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बांबे हाईकोर्ट की ट्रैफिक पुलिसकर्मियों को फटकार, कहा- मोबाइल पर बात करने की बजाय ट्रैफिक मैनेज करें

डिजिटल डेस्क, मुंबई। सड़कों पर ट्रैफिक नियंत्रित करने की बजाय मोबाइल फोन पर बातचीत करते नजर आने वाले पुलिसवालों को बांबे हाईकोर्ट ने कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा कि ट्रैफिक पुलिस का काम ट्रैफिक के प्रबंधन को देखना है, लेकिन महानगर के हर कोने में पुलिस यह काम करने की बजाय फोन पर बात करने और मोबाइल पर गेम खेलने में व्यस्त दिखाई देते हैं। लिहाजा संयुक्त पुलिस आयुक्त (ट्रैफिक) व दूसरे आला अधिकारियों के मोबाइल नंबर आम जनता के पास शिकायत के लिए उपलब्ध कराए जाए। ताकि नियमों का उल्लंघन करने वाले व घूसखोर अधिकारियों की शिकायत जनता आसानी से उन तक पहुंचा सके। इस दौरान शिकायत के लिए हेल्पलाइन नंबर न जारी किए जाने पर कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जाहिर की।
जस्टिस एससी धर्माधिकारी व जस्टिस भारती डागरे की बेंच ने मंगलवार को ट्रैफिक कांस्टेबल सुनील टोके की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान यह निर्देश दिया। याचिका में ट्रैफिक पुलिस विभाग में काफी भ्रष्टाचार होने का दावा किया गया है। सुनवाई के दौरान बेंच ने कहा कि आज समय ऐसा आ गया है कि हमें यह देखना पड़ेगा कि ट्रैफिक पुलिस महकमे के लोग कहा तैनात है, क्योंकि कई बार वे दिखाई भी नहीं देते है। ड्यूटी में लापरवाही बरतने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जरुरत है। बेंच ने कहा कि इस तरह के मामले में हलफनामे दायर करने की बजाय जमीनी स्तर पर ठोस कदम उठाए जाए। कोर्ट ने सरकार को आगाह करते हुए कहा कि ट्रैफिक से जुड़े मुद्दे को देखना उसका काम नहीं है। क्योंकि वह पुलिस वालों की नियुक्ति नहीं करती है। लोग पुलिस को ट्रैफिक के नियमों के उल्लंघन को बताए यह बेहद शर्मनाक बात है। क्योंकि ट्रैफिक को नियंत्रित करना पुलिस का दायित्व है। कोर्ट ने कहा कि मीडिया में अक्सर ट्रैफिक से जुड़े नियमों के उल्लंघन की खबरे छपती हैं।
पुलिस की गाड़ियां भी करती ट्राफिक नियमों का उल्लंघन
कोर्ट ने कहा, कई बार पुलिस की गाड़ियां भी ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करती हैं, फिर भी कोई कार्रवाई नहीं की जाती है। ट्रैफिक जाम होने की कई वजहें हो सकती हैं लेकिन सरकार को इसका हल निकालना चाहिए। क्योंकि लोग महंगे फोन तो ले लेंगे पर शिकायत के लिए सेवा तो सरकार को देनी है। इस दौरान सहायक सरकारी वकील प्राजक्ता शिंदे ने कहा कि ड्यूटी पर ध्यान न देने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई हुई है, जिसके तहत कइयों का तबादला व निलंबन किया गया है। इसके अलावा सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं। इन दलीलों को सुनने के बाद बेंच ने सरकारी वकील को चार सप्ताह के भीतर हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया।
Created On :   14 Feb 2018 11:05 PM IST