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काले बिच्छुओं का आतंक : 1 बच्चे की मौत, कई मासूमों की हालत गंभीर
डिजिटल डेस्क सतना। गर्मी बढऩे के साथ ही जिले के ग्रामीण इलाको में काले बिच्छुओं का आतंक भी बढ़ गया है। आतंक किस कदर है, अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पिछली रात अलग-अलग थाना इलाकों में बिच्छू के काटने से जहां 2 साल के एक बच्चे की मौत हो गई। वहीं महज 11 माह के एक मासूम समेत 4 मासूमों को गंभीर हालत में इलाज के लिए यहां जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। बताया गया है कि अमदरा थाना क्षेत्र के भदनपुर निवासी राजमणि चौधरी के 2 साल के बेटे अमरजीत की काले बिच्छू के काटने से मौत हो गई। रात साढ़े 10 बजे के करीब सोते वक्त ये घटना हुई। उसे जिला अस्पताल लाया गया लेकिन अमरजीत को बचाया नहीं जा सका।
ज्यादातर घटनाएं शाम 6 से 7 बजे के बीच
बिच्छू दंश की ज्यादातर घटनाएं शाम 6 बजे से 7 बजे के बीच हुईं। एक इत्तेफाक ये भी रहा कि ज्यादातर बच्चों में बिच्छुओं के हमले शरीर के दाहिने हाथ और पैर में ही हुए। हमलावर बिच्छुओं का रंग भी काला था। कोलगवां थाना क्षेत्र के घुंघचिहाई में आदर्श सिंह के 11 माह के बेटे रुद्र प्रताप को बिच्छू ने उस वक्त काट लिया जब वो जमीन पर सो रहा था। इसी प्रकार रामपुरबघेलान थाना क्षेत्र के बम्हौरी गांव में पीतांम्बर सिंह की 10 साल की बेटी मुस्कान को बिच्छू ने उस वक्त डसा जब वो घर में खेल रही थी। बेटी की चीख पुकार सुन कर मां रेशमा उसके पास पहुंचीं। पहले मुस्कान को रामपुरबघेलान अस्पताल में ले जाया गया और फिर जिला अस्पताल के लिए रेफर कर दिया गया। इसी प्रकार कोटर थाना क्षेत्र के चंूद कला निवासी शिवकुमार साकेत के 6 साल के बेटे शिवम और अमरपाटन थाना क्षेत्र के खरमसेड़ा में उमेश साकेत के बेटे देवकुमार को भी बिच्छू ने काट लिया। देव कुमार को ऑक्सीजन दी गई है।
ऐसे में क्या करें
गर्मी के दिनों में काले-भूरे बिच्छुओं का आतंक बढ़ जाता है। बिच्छू काटने की स्थिति में आखिर क्या करें? मेडिकल स्पेशलिस्ट डा.संदीप भगत के मुताबिक ऐसी स्थिति में प्रभावित व्यक्ति की दर्द और घबराहट के कारण दिल की धड़कनें बढ़ जाती हैं। अक्सर उल्टियों की शिकायत होने लगती है। पूरी कोशिश होनी चाहिए की प्रभावित व्यक्ति के शरीर में पानी की कमी नहीं होने पाए। डा.भगत ने बताया कि प्रभावित को जल्द से जल्द करीबी अस्पताल में ले जाना चाहिए। झाड़-फंूक और तंत्र-मंत्र के चक्कर में वक्त बर्बाद नहीं करना चाहिए। कोशिश होनी चाहिए कि संबंधित पीडि़त को ज्यादा हिलाया -डुलाया नहीं जाए। डंक लगने की जगह के पास कड़ाई से बांध देने से भी बचना चाहिए। ऐसे में गैंगरीन और नर्वस सिस्टम ब्रेक होने से क्लाटिक के भी खतरे बढ़ जाते हैं।
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Created On :   6 April 2018 7:54 AM GMT