बांबे हाईकोर्ट ने मनपा से कहा, आचार संहिता का मतलब ये नहीं सारे काम रोक दें

Bombay high court said, Code of conduct does not mean stop all work
बांबे हाईकोर्ट ने मनपा से कहा, आचार संहिता का मतलब ये नहीं सारे काम रोक दें
बांबे हाईकोर्ट ने मनपा से कहा, आचार संहिता का मतलब ये नहीं सारे काम रोक दें

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने कहा है कि राज्य सरकार के प्राधिकरण व मुंबई महानगरपालिका आश्वस्त करे की लोकसभा चुनाव के दौरान लगने वाली आचार संहिता से उनके प्रशासन का कामकाज ठप न हो। मुख्य न्यायाधीश नरेश पाटील व न्यायमूर्ति एनएम जामदार की खंडपीठ ने कहा कि मनपा व दूसरे प्राधिकारणों का जरूरी प्रशासकीय कामकाज आचार संहिता के लागू होने के बाद भी जारी रहना चाहिए। आचार संहिता का यह मतलब नहीं है कि आप (सरकारी निकाय) सारे कामकाज बंद कर दो। आचार संहिता के वक्त भी जरूरी काम सुचारु रूप से जारी रहने चाहिए। खंडपीठ ने यह बात एक याचिका पर सुनवाई के दौरान कही। जिसमें मांग की गई है कि मनपा को अपने वृक्ष प्राधिकरण के लिए विशेषज्ञ सदस्यों की नियुक्ति करने का निर्देश दिया जाए। यह प्राधिकरण विकास कार्यों के लिए वृक्षों को काटने की अनुमति प्रदान करती है।

खंडपीठ ने मुंबई मनपा को अगली सुनवाई के दौरान बताने को कहा है कि वृक्ष प्राधिकरण में विशेषज्ञ सदस्यों की नियुक्ति की क्या स्थिति है। इससे पहले मनपा की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि वृक्ष प्राधिकरण में विशेषज्ञों की नियुक्ति जल्द से जल्द की जाएगी, लेकिन हो सकता है कि यह नियुक्ति चुनाव आचार संहिता के चलते प्रभावित हो। इस पर खंडपीठ ने कहा कि चुनाव आचार संहिता वृक्ष प्राधिकरण में विशेषज्ञ सदस्यों की नियुक्ति को प्रभावित नहीं करती। इससे वृक्ष प्राधिकरण पर क्या असर पड़ेगा।

आचार संहिता से सब कुछ नहीं रोका जा सकता। क्या आचार संहिता के चलते मेट्रो की खुदाई का काम रोक दिया जाएगा। खंडपीठ ने कहा कि यह आश्वस्त किया जाए की जरूरी कार्य आचार संहिता के चलते न रोका जाए। याचिका में पेड़ों के काटने के मुद्दों पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने कहा कि विकास कार्य व पर्यावरण के बीच संतुलन होना जरूरी है। खंडपीठ ने फिलहाल मामले की सुनवाई 14 मार्च तक के लिए स्थगित कर दी है।

 

 

 

 

Created On :   11 March 2019 6:00 PM GMT

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