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गड़चिरोली जिले में अब ब्लॉकचेन प्रणाली से बनेंगे जाति प्रमाणपत्र

डिजिटल डेस्क, गड़चिरोली। जाली जाति प्रमाणपत्रों पर नकेल कसने के लिए अब आदिवासी बहुल, अविकसित और नक्सल प्रभावित गड़चिरोली जिले में ब्लॉकचेन प्रणाली के माध्यम से नए जाति प्रमाणपत्र और पुराने प्रमाणपत्रों का प्रमाणीकरण होगा। महाराष्ट्र राज्य नाविन्यता सोसाइटी और गड़चिरोली जिला प्रशासन द्वारा आरंभ किए गए इस उपक्रम को प्रायोगिक तत्व पर एटापल्ली उपविभाग में शुरू किया गया है। उपविभाग में आगामी एक माह की अवधि में करीब 65 हजार जाति प्रमाणपत्रों का प्रमाणीकरण किया जाएगा। इस उपक्रम के लिए महाराष्ट्र स्टार्ट अप वीक विजेता लेजीटडॉक नामक स्टार्ट एप का चयन भी किया गया है।
बता दें कि, वर्तमान में लोगों को महाऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से डिजिटल हस्ताक्षरयुक्त जाति प्रमाणपत्र वितरित िकए जा रहे हैं। यह प्रमाणपत्र कागजी होने के कारण डिजिटल हस्ताक्षर का प्रमाणीकरण काफी कठिन है। इस तरह के प्रमाणपत्रों से समूचे राज्य में फर्जी जाति प्रमाणपत्रों के साथ फर्जी शैक्षणिक दस्तावेजों के मामले भी बढ़ने लगे है। इस तरह के मामलों पर नकेल कसने के लिए ही ब्लॉक चेन प्रणाली का उपयोग अब किया जा रहा है। उपक्रम के तहत अब पॉलिगॉन तकनीक का उपयोग कर जाति प्रमाणपत्रों का ब्लॉक चेन की मदद से प्रमाणीकरण सुलभ होगा। इस तरह के जाति प्रमाणपत्रों पर महत्वपूर्ण जानकारी पॉलिगॉन व ब्लॉकचेन सिस्टम द्वारा क्यूआर कोड स्वरूप में दर्शाया जाएगा। क्यूआर कोड के माध्यम से कोई भी सरकारी कार्यालय प्रमाणपत्र की सत्यता को सरलता से सत्यापित कर पाएगा।
उपक्रम का पहला चरण गड़चिरोली जिले के एटापल्ली उपविभाग में क्रियान्वित किया गया है। इस उपविभाग में आदिवासी समुदाय के लोगों की संख्या काफी अधिक है। उपविभाग के एटापल्ली व भामरागढ़ तहसील के करीब 65 जाति प्रमाणपत्रों का सत्यापन इस उपक्रम के माध्यम से किया जाएगा। इस उपक्रम के लिए महाराष्ट्र राज्य नाविन्यता सोसाइटी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी दीपेंद्र सिंह कुशवाह, गड़चिरोली के जिलाधिकारी संजय मीणा, एटापल्ली के सहायक जिलाधिकारी शुभम गुप्ता के नेतृत्व में पहले चरण का कार्य आरंभ किया गया है। आगामी एक माह की कालावधि में 65 हजार जाति प्रमाणपत्रों का सत्यापन होगा। जिसके बाद संबंधित लोगों को जिले के सामायिक सेवा केंद्रों (सीएससी) के माध्यम से जाति प्रमाणपत्रों का वितरण होगा। राज्य के आदिवासी बहुल और नक्सलग्रस्त गड़चिरोली जिले में जाति प्रमाणपत्रों के लिए ब्लॉकचेन प्रणाली आरंभ होने से अब फर्जी दस्तावेजों पर यकीनन नकेल कसने की उम्मीद व्यक्त की जा रही है।
क्या है ब्लॉकचेन प्रणाली?
ब्लॉकचेन एक ऐसी प्रणाली है, जिसकी सहायता से किसी भी प्रकार के डेटा का एक विकेंद्रीकृत बहीखाता तैयार किया जा सकता है। इस नेटवर्क से जुड़े प्रत्येक व्यक्ति के पास सूचना का यह रिकार्ड मौजूद होगा। यह बहीखाता या रिकार्ड सूचनाओं के अलग-अलग ब्लॉक की एक श्रृंखला के रूप में होता है। यही कारण है कि, इस तकनीक को ब्लॉकचेन नाम दिया गया है। इस तकनीक की शुरुआत 1991 में स्टुअर्ट हैबर ऑर डब्ल्यू. स्काॅट स्टोर्नेटा द्वारा की गई थी। पहली बार इस तकनीक का उपयोग 2009 में क्रिप्टो करेंसी बिटक्वाइन के लेनदेन में किया गया था। फर्जी जाति प्रमाणपत्रों पर रोकथाम लगाने के लिए यह प्रणाली काफी फायदेमंद साबित हो सकती है।
कहां हो सकता है इसका उपयोग?
ब्लॉकचेन प्रणाली का उपयोग महत्वपूर्ण विभिन्न कार्यों में किया जा सकता है। जिसमें प्रमुखता से सूचना प्रौद्योगिकी और डाटा प्रबंधन, सरकारी योजनाओं का लेखा-जोखा, सब्सिडी वितरण, कानूनी कागजात रखने, बैंकिंग और बीमा, भू-रिकॉर्ड विनियमन, डिजिटल पहचान और प्रमाणीकरण, स्वास्थ्य के आंकड़े, साइबर सुरक्षा, ई-गवर्नेंस, शैक्षणिक जानकारी, ई–वोटिंग, जाति प्रमाणपत्रों का प्रमाणीकरण आदि में किया जा सकता है।
प्रशासन के कार्यों में सुलभता लाने ब्लॉकचेन लाभदायी
-हालांकि वर्तमान में सभी प्रकार के कार्य ऑनलाइन हो चुके हैं। इसके बावजूद फर्जीवाड़े के मामले आए दिन उजागर हो रहे हैं। ब्लॉकचेन की मदद से इस तरह के फर्जीवाड़े को जड़ से मिटाया जा सकेगा। गड़चिरोली जिले में इस प्रणाली का उपयोग सर्वप्रथम जाति प्रमाणपत्रों के प्रमाणीकरण के लिए किया जा रहा है। धीरे-धीरे प्रशासन के सभी कार्यों में सुलभता लाने इस प्रणाली का उपयोग होगा। यह प्रणाली प्रशासन के लिए लाभदायी साबित होगी।
-दीपेंद्रसिंह कुशवाह, सीईओ, महाराष्ट्र राज्य नाविन्यता सोसाइटी
फर्जी लाभार्थियों पर लगेगा ब्रेक
वर्तमान में किसी भी प्रकार के दस्तावेजों के साथ गडबड़ी कर लाभार्थी सरकारी योजनाओं का लाभ उठा रहे हैं, लेकिन ब्लॉकचेन जाति प्रमाणपत्र बनने के बाद इस तरह की गड़बडी पूरी तरह बंद होगी। पात्र लाभार्थी को ही सरकारी योजनाओं का लाभ मिलेगा। -शुभम गुप्ता, सहायक जिलाधिकारी, एटापल्ली उपविभाग
Created On :   9 April 2022 5:58 PM IST