कोरोना काल के दौरान दर्ज मामले वापस 

Cases registered during the Corona period returned
कोरोना काल के दौरान दर्ज मामले वापस 
 राज्य मंत्रिमंडल का फैसला  कोरोना काल के दौरान दर्ज मामले वापस 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। कोरोना काल के दौरान प्रतिबंधात्मक आदेशों का उलंघन करने वालों के खिलाफ दर्ज हुए मामले वापस लेने को मंजूरी दे दी गई है। बुधवार को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की अगुआई में राज्यमंत्रिमंडल की बैठक में यह फैसला किया गया। इससे खासकर उन युवाओं और छात्रों को राहत मिलेगी जिन्हें दर्ज मामलों के चलते चरित्र प्रमाणपत्र हासिल करने में मुश्किल आ रही थी। हालांकि जिन मामलों में सरकारी कर्मचारियों पर हमला किया गया है या 50 हजार रुपए से ज्यादा की संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया उनमें आरोपियों को राहत नहीं दी जाएगी।

फिलहाल सरकार ने कोरोना संक्रमण के दौरान 21 मार्च 2020 से 31 मार्च 2022 के बीच आईपीसी की धारा 188, आपदा प्रबंधन कानून के तहत आईपीसी की धारा 188 के साथ 269 या 270 अथवा 271, महाराष्ट्र पुलिस कानून की धारा 37 के साथ 135 के तहत दर्ज मामले वापस लिए जाएंगे। दरअसल कई पढ़े लिखे बेरोजगार नौजवानों के खिलाफ भी मामले दर्ज किए गए हैं जिसके चलते उन्हें नौकरी, पासपोर्ट और दूसरे कामों के लिए चरित्र प्रमाणपत्र हासिल करने में परेशानी हो रही है। सरकार ने जिलाधिकारी और पुलिस कमिश्नर की अध्यक्षता में गठित क्षेत्रीय समिति को मामले वापस लेने की कार्यवाही करने की मंजूरी दे दी है। हालांकि यह शर्त रखी गई है कि जिन मामलों में सरकारी कर्मचारियों और फ्रंटलाइन वर्करों पर हमले हुए हैं और निजी या सार्वजनिक संपत्ति का 50 हजार से ज्यादा नुकसान हुआ है उन मामलों में लोगों को राहत नहीं दिया जाएगा। 

राजनीतिक सामाजिक आंदोलनों के दौरान दर्ज मुकदमे होंगे वापस
राज्य में राजनीतिक और सामाजिक आंदोलन के दौरान दर्ज किए गए जिन मामलों में 31 दिसंबर 2021 तक आरोपपत्र दाखिल किए जा चुके हैं उन मुकदमों को सरकार वापस लेगी। बुधवार को मंत्रिमंडल की बैठक में इसको मंजूरी दी गई। जिलाधिकारी और पुलिस कमिश्नर की अध्यक्षता वाली समिति को मामलों को देखते हुए फैसला लेने के लिए अधिकृत कर दिया गया है। हालांकि जिन मामलों में किसी की जान गई हो या सार्वजनिक या निजी संपत्ति का 5 लाख रुपए से ज्यादा का नुकसान हुआ हो उनमें आंदोलनकारियों को राहत नहीं दी जाएगी। आदेश के मुताबिक कार्यवाही के दौरान सर्वोच्च न्यायालय के अश्विनीकुमार उपाध्याय विरुद्ध युनियन ऑफ इंडिया व अन्य के फैसले को ध्यान में रखना होगा।  

Created On :   22 Jun 2022 8:04 PM IST

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