गुरु की शरण के बिना भवसागर नहीं होते पार: राम दुलारे पाठक 

Bhavsagar cannot be crossed without Gurus refuge: Ram Dulare Pathak
गुरु की शरण के बिना भवसागर नहीं होते पार: राम दुलारे पाठक 
पन्ना गुरु की शरण के बिना भवसागर नहीं होते पार: राम दुलारे पाठक 

डिजिटल डेस्क पन्ना। श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन धुव्र चरित अजमिल एवं प्रहलाद चरित्र के विस्तार पूर्वक वर्णन के साथ संगीतमय प्रवचन दिए। संत भगतराम ने कहा कि जब तक जीव माता के गर्भ में रहता है तब तक वह बाहर निकलने के लिये छटपटाता रहता है। उस समय वह जीव बाहर निकलने के लिये ईश्वर से अनेक प्रकार के वादे करता है। गुरू की महत्ता हमारे जीवन में अनुपम है क्योंकि गुरू के बिना हम जीवन का सार ही नहीं समझ सकते हैं लेकिन हमेशा इस बात का सदैव ही ध्यान रखना चाहिए कि गुरू के समक्ष चंचलता नहीं करनी चाहिए और सदा ही अल्पवासी होना चाहिए। जितनी आवश्यकता है उतना ही बोलें और जितना अधिक हो सके गुरू की वाणी का श्रवण करें। यह विचार पन्ना नगर के नन्हा दीवाला श्री जगन्नाथ मंदिर में चल रहे महायज्ञ में श्रीमदभागवत कथा के दूसरे दिन व्याकरण आचार्य राम दुलारे पाठक महाराज ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि गुरू चरणों की सेवा का अवसर मिलना परम सौभाग्य होता है जो अनमोल है। श्रीमद्भागवत कथा के मुख्य स्त्रोता सेवानिवृत्त नगरपालिका के मुख्य लिपिक रमेश रैकवार एवं उनकी धर्मपत्नी है। श्रीमद् भागवत कथा पुराण के आयोजक रैकवार परिवार ने नगर की समस्त कथा प्रेमी भाइयों एवं बहिनों से आग्रह किया है कि अधिक से अधिक संख्या में कथा में शामिल होकर धर्मलाभ उठायें। 

Created On :   26 Nov 2022 2:00 PM IST

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