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12 साल की बच्ची की दोनों आंखों में मोतियाबिंद, रेडक्रास सोसयटी द्वारा हो रहा इलाज
डिजिटल डेस्क, सिंगरौली (वैढऩ)। यहां चल रहे नेत्ररोग शिविर में एक 12 साल की लड़की की दोनों आंखों में मोतियाबिंद देखकर डॉक्टर भी चौंक गए और पूरी टीम ने इस मरीज का परीक्षण किया। मोतियाबिंद कंफर्म होने पर इस लड़की को इलाज के लिए चित्रकूट चिकित्सालय भेज दिया गया। यह मासूम बच्ची बरगवां के घरसड़ा ग्राम निवासी दादेराम बसोर की 12 वर्ष की पुत्री मनीषा बसोर है जो अभी कक्षा 5वीं की पढ़ाई कर रही है। उसे स्कूल जाना और पढऩा काफी पसंद है लेकिन करीब 5-6 माह पहले उसकी आंखों की रोशनी धीरे-धीरे कम होने लगी और अब तो उसे बांई आंख से काफी कम दिखने लगा। अपनी लाडली की आंखो की रोशनी जाती देखकर उसके माता-पिता खासे चिंतित हो उठे। कहीं देर न हो जाए, इस डर से मनीषा का इलाज कराने का प्रयास भी उसके पिता ने किया था, लेकिन गरीबी के आलम में अपनी पत्नी, दो पुत्र व दो पुत्रियों के साथ जैसे-तैसे गुजर बसर करते दादेराम की आर्थिक स्थिति इतनी मजबूत नहीं थी कि मोतियाबिंद का इलाज करा पाता।
चौंक गए डॉक्टर
शिविर में मनीषा के आंख की जांच पहले जिला अस्पताल के आई डिपार्टमेंट के डिस्ट्रिक प्रोग्रामिंग ऑफीसर जेपी तिवारी ने की और वह यह देखकर दंग रह गए। उन्होंने तत्काल शिविर में नेत्र परीक्षण करने चित्रकूट से आए सदगुरू नेत्र चिकित्सालय के विशेषज्ञों से मनीषा के आंख की जांच कराई और मोतियाबिंद का केस की पुष्टि हुई। इसी बीच कलेक्टर व रेडक्रास सोसायटी के अध्यक्ष अनुराग चौधरी भी जायजा लेने शिविर में पहुंचे। उन्हें भी मनीषा के केस की जानकारी देकर उसकी आंख दिखायी गई और उसे देखकर वह भी चौक उठे। उन्होंने बच्ची का इलाज कराने का तत्काल निर्देश दिया।
क्या कहते हैं डॉक्टर
नेत्ररोग विशेषज्ञ डा. राहुल शुक्ला के अनुसार बच्चों में मोतियाबिंद का कारण , कुपोषण शारीरिक क्षमता में कमी वंशानुगत आदि हो सकता है। यह अभी तक पांच हजार बच्चों में एक में पाया गया है किंतु धीरे - धारे यह अनुपात बढ़ता जा रहा है।
Created On :   27 Sep 2018 1:26 PM GMT