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नेत्रहीनों को पता चले किसे दिया वोट, वीवीपैट में सुधार की जरूरत

डिजिटल डेस्क, मुंबई। इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) को वोटर वेरिफाइबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट) से जोड़े जाने के बाद आम लोगों के मन में उठने वाली यह आशंका काफी हद तक दूर हो गई कि उनका वोट उनके द्वारा पसंद किए गए उम्मीदवार को मिला या नहीं लेकिन देश के लगभग 50 लाख दृष्टिहीनों के पास अब भी ऐसा कोई तरीका नहीं है जिससे वे खुद द्वारा डाला गया वोट किसे मिला है यह सुनिश्चित कर सकें। इस समस्या का समाधान निकालने की कोशिश कर रहे हैं डॉ अक्षय बाजड। वे सुशासन और राजनीतिक विज्ञान के शोधकर्ता हैं।
मुंबई में रहने वाले बाजड ने केंद्रीय और राज्य के चुनाव आयोग को पत्र लिखकर सुझाव दिया है कि ईवीएम में इमेज टेक्स्स टू स्पीच कन्वर्जन (आईटीटीएस) प्रणाली जोड़कर इस समस्या का हल निकाला जा सकता है। ऐसा करने के बाद वोट देने वाले नेत्रहीन हेडफोन के जरिए सुन सकेंगे कि उन्होंने जो मतदान किया वह किस उम्मीदवार के पक्ष में था। फिलहाल नेत्रहीन सहायक की मदद से मतदान कर सकते हैं लेकिन उन्हें जानकारी के लिए किसी और पर निर्भर रहना पड़ता है। ऐसा कोई तरीका नहीं है कि वे खुद अपने वोट का सत्यापन कर सकें। वोेट देने में मदद के लिए बैलेट यूनिट में 1 से 16 तक अंक उकेरे होते हैं जिसकी मदद से दृष्टिहीन मतदाता बटन तो दबा सकते हैं लेकिन वोट दर्ज हुआ या नहीं और वोट किसे गया इसे जान पाना मुश्किल होता है। हर नेत्रहीन ब्रेल भी नहीं समझ पाता।
ऐसे काम करेगा आईटीटीएस
बाजड के मुताबिक आईटीटीएस के मुख्य रूप से चार घटक होते हैं। कैमरा, प्रोग्रामेबल सिस्टम (ऑप्टिकल कैरेक्टर रिकग्निशन सॉफ्टवेयर और टेक्स्ट टू स्पीच इंजन), हेडफोन और बैटरी की मदद से यह काम आसानी से किया जा सकता है। इसके लिए थोड़ा बदलाव करना पड़ेगा और वीवीपैट में सीरियल नंबर, उम्मीदवार का नामऔर चुनाव चिन्ह का नाम जोड़ना होगा क्योंकि वीवीपैट स्लिप में छपे उम्मीदवार के चुनाव चिन्ह को पहचान कर उसे टेक्स्ट में नहीं बदला जा सकता। आईटीटीएस डिवाइस वीवीपैट के भीतर इस तरह लगाया जाएगा कि सात सेकेंड के लिए दिखाए जाने वाले प्रिंटेड पेपर स्लिप कैमरे की लेंस में आ जाए। मशीन की मदद से टेक्स्ट को स्पीच में बदल दिया जाएगा जिसे वोट देने वाला व्यक्ति हेडफोन की मदद से सुन पाएगा। वोट देने के बाद यह अस्थायी फाइल खुद डिलीट हो जाएगी जिससे नई फाइल के लिए जगह बन जाएगी।
बाजड के मुताबिक ईवीएम बनाने वाली भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड मौजूदा तकनीक की मदद से आसानी से आईटीटीएस डिवाइस बना सकती है इसलिए इसे लागू करने में किसी तरह की परेशानी नहीं होनी चाहिए। बाजड ने कहा कि उम्मीद है कि चुनाव आयोग उनकी बात सुनेगा और नेत्रहीनों के अधिकारों की रक्षा के लिए यह कदम उठाएगा लेकिन अगर ऐसा नहीं हुआ तो वे अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे।
Created On :   21 Nov 2021 7:49 PM IST