी सकते हैं। निवेदन है कि जल्द से जल्द सिंगरौली में मवेशियों के लिये ठंड से बचने हेतु अलावा लगाये जायें, जिससे मवेशियों को राहत मिल सके। अभी तो शिकायत लेबल 3 में है और ठंड भी खत्म हो गयी है। लेकिन शिकायतकर्ता अपनी मांग पर अड़ा हुआ है। निगम अधिकारियों को समझ में नहीं आ रहा कि उसे कैसे समझाया जाय।
नंबर कटेंगे तो खराब होगी रेटिंग
सीएम हेल्प लाइन में व्यवस्था की गयी है कि यदि शिकायतकर्ता को संतुष्ट नहीं किया गया तो माइनस मार्किंग होगी। अब चूंकि शिकायतकर्ता संतुष्ट हो ही नहीं रहा है तो माइनस मार्किंग होनी तय है। रेटिंग में नंबर वन पर बरकरार रहने के लिये नगर निगम एक-एक अंक प्राप्त करने के लिये शिकायतों का निराकरण अच्छे ढंग से करता है ताकि शिकायतकर्ता संतुष्ट रहे। क्योंकि वह संतुष्ट रहेगा तभी अपने को अच्छे अंक मिलेंगे। लेकिन हर महीने ऐसी एक-दो शिकायतें आ ही जाती हैं जिनका निराकरण संभव नहीं होता। एक शिकायत के निराकरण के नंबर तो 3 मिलते हैं लेकिन जब कटते हैं तो 5 अथवा 6 भी हो सकते हैं।
कैसे-कैसे नहीं समझाया?
इस संबंध में नगर निगम के अधिकारी कहते हैं कि हमने फोन कर शिकायतकर्ता को समझाने की कोशिश की, लेकिन वह मानने को तैयार नहीं हैं। उन्हेंने बताया कि हमने शिकायतकर्ता से कहाकि अब चूंकि ठंड खत्म ही हो गयी है इसलिये अब अलाव की आवश्यकता नहीं है। जब आवश्यकता ही खत्म हो गयी है तो फिर शिकायत वापस ले लीजिये। इस पर वह तैयार नहीं हुए। फिर उन्होंने प्रस्ताव रखा कि मोरवा में कितने जगह अलाव जलवाये जायें जिससे सभी मवेशियों को राहत मिल जाये। क्योंकि मवेशियों को अलाव तक लाया नहीं जा सकता। वह कुछ भी मानने को तैयार नहीं हैं और कहते हैं कि व्यवस्था तो होनी ही चाहिये।
Created On :   5 Feb 2018 1:21 PM IST