स्ट्रीट डॉग्स के हमले में मर रहे लोग, कोर्ट ने पूछा क्या कर रही है नागपुर मनपा

Bombay High Court took Bombay High Court problem of stray dogs in the city
स्ट्रीट डॉग्स के हमले में मर रहे लोग, कोर्ट ने पूछा क्या कर रही है नागपुर मनपा
स्ट्रीट डॉग्स के हमले में मर रहे लोग, कोर्ट ने पूछा क्या कर रही है नागपुर मनपा

डिजिटल डेस्क, नागपुर। स्ट्रीट डॉग्स की बढ़ती संख्या डराने लगी है। शहर में 1 लाख के करीब पहुंच चुके स्ट्रीट डॉग्स अब मासूम बच्चों को शिकार बना रहे हैं। इनके काटे जाने से बीते 5 सालों में हजारों लोगों की मौत हो चुकी है। आवारा कुत्तों की समस्या को नियंत्रित करने के लिए सरकार द्वारा दिए जा रहे लाखों रुपए के फंड का उपभाेग करने के बावजूद नागपुर महानगर पालिका, लाभार्थी पशुप्रेमी एनजीअो और शहर के डॉग शेल्टर होम्स मूकदर्शक बन अपनी गैर- जिम्मेदारी का परिचय दे रहे हैं। नागरिक भी इस समस्या को बढ़ाने में कम जिम्मेदार नहीं हैं। घरों-हॉटलों में बचे हुए भोजन को बाहर खुले में छोड़ देने से उस भोजन पर ये कुत्ते फल-फूल रहे हैं। नागपुर का कोई भी क्षेत्र हो 10 से लेकर 25 के झुंड में बैठे यह कुत्ते देर रात दफ्तार या किसी समारोह से लौटने वाले पैदल या दोपहिया सवार नागरिकों के लिए खतरे से कम नहीं हैं।

हाईकोर्ट ने लिया संज्ञान
शहर में आवारा कुत्तों की समस्या पर बुधवार को बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने संज्ञान लिया। हाईकोर्ट ने टिप्पणी की कि समाचार-पत्रों में कुत्तों के हमलों में लगातार घायल हो रहे और मृत्यु के मुंह में जा रहे नागरिकों के बारे में वे पढ़ रहे हैं। अाखिर मनपा इन्हें नियंत्रित करने के लिए क्या कदम उठा रही है? इस पर मनपा के अधिवक्ता सुधीर पुराणिक ने कोर्ट को जानकारी दी कि वे भांडेवाड़ी स्थित शेल्टर होम में आवारा कुत्तों की देखभाल के लिए 3 लाख रुपए प्रतिमाह खर्च कर रहे हैं।

आरटीआई में चौंकाने वाली जानकारी
इस पर याचिकाकर्ता एड. अंकिता शाह ने कोर्ट के संज्ञान में लाया कि भारी अनियिमितता वाले इस शेल्टर होम में पर्याप्त सुविधाएं ना होने के कारण और शहर में बढ़ चुकी आवारा कुत्तों की संख्या को संभालने के लिए यह एक शेल्टर होम पर्याप्त नहीं है। काटोल रोड स्थित डॉ. कैलाश मारवाह द्वारा संचालित नागपुर एसपीसीए शेल्टर होम के निर्माण के लिए केंद्र सरकार ने फंड दिया था। शर्त यह भी कि यह शेल्टर होम स्थानिय नागपुर मनपा के काम भी आएगा, लेकिन आरटीआई में जानकारी मिली है कि मनपा ने एक भी आवारा कुत्ते को यहां भर्ती नहीं कराया है। याचिकाकर्ता ने इस शेल्टर होम के व्यावसायिक उपयोग का भी आरोप लगाया। इसके बाद हाईकोर्ट ने जिलाधिकारी के नेतृत्व वाले दस्ते को इसके निरीक्षण के आदेश देकर मामले की सुनवाई शुक्रवार को रखी है।

हमलों-मौतों पर पशुप्रेमी संस्थाएं मौन, आखिर क्यों 
हाईकोर्ट में दायर एड.अंकिता शाह की फौजदारी जनहित याचिका में कुत्तों के नियंत्रण के लिए नसबंदी अभियान चलाने का मुद्दा उठाया गया है। मनपा ने बीते दिनों जब नसबंदी अभियान शुरू किया था, तब कुछ एनजीओ ने नसबंदी में कुत्तों की मृत्यु हो जाने का मुद्दा बना कर इस अभियान का विरोध किया था। इसके बाद यह अभियान ठंडे बस्ते में चला गया। अब जब ये आवारा कुत्ते मासूम बच्चों पर हमला कर रहे हैं, कुत्तों के काटने पर सही इलाज न मिलने से मृत्यु के मामले बढ़ रहे हैं, तो आवारा कुत्तों की खैरख्वाह पशुप्रेमी संस्थाएं मुंह सिले बैठी है। मनपा में स्थिति तो यूं है कि पशुप्रेमी एनजीओ द्वारा विरोध के बाद कोइ भी संस्था या पशु चिकित्सक नसबंदी अभियान से जुड़ नहीं रहा है। खैर नसबंदी विरोधक एनजीओ की संवेदनाएं मनुष्यों के लिए जागे या न जागे। मगर मुख्य मुद्दा यह है कि जब तक नसबंदी का कार्य पूरा न हो, क्या शहर और यहां के नागरिकों को यूं ही कुत्तों के हवाले छोड़ दिया जाएगा। या फिर मनपा अपने कर्तव्य का वहन करते हुए कोई ठोस प्रबंध करेगी?

मनपा में 200 से ज्यादा शिकायतें, कुत्तों के भोंकने से नींद नहीं आती
आवारा कुत्तों से हो रही परेशानी को लेकर मनपा में 200 से ज्यादा शिकायतें आईं हैं। लोगों का कहना है कि कुत्तों का झुंड रात में एक साथ भोंकने लगता है। नींद नहीं आती। बीमार और परेशान हो रहे हैं। पड़ोस के पालतू कुत्तों की ‘जुगलबंदी’ से भी नींद में खलल पड़ रही है, जबकि कार्रवाई नाममात्र ही हो सकी है। शहर के हर क्षेत्र में आज पालतू व फालतू कुत्ते की संख्या बढ़ती जा रही है। परीक्षा के दिन शुरू है। आवारा कुत्ते झुंड में अचानक भौंकने लगते हैं, इससे बच्चों की पढ़ाई नहीं हो पाती। तकलीफ केवल आवारा कुत्ते के भौंकने से नहीं, पालतू कुत्तों से भी है। गजेन्द्र महल्ले, पशु चिकित्सक, पशु विभाग के मुताबिक शिकायत आने के बाद हम उस एरिया में गाड़ी भेजते हैं। कार्रवाई भी करते हैं।

Created On :   3 Oct 2018 7:57 PM GMT

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