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प्लास्टिक पर लगे प्रतिबंध पर बांबे हाईकोर्ट ने मांगा राज्य सरकार से जवाब

डिजिटल डेस्क, मुंबई। राज्य में प्लास्टिक पर लगाए गए प्रतिबंध के खिलाफ दायर याचिका पर बांबे हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है। महाराष्ट्र प्लास्टिक मैन्युफेक्चरर एसोसिएशन ने इस संबंध में याचिका दायर की है। याचिका में राज्य के पर्यावरण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव की ओर से 2 जनवरी 2018 को प्लास्टिक व थरमाकोल के उत्पादन पर रोक लगाने के निर्णय को चुनौती दी गई है। याचिका में दावा किया गया है कि अतिरिक्त मुख्य सचिव की ओर से जारी किया गया आदेश नियमों के खिलाफ है। उन्हें ऐसा आदेश जारी करने का अधिकार ही नहीं है। इसलिए प्लास्टिक के उत्पादन, वितरण, संग्रह व बिक्री पर लगाई गई रोक को रद्द किया जाए।
मंगलवार को जस्टिस अभय ओक व जस्टिस पीएन देशमुख की बेंच के सामने यह याचिका सुनवाई के लिए आयी। इस दौरान सरकारी वकील ने कहा कि अब तक प्लास्टिक पर रोक के संबंध में अधिसूचना नहीं जारी की गई है। लेकिन अधिसूचना का मसौदा तैयार कर लिया गया है। मंत्रिमंडल व विभिन्न विभागों की मंजूरी के बाद अधिसूचना जारी की जाएगी। इससे पहले हम लोगों के सुझाव व आपत्तियों को भी आमंत्रित करेंगे। इसलिए हमे थोड़ा वक्त दिया जाए। इस पर बेंच ने कहा कि सरकार इस संबंध में एक महीने में उचित निर्णय ले लेकिन इससे पहले 6 मार्च तक कोर्ट में हलफनामा दायर करे।
एसटी कर्मचारियों के वेतन मुद्दे पर विचार करने से इंकार
बांबे हाईकोर्ट ने एसटी कर्मचारियों की वेतन में बढ़ोतरी से जुड़ी मांग पर विचार करने से इंकार कर दिया है। एसटी कर्मचारियों ने वेतन में बढ़ोतरी की मांग को लेकर पिछले साल हड़ताल की थी। इसका व्यापक असर एसटी बस सेवा पर पड़ा था। हड़ताल के चलते हो रही परेशानी को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी। मंगलवार को जस्टिस शांतनु केमकर व जस्टिस राजेश केतकर की बेंच के सामने यह याचिका सुनवाई के लिए आई। याचिका पर गौर करने के बाद बेंच ने कहा कि याचिका में हड़ताल के मुद्दे को उठाया गया था, जिसे हाईकोर्ट के आदेश के बाद वापस ले लिया गया था। अब इस याचिका में कुछ शेष नहीं बचा है। एक तरह से यह याचिका निर्थक हो गई है। अब हम कर्मचारियों के वेतन के विषय में हस्तक्षेप नहीं कर सकते वे अपनी मांग को लेकर संबंधित कोर्ट में अपनी बात रखे।
इस पर एसटी कर्मचारियों के यूनियन की ओर से पैरवी कर रही वकील सीमा चौपड़ा ने कहा कि जब कर्मचारियों को हड़ताल वापस लेने का आदेश दिया गया था तो उस समय सरकार को उच्चाधिकार कमेटी बनाने को कहा गया था। कमेटी को कर्मचारियों की वेतन वृद्धि के पहलू पर विचार करने का जिम्मा दिया गया था, लेकिन इस मामले को लेकर अब गंभीरता नहीं दिखाई जा रही है।
यही नहीं राज्य परिवहन मंत्रालय व कमेटी के रुख में विरोधाभास दिख रहा है। उन्होंने कहा कि इससे संबंधित मामला औद्योगिक न्यायालय में भी प्रलंबित है। इस पर बेंच ने कहा कि हम इस मामले में हस्तक्षेप नहीं कर सकते है। कर्मचारी अपनी बात औद्योगिक न्यायालय में रखे। क्योंकि मौजूदा याचिका सिर्फ हड़ताल तक सीमित थी, जिसका निपटारा हो चुका है। यह कहते हुए बेंच ने याचिका को समाप्त कर दिया।
Created On :   20 Feb 2018 10:50 PM IST