बर्थडे स्पेशल: जैत की गलियों से मप्र के सीएम हाउस तक पहुंचने का सफर

Birthday special : know interesting facts about shivraj singh life
बर्थडे स्पेशल: जैत की गलियों से मप्र के सीएम हाउस तक पहुंचने का सफर
बर्थडे स्पेशल: जैत की गलियों से मप्र के सीएम हाउस तक पहुंचने का सफर

डिजिटल डेस्क,भोपाल। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश की बेटियों में मामा के नाम से विख्यात हो चुके शिवराज सिंह चौहान आज अपना जन्मदिन मना रहे हैं। शिवराज सिंह 58 साल के हो गए हैं। सामाजिक और राजनैतिक जीवन में जबरजस्त सामंजस्य स्थापित करने की काबिलियत ने उनको सफलता के शिखर तक पहुंचाया है।आज हम आपको उनके जीवन से जुड़ी हर वो चीज बताने जा रहे हैं जो उन्हें एक अलग ही नेता बनाता है।

 

राजनीति में शिवराज जिस मुकाम पर है उसे हासिल करने के लिए शिवराज बेहद संघर्ष के दौर से गुजरे है। अनुभव की आग में तपकर इंसान बेहद परिपक्व बनता है और ऐसा ही कुछ शिवराज सिंह चौहान के साथ है। गांव की इन गलियों से निकलकर मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचने वाला ये शख्स आज भी जब गांव लौटता है तो लोगों को वो ही शिवराज नजर आता है। मध्य प्रदेश के विदिशा जिले के छोटे से गांव बुदनी में 5 मार्च 1959 को जन्मे शिवराज से सीएम शिवराज बनने का सफर काफी दिलचस्प है। महज 9 साल की उम्र में ही उन्होंने राजनीति का पाठ पढ़ लिया था अगर ये कहे तो कुछ गलत नहीं होगा। इतनी छोटी सी उम्र में कोई मजदूरों की मेहनत का वाजिब मेहनताना दिलाने के लिए आंदोलन चला सकता है शायद ही किसी ने सोचा होगा।


9 साल की उम्र में गांव में आंदोलन

बताया जाता है कि शिवराज जब महज 9 साल के थे। तब उन्होंने गांव के मजदूरों की सभा लेने के लिए सभी को एकत्रित किया। इस दौरान उन्होंने मजदूरों से कहा कि जब तक दो गुना मजदूरी नहीं मिलती तब तक हड़ताल रखें। इसके साथ ही उन्होंने मजदूरों के साथ हाथों में तख्तियां लिए मशाल जूलुस का नेतृत्व किया और मजदूरी दोगुनी करने के लिए नारे लगाए।

 

खिलाफत की सजा 

गांव में जूलुस निकाले जाने की खबर लगते ही शिवराज के मामा आगबबूला हो गए। घर पहुंचते ही चाचा ने शिवराज की पिटाई करना शुरू कर दी। इसके साथ ही उन्होंने शिवराज को पशुओं का गोबर उठाने और चारा डालने का काम दे दिया। शिवराज ने वो काम पूरी मेहनत से तो किया ही साथ ही मजदूरों को तब तक काम पर नहीं आने दिया जब तक मजदूरी दोगुनी नहीं कर दी।


शिवराज सिंह चौहान छात्र संघ नेता के लिए इमेज परिणाम


16 साल की उम्र में छात्र संघ का अध्यक्ष

इसके बाद शिवराज ने भोपाल की ओर रुख किया। भोपाल में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़ने के बाद वो छात्र संघ के चुनाव में खड़े हो गए। साल 1975 में मात्र 16 साल की उम्र में शिवराज को छात्र संघ का अध्यक्ष चुन लिया गया था। अपनी धारा प्रवाह और आक्रामक शैली के कारण वो सभी के चहेते बनते चले गए। 1978 से 1980 तक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के मध्य प्रदेश के संयुक्त मंत्री रहे।  1980 से 1982 तक अखिल भारतीय विधार्थी परिषद के प्रदेश महासचिव, 1982-83 में परिषद की राष्ट्रीय कार्यकारणी के सदस्य, 1984-85 में भारतीय जनता युवा मोर्चा, मध्य प्रदेश के संयुक्त सचिव, 1985 से 1988 तक महासचिव तथा 1988 से 1991 तक युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष रहे। 

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विधानसभा चुनाव जीते, संभाली प्रदेश की कमान

1990 में उन्होंने पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ा और जीते और साल 1991 में वो विदिशा संसदीय सीट से चुनाव जीत कर संसद पहुंचे। इसके बाद लगातार चार बार उन्होंने लोकसभा चुनाव जीता और कई अहम कमेटियों के अध्यक्ष और सदस्य रहे। 29 नवंबर 2005 को उन्होंने पहली बार प्रदेश की कमान संभाली। उस वक्त पार्टी और प्रदेश में आए सियासी भूचाल में बीजेपी की साख बचानी मुश्किल थी। इसके बाद साल 2008 में उन्होंने दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। इसके बाद से उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। इसी का नतीजा है कि वो आज भी मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद पर काबिज हैं।


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शिवराज की सियासी शख्सियत एक विनम्र मगर दृढ़ राजनेता की  है, लेकिन निजी जीवन में शिवराज भी किसी आम आदमी की तरह हैं जिन्हें उत्सव की खुशी बांटना पसंद है। अपने परिवार के साथ वक्त बिताना उनकी पसंद है। और ये प्रदेश भी कहां उनके लिए किसी परिवार से कम है जिनके साथ वो उनका हिस्सा बन कर ही पेश आते हैं। तो bhaskarhindi.com की तरफ से भी मध्य प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान को जन्मदिन की ढेरों बधाईयां।

Created On :   5 March 2018 8:48 AM IST

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