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विदेश तक पहुंची बांस से बनी राखियां

डिजिटल डेस्क,नागपुर। रक्षाबंधन के त्यौहार में कुछ ही समय बाकी है। ऐसे में बाजारों में राखियों की रौनक बढ़ गई है। बाजारों में चायन मेड राखियों की डिमांड होती है, वहीं अमरवती के मेलघाट आदिवासी क्षेत्र में बांस से बनी राखियों की डिमांड है।
गौरतलब है कि इस समय बाजारों में देशी-विदेशी और चायना की राखी चारों तरफ सजी हुई है, हालांकि इस वस्तु की खरीदी भी जमकर होती है, लेकिन मेलघाट में बांस से बनी राखी का अपना अलग महत्व होता है। बांस से तैयार की गई राखियां ने सिर्फ मेलघाट में बल्कि देश-विदेश में भी अपनी एक अलग पहचान बना चुकी है। आदिवासी तहसील के लवादा में संपूर्ण बांस प्रशिक्षण केंद्र में आदिवासी कलाकारों को बांस से हर प्रकार की वस्तुएं तैयार करने का विशेष प्रशिक्षण नि:शुल्क दिया जाता है। इन कलाकारों की बनाई राखियां अलग-अलग प्रकार की डिजाइन के तौर पर बनाया गई हैं।
लवाश स्थित संपूर्ण बांस प्रशिक्षण केंद्र के कलाकारों के हाथों से बनाई गईं एक से बढ़कर एक बांस की राखियां अपनी विशेष पहचान बना रहीं हैं। साथ ही बेकार बांस से तैयार की गई यह राखियां पर्यावरण बचाने का भी संदेश देती है। बेरोजगार युवक अपनी मेहनत से अपनी कला को राखियों का आकार देकर देशभर में एक अलग पहचान बना रहे हैं।
Created On :   29 July 2017 11:59 AM IST