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मौसम की बेरुखी, तबाह हुए टमाटर के बगीचे, पत्तियां काली होकर सूखी

डिजिटल डेस्क, छिंदवाड़ा। सब्जी उत्पादन के मामले मेंं अव्वल जिले के किसानों ने इस साल टमाटर की खेती में जबरदस्त रुचि दिखाई। पहली तुड़ाई में मिले दाम से किसानों को अच्छी आमदनी की उम्मीद थी। मौसम ने अचानक करवट बदली, बारिश के साथ तापमान में गिरावट से महज दो दिन में हरे भरे बगीचे काले नजर आने लगे। पत्तियां काली होकर सूखने लगी, पौधों में अब केवल हरे पीले टमाटर नजर आ रहे हैं। प्रकृति के इस प्रकोप से किसानों को प्रति एकड़ एक से सवा लाख रुपए का नुकसान होने का अनुमान लगाया जा रहा है।
बीते एक सप्ताह में बादलों की आवाजाही और तापमान में उतार चढ़ाव से टमाटर के बगीचों में जबरदस्त नुकसान हुआ है। इस बार पिछले साल की तुलना में टमाटर का क्षेत्रफल बहुत ज्यादा था। लेकिन मौसम की मार से उत्पादन पर असर पड़ेगा। वर्तमान में टमाटर के थोक दाम २५ से ३० रुपए किलो के बीच स्थित हैं, आने वाले समय में टमाटर उत्पादन कम हुआ तो टमाटर के दामों में जमकर उछाल आ सकता है।
एक रात में तबाह हो गए बगीचे
इस वर्ष जिले में लगभग १500 हेक्टेयर में टमाटर की फसल लगी हुई है। लगातार बारिश की वजह से कई बगीचे पहले ही तबाह हो गए। ढलान वाले खेतों में जहां पानी का भराव नहीं हुआ वहां बगीचे सुरक्षित बच गए। किसानों को पहली तुड़ाई में अच्छे दाम भी मिल रहे थे। भुताई के किसान घनश्याम पराडकर ने बताया कि पांच दिन पहले छाए कोहरे के कारण एक रात में ही बगीचे तबाह हो गए।
सब्जी उत्पादक किसान शैलेष भादे का कहना है कि एक एकड़ में टमाटर का बगीचा तैयार करने में लगभग डेढ़ लाख रुपए खर्च होते हैं। प्राकृतिक आपदा से जिन किसानों के बगीचे खराब हुए हैं उन्हें प्रदेश सरकार राजस्व नियमों के तहत मुआवजा राशि बांटे।
किसानों के लिए सलाह
उद्यानिकी विभाग के उप संचालक आरके कोरी का कहना है कि नवरात्र के बाद से दिन और रात के तापमान के ज्यादा अंतर होने के कारण टमाटर की फसलों पर प्रतिकूल असर पड़ा है। पौधों में बैक्टिीरियल विल्टस का प्रकोप नजर आ रहा है। किसान कॉपर आक्सीक्लोराइड ३ ग्राम प्रति लीटर का छिडक़ाव कर सकते हैं।
Created On :   19 Oct 2022 11:42 PM IST