- Home
- /
- बुटीबोरी उड़ानपुल के लिए अधिगृहीत...
बुटीबोरी उड़ानपुल के लिए अधिगृहीत जमीन को लेकर बैंक ने भेजा नोटिस, होगी नीलामी

डिजिटल डेस्क, नागपुर। वर्धा मार्ग पर सबसे व्यस्त चौक कहे जाने वाले बुटीबोरी चौराहे को इस संकट से मुक्ति दिलाने के लिए राष्ट्रीय महामार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने वहां करीब 1.69 किलोमीटर का उड़ानपुल तैयार किया है। इसके लिए मार्ग के दोनों ओर की जमीन एनएचएआई ने अधिगृहीत की है। इसमें मार्ग से लगी आयुर्वेदा इंटरनेशनल कंपनी की जमीन का हिस्सा भी है। आयुर्वेदा ने अपने प्रोजेक्ट के लिए बैंक ऑफ इंडिया से कर्ज लिया था, लेकिन कर्ज के भुगतान पर विवाद के कारण बैंक ने उसे एनपीए में दिखाया और अब कंपनी की गिरवी जमीन को नीलामी के लिए नोटिस जारी किया है। इस नोटिस से अब बुटीबोरी उड़ानपुल के लिए अधिगृहीत जमीन के भी नीलाम होने का संकट मंडरा रहा है। इस तकनीकी पहलुओं को लेकर अब प्रशासन के विविध विभाग भी अपनी-अपनी जिम्मेदारी से बचने का प्रयास करते दिख रहे हैं।
प्रोजेक्ट की जमीन गिरवी रखी गई
गौरतलब है कि 2012 से एनएचएआई ने बुटीबोरी उड़ानपुल बनाने की प्रक्रिया शुरू की थी। 2017 में इसका कार्य आरंभ हुआ। इसके लिए वर्धा रोड के दोनों तरफ करीब 7.5-7.5 मीटर की जमीन अधिगृहीत की गई थी। नागपुर से वर्धा के लिए जाते समय दाएं हाथ पर आयुर्वेदा इंटरनेशनल का बड़ा प्रोजेक्ट तैयार हो रहा था। एमआईडीसी ने इसके लिए आयुर्वेदा को करीब 5 एकड़ की जमीन लीज पर दी थी। इस जमीन पर प्रोजेक्ट डालने के लिए आयुर्वेदा ने बैंक ऑफ इंडिया, धरमपेठ शाखा में 4.65 करोड़ रुपए के कर्ज के लिए आवेदन किया था। इसके लिए प्रोजेक्ट की जमीन गिरवी रखी गई, जिसके बाद कर्ज मंजूर हुआ।
आयुर्वेदा इंटरनेशनल का अपना दावा
हालांकि आयुर्वेदा इंटरनेशनल का दावा है कि उसे बैंक ने कंस्ट्रक्शन के लिए सिर्फ 2.62 करोड़ रुपए ही दिए हैं। 1.38 करोड़ रुपए अब तक नहीं मिले। यह पैसा नहीं मिलने से इंस्ट्रूमेंट और इक्विपमेंट का काम पूरा नहीं हो सका। प्रोजेक्ट अधूरा रहा। आयुर्वेदा का यह भी दावा है कि उसने 1 करोड़ का कर्ज वापस लौटाया है। 1.60 करोड़ रुपए के लिए समझौता हुआ। 8 लाख 25 हजार रुपए की पेशगी भी दी गई, लेकिन बैंक के अधिकारी के बदलते ही सब कुछ बदल गया। 2014 में उसे एनपीए में डाल दिया गया। इस बीच एनएचएआई ने बुटीबोरी उड़ानपुल के लिए आवश्यक जमीन के लिए अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू कर दी। दोनों तरफ से उसने 7.5-7.5 मीटर जमीन अधिगृहीत की। इसमें आयुर्वेदा इंटरनेशनल की करीब 1.25 एकड़ जमीन अधिगृहीत होने का दावा है। हालांकि अधिग्रहण में आयुर्वेदा की जमीन कृषि भूमि बताया गया है, जबकि एमआईडीसी की लीज में इसे कमर्शियल भूखंड दर्शाया गया है।
