सिंचाई घोटाला : हाईकोर्ट का निर्देश- दो माह में ट्रायल पुरा करे निचली अदालत

Bombay High Court directions to lower court in irrigation scandal
सिंचाई घोटाला : हाईकोर्ट का निर्देश- दो माह में ट्रायल पुरा करे निचली अदालत
सिंचाई घोटाला : हाईकोर्ट का निर्देश- दो माह में ट्रायल पुरा करे निचली अदालत

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बॉम्बे हाइकोर्ट की नागपुर बेंच में गुरुवार को सिंचाई घोटाले पर केंद्रित जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। हाईकोर्ट ने सिंचाई घोटाले से जुड़े प्रकरण को लेकर निचली अदालत में हर रोज सुनवाई चला कर दो माह में ट्रायल पुरा करने के आदेश दिए हैं। साथ ही भ्रष्टाचार में हुए आर्थिक नुकसान की भरपाई पर भी मंथन शुरु किया है। गुरुवार को हुई सुनवाई में पुलिस महासंचालक (एसीबी) विवेक फणसालकर ने विदर्भ के विविध सिंचाई घोटाले की जांच से जुड़ी जानकारी हाईकोर्ट में प्रस्तुत की। उन्होंने कोर्ट को बताया, "अब तक इस मामले में कुल 19 एफआईआर दर्ज की गई हैं। अब तक कोर्ट में दो चार्जशीट प्रस्तुत की गई हैं, तो दो चार्जशीट पेश करने के लिए सरकार की अनुमति लंबित है। फिलहाल एसीबी कुल 43 सिंचाई प्रकल्पों की जांच कर रही है। इसमें दस्तावेजों की संख्या बड़ी है। इसलिए एसीबी को कम से कम 6 महिनों का और समय चाहिए।" मामले में याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट फिरदौस मिर्जा और एडवोकेट श्रीधर पुरोहित ने पक्ष रखा।

याचिकाकर्ता ने किया विरोध

याचिकाकर्ता ने एसीबी को और अतिरिक्त समय देने का विरोध किया। उन्होंने कोर्ट को बताया कि वर्ष 2008 के आस पास उजागर हुए इस भ्रष्टाचार के मामले को अब 10 साल बीत चुके हैं। वर्ष 2012 में दायर याचिका पर जांच के आदेश होने के बाद अब तक जांच लंबित है। वहीं प्रदेश में नियम है कि सरकारी कर्मचारियों के सेवानिवृत्त होने के चार साल बीत जाने के बाद उनपर कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती, जिससे भ्रष्टाचार में लिप्त सरकारी अधिकारी-कर्मचारी छूट जाते हैं। इसपर हाईकोर्ट ने सिंचाई घोटाले के मामले में निचली अदालत में जारी ट्रायल जल्द पुरी करने के आदेश दिए। सरकार को एक सप्ताह में प्रकरण की जांच के लिए जरुरी अनुमति एसीबी को देने के आदेश दिए गए हैं।

नुकसान भरपाई पर होगा मंथन

करोड़ों रुपए के इस भ्रष्टाचार के मामले में रकम की नुकसान भरपाई कैसे की जाएं, इस पर मंथन करने के लिए हाईकोर्ट एक विशेष समिति गठित करने पर विचार कर रहा है। कोर्ट ने एक सप्ताह में सभी पक्षों को इसपर सुझाव मांगे है। कोर्ट में हुए मौखिक युक्तिवाद में घोटाले से सीधे तौर पर जुड़े सिंचाई विभाग के अधिकारी कर्मचारियों से ही यह रकम वसुल करने पर भी चर्चा हुई। वहीं बीती सुनवाई में कोर्ट ने जांच प्रक्रिया पर नज़र रखने के लिए दो सेवानिवृत्त जजों की समिति गठित करने की तैयारी की थी। याचिकाकर्ता ने कोर्ट को सेवानिवृत्त जज जे. एन. पटेल और आर. सी. चौहान का नाम समिति के लिए सुझाया था। कोर्ट से समिति गठित करने के निर्णय को विचाराधीन ही रखा है। मामले में एक सप्ताह बाद सुनवाई होगी।

यह है मामला

याचिकाकर्ता अतुल जगताप ने इस मामले में राज्य के सिंचाई विभाग, विदर्भ सिंचाई विकास महामंडल, जलसंपदा विभाग और बाजोरिया कंस्ट्रक्शन्स तथा पूर्व उपमुख्यमंत्री अजित पवार को प्रतिवादी बनाया था। याचिका में आरोप है कि कंपनी के निदेशकों में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के विधायक संदीप बाजोरिया का समावेश है। पूर्व उपमुख्यमंत्री अजित पवार से नजदीकियों के चलते कंपनी को दोनों कांट्रैक्ट मिले हैं। याचिकाकर्ता के अनुसार, कांट्रैक्ट हथियाने के लिए कंपनी ने फर्जी दस्तावेजों का सहारा लिया है। एसीबी ने पत्र में यह भी स्पष्ट किया है कि संदीप बाजोरिया की कंस्ट्रक्शन्स कंपनी के पास जिगांव प्रकल्प के काम का ठेका प्राप्त करने के लिए जरूरी पात्रता नहीं थी, इसके बाद भी निरीक्षण समिति ने उसे पात्र करार दिया। वहीं, कंपनी डायरेक्टर सुमित बाजोरिया ने सरकारी अधिकारियों की मदद से अवैध तरीके से अनुभव प्रमाण-पत्र बनवाया। ऐसे में एसीबी ने बाजोरिया समेत अन्य अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया।

Created On :   19 July 2018 6:06 PM GMT

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