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जर्जर और बरसात से फाॅरेंसिक लैब के बुरे हाल

डिजिटल डेस्क, नागपुर। उपराजधानी में रहाटे काॅलोनी के समीप स्थित प्रादेशिक न्यायवैद्यक प्रयोगशाला के बुरे हाल हैं। जघन्य अपराधों सहित नियमित पुलिस केस में न्यायवैद्यक परीक्षण की आवश्यकता होती है, लेकिन इस प्रयोगशाला की स्थिति बेहद खस्ताहाल हो चुकी है। 57 साल पुरानी इमारत के परिसर में ऊंचे सीमेंट रास्तों के चलते जलजमाव हो रहा है। जलजमाव के चलते नमूनों की जांच सहित पूरी प्रक्रिया थम रही है। इमारत के निर्माणकार्य के लिए दो साल पहले मुंबई कार्यालय को प्रस्ताव भेजा गया था, लेकिन मुंबई कार्यालय से मंजूरी नहीं मिली, वहीं आला-अधिकारियों को प्रस्ताव की जानकारी तक नहीं है। तीन साल पहले स्ट्रक्चर आॅडिट में इमारत के लिए पांच साल की समयावधि निर्धारित की गई थी, सरकारी लापरवाही में दो साल बीत जाने के बाद भी हलचल होती नजर नहीं आ रही है।
55 करोड़ का प्रस्ताव
उपराजधानी की प्रादेशिक न्यायवैद्यक प्रयोगशाला के बरसात में बुरे हाल हो रहे हैं। दो सप्ताह पहले बरसात के दौरान उपसंचालय की कार सहित प्रयोगशाला के करीब 13 एसी खराब हो गए हैं। अधिकारियों के क्वार्टर में पानी के जमा होने से आपदा प्रबंधन विभाग की सहायता से बचाव करना पड़ा है। साल 2000 में समीप के रास्तों की ऊंचाई बढ़ाकर सीमेंटीकरण होने से करीब 3.50 फीट का अंतर आ गया है। सीमेंटीकरण में ड्रेनेज सिस्टम के बंद होने और पिछले हिस्से में जेल के खेत तालाब का पानी भी जमा हो रहा है। नई इमारत के निर्माणकार्य के लिए 55 करोड़ का प्रस्ताव लोकनिर्माण विभाग ने बनाकर मुंबई कार्यालय भेजा है, लेकिन इस प्रस्ताव को अब तक मंजूरी नहीं दी गई है। ऐसे में सालाना करीब 50 हजार से अधिक मामलों में विशेषज्ञ रिपोर्ट देने वाली प्रयोगशाला के बुरे हाल हो रहे हैं।
केस का बोझ, सुविधा नहीं
1965 में करीब 20,000 वर्ग मीटर क्षेत्र में प्रयोगशाला की मुख्य इमारत और अधिकारी-कर्मचारी क्वार्टर का निर्माण किया गया था। प्रयोगशाला में 7 विभाग कार्यरत हैं, इनमें बैलेस्टिक, टाक्सीलॉजी, बायोलॉजी, प्रोहिबिशन एंड एक्साइज, जनरल एनालिटिकल एंड इंस्ट्रूमेंटेशन, डीएनए, साइबर एंड तासी का समावेश है। प्रयोगशाला में उपसंचालक सहित 115 अधिकारी एवं कर्मचारी कार्यरत हैं। 7 विभागों के लिए विशेषज्ञ अधिकारी के रूप में 40 विशेषज्ञ मौजूद हैं। विदर्भ में अव्वल स्थान पर प्रयोगशाला का शुमार होता है। सालाना करीब 50 हजार से अधिक मामले आते हैं, जबकि अमरावती की प्रयोगशाला में 30,000 मामले आते हैं। तीन साल पहले ही अमरावती की नई इमारत का निर्माणकार्य कर सुविधाएं प्रदान की गई हैं। वहीं काम का बोझ अधिक होने के बाद भी नागपुर प्रयोगशाला की इमारत के लिए पहल नहीं हो रही है।
जानकारी लेनी पड़ेगी
नागपुर स्थित प्रादेशिक प्रयोगशाला के प्रस्ताव के बारे में मुझे जानकारी नहीं है। इस मामले में स्थानीय अधिकारियों या लोकनिर्माण विभाग से जानकारी लेना होगा।
- डॉ. संगीता घुमटकर, प्रभारी संचालक, न्यायवैद्यक प्रयोगशाला विभाग, मुंबई
Created On :   3 Sept 2022 3:51 PM IST