मुआवजे के रूप में उसे बेहद कम राशि मिलने की जानकारी है। मामला इसके बाद और बिगड़ गया। एक रुपए मुआवजा मिलने से आयुर्वेदा ने कर्ज भुगतान करने से हाथ खड़े कर दिए। बैंक को कर्ज का भुगतान नहीं होने से उसने आयुर्वेदा इंटरनेशनल की गिरवी रखी जमीन को ही नीलाम करने का निर्णय लिया। पिछले महीने इसके लिए नोटिस जारी किया गया। महत्वपूर्ण यह है कि जिस जमीन को नीलाम किया जा रहा है, उसमें बुटीबोरी उड़ानपुल का हिस्सा भी आ रहा है। ऐसे में उड़ानपुल के लिए अधिगृहीत जमीन कोई बैंक कैसे नीलाम कर सकता है, इसे लेकर सवाल बना हुआ है।
हमने चार बार ऑफर लेटर दिया है
अकाउंट एनपीए में है। प्राॅपर्टी हमारे कब्जे में है। नीलामी के लिए एमआईडीसी को दो बार पत्र दिया है। उनसे कोई जवाब नहीं मिला है। अगर बुटीबोरी उड़ानपुल का कुछ हिस्सा आ रहा है, तो उसे छोड़कर ओपन स्पेस को नीलाम किया जाएगा। एनएचएआई ने बिल्डिंग तो अधिगृहीत नहीं की है। नीलामी से पहले आयुर्वेदा को चार बार ऑफर लेटर भी दिया है, लेकिन चारों बार उन्होंने सहमति जताने के बाद कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। उड़ानपुल यानी नालियों के बाहर की जो जमीन है, वह नीलाम होगी। -मनोहर पिंपलीकर, प्रबंधक, धरमपेठ शाखा, बैंक ऑफ इंडिया
हमने इसकी जानकारी ली है
करीब 4 करोड़ का कर्ज है। काफी पहले इसे एनपीए में डाला गया है। उनसे समझौता भी हुआ, लेकिन अब तक पैसा नहीं दिया। जिस समय उन्हें कर्ज दिया गया था, उस समय जमीन अधिगृहीत नहीं हुई थी। अगर सरकार ने एक रुपए मुआवजा दिया है तो सरकार हमें जो देगी, हम ले लेंगे। वे जमीन को नीलाम नहीं होने देना चाहते हैं। - सुरेश सिर्सेकर, मुख्य प्रबंधक, बैंक ऑफ इंडिया
हमने एमआईडीसी से जमीन ली
उड़ानपुल के लिए वर्धा रोड के दोनों तरफ 7.5-7.5 मीटर जमीन अधिगृहीत की गई थी। यह जमीन हमने एमआईडीसी से ली है। अब यह निजी है या सरकारी, हमारा संबंध नहीं है। एमआईडीसी ने किसे लीज पर दी थी, उसे पता। हमारा कोई लेना-देना नहीं है।
समय निकोसे,
डीजीएम, एनएचएआई बैंक को कंसेंट लेटर दिया था
इस संबंध में काफी पहले बैंक का एक पत्र आया था। उसका कंसेट लेटर दिया था। अब नया कोई पत्र आया है, तो उसका भी जवाब दिया जाएगा। उड़ानपुल के लिए अधिगृहीत जमीन का हिस्सा नीलाम नहीं हो सकता है। आयुर्वेदा से बैंक के व्यवहार को लेकर हम जानकारी नहीं दे सकते। -भानुदास यादव, क्षेत्रीय प्रबंधक, एमआईडीसी
हम पर अन्याय हो रहा है
हमने बैंक को सहयोग किया है। बैंक ने हमारे प्रोजेक्ट को नुकसान पहुंचाया है। 2010 में कर्ज मंजूर करने के बाद भी 2 साल तक पैसा नहीं दिया गया। इसके बाद करीब डेढ़ साल में ही एनपीए घोषित कर दिया गया। एनपीए होने के बाद 2 करोड़ ब्याज के रूप में ले लिया। 12 करोड़ रुपए बढ़ाकर देने के नाम पर लाखों रुपए खर्च करवाया गया। हमारे खाते में धांधलियों का अंबार दिखाया गया। आरटीआई में जानकारी मांगने के बावजूद कागज नहीं दे रहे हैं। 1.60 करोड़ ओटीएस करने के बाद भी हमें न बताते हुए जमीन नीलामी के लिए निकाल दी है। इस पर सरफेस एक्ट लागू नहीं होता है। हम पर अन्याय हो रहा है। हमने कोर्ट में बैंक और एनएचआई के खिलाफ केस किया है। हमें न्याय पर भरोसा है। -प्रो. गोपीनाथ तिवारी, आयुर्वेदा इंटरनेशनल, बुटीबोरी
Created On :   26 May 2021 11:03 AM IST