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रिजर्व फॉरेस्ट रेंज में चला बुलडोजर, होगी कार्रवाई

डिजिटल डेस्क,नागपुर। रिजर्व फारेस्ट रेंज में बिना अनुमति बुलडोजर चलाना महंगा पड़ा। वन विभाग को इसकी जानकारी मिली तो आनन-फानन में गड्ढा बुझाना पड़ा। बता दें कि वन मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने सेमिनरी हिल्स परिसर स्थित बांबू शॉपी का उद्घाटन किया था। रेस्टॉरेंट की जगह बनाए गई इस शॉप के पिछले हिस्से में बांबू प्रशिक्षण केंद्र और एक फुटओवर ब्रिज बनाने की योजना है। इन कार्यों को साकार करने के लिए जमीनी कामकाज शुरू कर इसमें बुलडोजर का इस्तेमाल किया गया। बालोद्यान का वन परिसर आरक्षित वन की श्रेणी में आता है, जहां बिना अनुमति बुलडोजर चलाना नियमों का उल्लंघन है। इसके लिए प्रशासनिक स्तर पर पूर्व अनुमति लेना जरूरी है, लेकिन बिना अनुमति के परिसर में बुलडोर चलाने की जब सूचना वन विभाग के संबंधित क्षेत्र के अधिकारियों को दी गई, तब जाकर प्रशासन कार्रवाई के लिए दौड़कर आया, लेकिन जब तक वन विभाग के संबंधित राउंड अधिकारी परिसर में पहुंचते, जेसीबी ने परिसर में गड्ढा खोदना शुरू कर दिया था। इसके बाद पूछताछ में बिना अनुमति कार्य शुरू होने का पता चलते ही कार्रवाई रोक दी गई और गड्ढा भी पाटना पड़ा।
कोई फुल प्लान अब तक मंजूर नहीं
सूत्र बताते हैं कि बांबू प्रशिक्षण केंद्र खोलने से पहले इस आरक्षित वन की जमीन को अपने अधीन लाना जरूरी होता है। इसके बाद संबंधित प्लान की मंजूरी प्राप्त करनी होती है, लेकिन सूत्र कहते हैं कि, ऐसा कोई फुल प्लान अब तक नहीं मंजूर किया गया है, क्योंकि कार्रवाई के दौरान अगर प्लान मंजूरी दिखा दी गई होती तो कार्रवाई नहीं की जाती। बता दें कि बालोद्यान परिसर में बड़े पैमाने पर नागरिक, विशेष तौर पर बच्चे मनोरंजन के लिए पहुंचते हैं। बताया जा रहा है कि यहां प्रशिक्षण केंद्र के लिए इमारत बनाने की भी योजना है। ऐसे आरक्षित वन परिसर में इस तरह के सीमेंट के निर्माण कार्यों से परिसर की सुंदरता खराब होने की नौबत आ सकती है।
प्रशिक्षण केंद्र को लेकर भी उठ रहे सवाल
जानकारी के अनुसार गोरेवाड़ा बायोपार्क के काटोल नाका चौक स्थित पुराने विभागीय कार्यालय में भी बांबू से जुड़ा सेंटर शुरू होने वाला है। प्रशिक्षण केंद्र सेमिनरी हिल्स में शुरू किए जाने के औचित्य को लेकर ही सवाल खड़े किए जा रहे हैं। यहां प्रशिक्षणार्थियों के लिए अगर क्वार्टर बना दिए जाएंगे तो यहां की सुंदरता बिगड़ने की चर्चा है। इस घटना की अधिकारिक जानकारी लेने के लिए जब उपवन संरक्षक जी. मल्लिकार्जुन से संपर्क साधा गया तो उन्होंने प्रतिसाद नहीं दिया।
Created On :   12 March 2018 12:13 PM IST