साल दर साल कम हो रही बीड़ी की मांग, तेंदूपत्ता कलेक्शन भी कम

Beedi demand is decreasing year after year, Tadupatta collection also reduced
  साल दर साल कम हो रही बीड़ी की मांग, तेंदूपत्ता कलेक्शन भी कम
  साल दर साल कम हो रही बीड़ी की मांग, तेंदूपत्ता कलेक्शन भी कम

डिजिटल डेस्क, नागपुर। राज्यभर में बीड़ी की मांग साल दर साल कम होने से इससे मिलने वाला राजस्व तेजी से कम होते दिखाई दे रहा है। नागपुर प्रादेशिक वन विभाग की बात करें तो गत 3 साल में 14 करोड़ रुपये तक का राजस्व कम हुआ है। जिसके कारण इस पर निर्भर रहने वाले मजदूरों को भविष्य में तेंदूपत्ता से मजदूरी भी मिलेगी या नहीं कहना मुश्किल है।

तेंदूपत्ता से राज्यभर में बीड़ी का उत्पादन होता है। कई वर्ष पहले की बात करें तो राज्यभर में बीड़ी की खूब मांग थी। जिससे इसे बनानेवाले कारखाने भी फल-फूल रहे थे। लेकिन बदलते समयानुसार बीड़ी की मांग घटने लगी है। यही कारण है, कि कई कारखाने बंद पड़ गये हैं। गिने-चुने कारखाने जरूर हैं, जो अब भी बीड़ी बनाने का काम कर रहे हैं। इन कारखानों में वन विभाग से निकलने वाला तेंदूपत्ता दलालों के माध्यम से बेचा जाता है। वन विभाग नागपुर प्रादेशिक इलाके की बात करें तो दक्षिण उमरेड़, उत्तर उमरेड़, नरखेड, कोंढाली, काटोल, हिंगणा, देवलापार, पारशिवनी, रामटेक, पवनी, कलमेश्वर, सेमिनरी हिल्स, बुटीबोरी, खापा आदि इलाके शामिल है। जहां 15 हजार से ज्यादा मजदूर बीड़ी के लिए तेंदूपत्ता जमा करने का काम करते हैं।

 वन विभाग इन्हें इसके बदले मजदूरी भी देता है। सरकार की ओर से बिकने वाले तेंदूपत्ता से मजदूरों को बोनस भी दिया जाता है।  लगातार बीड़ी की मांग कम होने के कारण बोनस भी खरीदारों में कमी आ रही है। इसका सीधा असर इसकी बिक्री दाम पर पड़ रहा है। गत 3 साल में 14 करोड़ रुपये की कमी इसके बिक्री में आई है। आंकड़ों की बात करें तो वर्ष 2017 में 32 यूनिट ने इसकी खरीदी कर बिक्री का दाम 21 करोड़ 13 लाख रुपये दिया था। इसके अगले साल 2018 में 31 यूनिट ने तेंदूपत्ता खरूदी करते हुए 11 करोड़ 29 लाख बिक्री दाम दिया था। 2019 में इतने ही यूनिट ने बिक्री दाम महज 7 करोड़ 94 लाख रुपये दिया है। इसी तरह बिक्री कम दाम पर होने से मजदूरों को भी मिलनेवाले बोनस में काफी कमी आ रही है। आने वाले समय में तेंदुपत्ता तोड़नेवाले मजदूरों पर संकट के बादल मंडराते दिख रहे हैं।

जंगलों से तेंदूपत्ता कम नहीं हो रहा है। बल्कि इसकी मांग कम होने से लगातार दाम कम हो रहा है। जिससे इससे मिलनेवाला राजस्व भी लगातार कम हो रहा है। - डॉ. प्रभुनाथ शुक्ला, उपवनसंरक्षक ( प्रादेशिक) वन विभाग नागपुर

Created On :   17 April 2020 4:45 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story