कोरोना के कारण जमानत कैदी का अधिकार नहीं: बॉम्बे हाईकोर्ट

Bail prisoner not empowered due to Corona: Mumbai High Court
कोरोना के कारण जमानत कैदी का अधिकार नहीं: बॉम्बे हाईकोर्ट
कोरोना के कारण जमानत कैदी का अधिकार नहीं: बॉम्बे हाईकोर्ट

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में कहा कि कोरोना के प्रकोप के मद्देनजर अंशकालिक जमानत पर छूटना हर कैदी का अधिकार नहीं है। राज्य सरकार ने कोरोना संकट के बीच जेल में भीड़ को कम करने के लिए कैदियों पर कृपा दिखाई है। लिहाजा अंशकालिक जमानत पर छोड़ने को हर कैदी अधिकार के रुप में  दावा नहीं कर सकता है। मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता की खंडपीठ ने यह फैसला प्रीति प्रसाद की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद सुनाया है। दरअसल कोरोना के चलते जेल में भीड़ को कम करने के लिए राज्य सरकार ने उच्चाधिकार कमेटी गठित की है। जिसे ऐसे कैदियों को रिहा करने का अधिकार दिया गया है जिन्हें सात साल की सजा सुनाई गई है, अथवा जो ऐसे अपराध में विचाराधीन कैदी है। जिसमें सात साल की सजा का प्रावधान है। इसके अंतर्गत विशेष कानून जैसे अवैध गतिविधि प्रतिबंधक कानून, प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग कानून व  एमपीआईडी कानून सहित अन्य कानून के तहत जेल में बंद कैदियों को नहीं छोड़ा जाएगा। याचिका में इसे भेदभाव पूर्ण बताया गया था। याचिकाकर्ता के पति को एमपीआईडी कानून के तहत जेल में रखा गया है। जिसे कमेटी से राहत नहीं मिली है।

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील समीर वैद्य ने कहा कि कैदियों को रिहा करने को लेकर की गई व्यवस्था उचित नहीं है। इन दलीलों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि कोरोना के प्रकोप के बीच जेल से कैदियों को अंशकालिक जमानत पर रिहा कर सरकार ने अनुग्रह दिखाया है। हर कैदी इसे अपना अधिकार नहीं बता सकता। विशेष कानून के तहत मुकदमे का सामना कर रहे कैदी नियमित कोर्ट में जमानत के लिए जाए। इस तरह से खंडपीठ ने मामले की सुनवाई 14 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दी।

Created On :   3 July 2020 12:48 PM GMT

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