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भाजपा न भूले इंदिरा व अटल भी हारे थे चुनाव

- कहा- रिमोट से नहीं चल रही यह सरकार
डिजिटल डेस्क,मुंबई । राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) अध्यक्ष शरद पवार ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा है कि नेताओं को मतदाताओं का महत्व न समझने की भूल नहीं करनी चाहिए, क्योंकि इंदिरा गांधी और अटल बिहारी वाजपेयी जैसे शक्तिशाली नेताओं को भी चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था। शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ को दिए गए इंटरव्यू में पवार ने यह बातें कही हैं। उन्होंने इस बात से इंकार किया कि वे राज्य की तीन दलों की सरकार के हेड मास्टर हैं। पवार ने कहा कि महा आघाडी सरकार रिमोट नहीं बल्कि लोकतंत्र से चल रही है। शिवसेना सांसद व सामना के कार्यकारी संपादक संजय राऊत को दिए गए इंटरव्यू में पवार ने विधानसभा चुनाव के पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के ‘मी पुन: येन’ (मैं फिर से आऊंगा) के बयान का उल्लेख करते हुए कहा कि मतदाताओं ने सोचा कि इस रुख में अहंकार की बू आ रही है और महसूस किया कि इन्हें सबक सिखाया जाना चाहिए।
पवार ने राज्य की तीन दलों की सरकार में मतभेद की खबरों को पूरी तरह बेबुनियाद बताते हुए कहा कि इन खबरों में रत्ती भर भी सच्चाई नहीं है। पवार का यह इंटरव्यू तीन किश्तों में शिवसेना के मुख पत्र में प्रकाशित होगा। यह पहली बार हुआ है जब किसी गैर शिवसेना नेता का धारावाहिक साक्षात्कार पार्टी के मुख पत्र में प्रकाशित हुआ है। अब तक इस तरह केवल दिवंगत बाल ठाकरे और उद्धव ठाकरे के ही साक्षात्कार प्रकाशित किए जाते थे।
विधानसभा चुनाव में भाजपा की हार पर पवार ने कहा कि लोकतांत्रिक अधिकारों के लिहाज से आम आदमी नेताओं से ज्यादा बुद्धिमान है। अगर हम नेता सीमा पार करते हैं तो वे हमें सबक सिखाएंगे। इसलिए लोगों को यह रुख पसंद नहीं आया कि हम ही सत्ता में लौटेंगे।पवार ने कहा कि किसी भी नेता ने लोगों को हल्के में नहीं लेना चाहिए। किसी को यह रुख नहीं अपनाना चाहिए कि वह सत्ता में लौटेगा। लोगों को लगता है कि इस रुख से अहंकार की बू आ रही है और इसलिए उनमें यह विचार मजबूत हुआ कि उन्हें सबक सिखाना चाहिए।
दुर्घटना नहीं था सत्ता परिवर्तन
उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन एक दुर्घटना नहीं थी। महाराष्ट्र के लोगों ने राष्ट्रीय चुनाव के दौरान देश में प्रबल होती भावनाओं के अनुरूप मतदान किया। लेकिन विधानसभा चुनाव के दौरान मिजाज बदल गया।लोकसभा चुनाव में भले ही भाजपा ने अच्छा प्रदर्शन किया था। लेकिन वह विभिन्न राज्यों के विधानसभा चुनाव में बुरी तरह विफल हुई। यहां तक कि महाराष्ट्र के लोगों ने भी परिवर्तन के लिए मतदान किया।
उद्धव से कोई मतभेद नहीं
राज्य में लॉकडाउन को लेकर मुख्यमंत्री ठाकरे के साथ उनके कथित मतभेद पर पूछे गए प्रश्न के जवाब में पवार ने कहा,बिलकुल भी नहीं। क्या मतभेद? किस लिए? लॉकडाउन के पूरे समय मेरी मुख्यमंत्री के साथ बेहतरीन बातचीत हुई और यह आगे भी जारी रहेगी। उन्होंने कहा कि यदि लॉक डाउन का कड़ाई से पालन नहीं हुआ होता तो मुंबई की हालत न्यूयार्क जैसी होती।
अपनी विचारधारा की वजह से सत्ता में थे बाला साहेब
शिवसेना प्रमुख दिवंगत बाल ठाकरे और उद्धव ठाकरे के काम करने की शैली के बारे में पवार ने कहा कि बालासाहेब भले ही कभी भी सत्ता पर काबिज नहीं रहे, लेकिन वह सत्ता की प्रेरक शक्ति थे। वह महाराष्ट्र में अपनी विचारधारा की वजह से सत्ता में थे। आज सरकार विचारधारा की वजह से नहीं है। लेकिन उस शक्ति को लागू करने की जिम्मेदारी अब उद्धव ठाकरे के पास है।
ठाकरे ने इंदिरा गांधी की आपातकाल का किया था समर्थन
एक सवाल के जवाब में पवार ने कहा कि बालासाहेब ठाकरे और शिवसेना देश का पहला ऐसा दल है कि किसी राष्ट्रीय मुद्दे पर सत्ताधारी दल के प्रमुख लोगों का खुद के दल के भविष्य की चिंता न करते हुए समर्थन करते थे। आपातकाल में भी पूरा देश इंदिरा गांधी के विरोध में था। उस समय अनुशासित नेतृत्व के लिए बालासाहेब इंदिरा गांधी के साथ खड़े थे। सिर्फ खड़े ही नहीं हुए बल्कि हम लोगों के लिए चौंकानेवाली बात तो यह भी थी कि उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के चुनाव में अपने उम्मीदवार नहीं उतारने का ऐलान कर दिया।
Created On :   11 July 2020 5:43 PM IST