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बगैर पड़ताल के किसी को जेल में नहीं रख सकते : हाईकोर्ट

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने प्रदेश गृह विभाग के उस आदेश को खारिज कर दिया है जिसके तहत गृह विभाग अकोला निवासी प्रताप खरारे (30) को एक वर्ष के लिए नाशिक कारागृह में स्थानबद्ध करने का फैसला लिया था। न्या. एम.एस.सोनक और न्या. पुष्पा गनेडीवाला ने आरोपी के वकील राजेंद्र डागा की उस दलील को सही माना, जिसमें तर्क दिया गया था कि पुलिस बगैर ठोस पड़ताल के किसी को भी जेल में बंद करने का फैसला नहीं ले सकती। इस मामने में जिन दो आरोपियों के गुप्त बयान दर्ज किए गए, उनकी पड़ताल करके हकीकत पता करने की भी कोशिश नहीं की गई।
सीधे आरोपी को उठा कर जेल में डाल दिया गया। दरअसल याचिकाकर्ता आपराधिक पृष्ठभूमि का है। अकोला पुलिस थाने में उसके खिलाफ करीब 8 मामले दर्ज हैं। ऐसे में मई 2021 में स्थानीय प्रशासन ने उसे स्थानबद्ध करने का फैसला लिया था। तर्क दिया गया कि आरोपी समाज की शांति व्यवस्था के लिए खतरा है। सर्वप्रथम पुलिस ने जिलाधिकारी को प्रस्ताव भेज कर आरोपी को स्थानबद्ध करने की विनती की। जिलाधिकारी ने 12 मई को स्थानबद्धता का आदेश जारी किया। जिस पर 28 जून को गृह विभाग ने मुहर लगाई। तब से आरोपी नाशिक जेल में रखा गया था। हाईकोर्ट ने उसे तुरंत रिहा करने के आदेश जारी किए।
Created On :   3 Nov 2021 4:44 PM IST