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साइबर अपराधों से निपटने के लिए बेहतर कानून और केंद्रीय एजेंसी की जरूरत

डिजिटल डेस्क, मुंबई। देश की आर्थिक राजधानी मुंबई समेत देशभर में साइबर अपराध बढ़ रहे हैं और पुलिस इन अपराधियों के आगे बेबस नजर आ रही है। पुलिस और सरकार लगातार लोगों से जागरूक रहने की अपील कर रहे हैं लेकिन साइबर अपराध विशेषज्ञों का मानना है कि यह अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ने की कोशिश है क्योंकि जब तक सरकार बेहतर कानून बनाकर केंद्रीय सरकार के स्तर पर साइबर अपराधों की छानबीन का जिम्मा नहीं लेती ठग लोगों को चूना लगाने के तरीके ढूंढते रहेंगे। जाने माने साइबर अपराध विशेषज्ञ रितेश भाटिया ने कहा कि देश की पुलिस राज्यों की सीमाओं में बंधी है और साइबर अपराधी देश ही नहीं दुनिया के किसी भी हिस्से में बैठकर वारदात अंजाम दे सकते हैं।
ऐसे में इन अपराधियों से निपटने के लिए भी केंद्रीय गृहमंत्रालय के अधीन संगठन बनाया जाना चाहिए क्योंकि जांच में सबसे बड़ी रुकावट दूसरे राज्यों में जाकर की जाने वाली कार्रवाई है। अगर काफी मशक्कत के बाद आरोपी को पकड़ लिया जाए तो भी उसे आसानी से जमानत मिल जाती है और अपराधी से पुलिस पैसे भी बरामद नहीं कर पाती। भाटिया ने कहा कि सरकार को नजर आ रहा है कि लोग रोज ठगी के शिकार हो रहे हैं लेकिन वह लोगों को ऑनलाइन भुगतान के लिए तो प्रोत्साहित करती हैं लेकिन कोई गड़बड़ी होने पर जिम्मेदारी स्वीकार नहीं करती। साइबर ठगी के मामलों में पैसे ऑनलाइन एक खाते से दूसरे खाते में जाते हैं। सारी व्यवस्थाएं ऑनलाइन हैं तो ठगी के लिए इस्तेमाल होने वाले एकाउंट पर लगाम क्यों नहीं लगाई जा सकती। इसके अलावा कर्ज के नाम पर लोगों से जबरन वसूली की कई शिकायतें आ रहीं हैं इसलिए सरकार को नियम बनाना चाहिए कि इस तरह के लोन ऐप आरबीआई की मंजूरी के बिना प्लेस्टोर पर नहीं आने चाहिए।
साइबर अपराध विशेषज्ञ और वकील डॉक्टर प्रशांत माली के मुताबिक केंद्र सरकार को लोन ऐप पर लगाम लगाने के लिए निगरानी समिति (मॉनिटरिंग कमेटी) गठित करनी चाहिए जो गूगल से तालमेल करे। शिकायत मिलते ही समिति गूगल से ऐसे ऐप हटाने को कहे जिसके बाद गूगल को नियमों के मुताबिक तुरंत कार्रवाई करनी होगी। इस तरह के ऐप पेमेंट गेट वे कंपनियों की मदद से चलते हैं। ऐसे मामलों में ऑनलाइन लेन देन होता है जो पेमेंट गेटवे के बिना संभव नहीं है। सरकार जब तक चीनी कंपनियों की मदद करने के लिए पेमेंट गेटवे कंपनियों पर शिकंजा नहीं कसती ठगी का यह कारोबार चलता रहेगा। अगर सरकार इस तरह कर्ज देकर लोगों से कई गुना वसूली करने वाली कंपनियों की मदद करने वाले पेमेंट गेटवे पर जुर्माने और जेल का प्रावधान कर दे तो इस तरह की ठगी बंद हो जाएगी। ऐप पर पाबंदी के बाद लोगों को सोशल मीडिया पर लिंक भेजकर भी ठगी शुरू हो गई है। पेमेंट गेटवे कंपनियों पर शिकंजा कसने से इसका भी हल निकल आएगा। सरकार कड़े कानून नहीं बना पा रही है अपराधी इसी का फायदा उठा रहे हैं। माली के मुताबिक चीनी ऐप कर्ज देने से पहले लोगों के कांटैक्ट डीटेल, गैलरी, आदि से जुड़ी सारी जानकारी ले लेती है। वे आसानी से ऐसा कर पातीं हैं क्योंकि देश में अब तक डेटा प्रोटेक्शन से जुड़ा कानून नहीं बना है। साल 2006 से लंबित गोपनीयता और डेटा प्रोटेक्शन कानून को जल्द से जल्द पारित किया जाना चाहिए क्योंकि इसके बिना भारतीयों के डेटा के साथ खिलवाड़ होता रहेगा।
Created On :   6 Nov 2022 6:28 PM IST