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राज्य के 542 पुलिस स्टेशनों में नहीं लग सके हैं सीसीटीवी कैमरे

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने राज्य भर के पुलिस स्टेशनों में सीसीटीवी कैमरे की स्थिति को लेकर राज्य सरकार की ओर से पेश की गई रिपोर्ट पर नाराजगी जाहिर की है। इससे पहले कोर्ट ने सरकार की रिपोर्ट पर गौर करने के बाद पाया कि राज्यभर के 1089 पुलिस स्टेशनों में से 547 पुलिस स्टेशनों में 6092 कैमरे लगे हैं। जिसमें से 5639 कैमरे कार्यरत है। जबकि 453 कैमरे बंद है। यानि राज्य के 542 पुलिस स्टेशन में सीसीटीवी कैमरे नहीं लग सके हैं।
हाईकोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि वह एक रिपोर्ट के जरिए हमे बताए कि राज्य के कितने पुलिस स्टेशनों के सीसीटीवी कैमरे बंद है और कितने के सक्रिय हैं। इसके तहत राज्य सरकार ने हलफनामे के रुप में मंगलवार को न्यायमूर्ति एसजे काथावाला व न्यायमूर्ति मिलिंद जाधव की खंडपीठ के सामने एक रिपोर्ट पेश की। जिसे देखने के बाद खंडपीठ ने नाराजगी जाहिर की। खंडपीठ ने कहा कि हमे नहीं पता है कि राज्य सरकार की ओर से सीसीटीवी को लेकर जारी 60 करोड़ रुपए की निधि का क्या हुआ। खंडपीठ ने कहा कि क्या हमे सरकार के प्रशासन को चलाना पड़ेगा और उन्हें कोई बात बार-बार सीखनी पड़ेगी।
खंडपीठ ने कहा कि इस मामले को लेकर कोर्ट के आदेश के बाद रिपोर्ट तैयार की गई है। सरकार ने इस मामले को लेकर जो परिपत्र जारी किया है। उसमें सिर्फ कोर्ट के आदेश का उल्लेख किया गया है। खंडपीठ ने कहा कि आम आदमी यह सोचकर पुलिस स्टेशन जाता है कि वहां पर सीसीटीवी कैमरे लगाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन हुआ होगा लेकिन वास्तव में स्थिति कुछ और है। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पाया कि इस मामले में अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजीपी) ने मामले में जो निर्देश दिए है उसमे कुछ नया नहीं है।
कोर्ट के आदेश के बाद ही करते हैं काम
खंडपीठ ने अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक द्वारा नियोजन व समन्वय कमेटी की रिपोर्ट न पेश करने पर भी नाराजगी जाहिर की। खंडपीठ ने कहा कि सरकार का नियोजन व समन्वय से जुड़ा विभाग सिर्फ कोर्ट के आदेश के बाद ही काम करता है। इस दौरान खंडपीठ ने कहा कि हम जानना चाहते हैं कि सरकार हर पुलिस स्टेशन में सीसीटीवी कैमरे लगाने के लिए आवंटित 6-6 लाख रुपए की निधी कैसे खर्च कर रही है।
मैंने तो सिर्फ 35 हजार में लगवाए हैं सीसीटीवी कैमरे
इस दौरान न्यायमूर्ति काथावाला ने प्रसंगवश कहा कि मैंने अपने पूरे घर में सीसीटीवी कैमरा लगाया है लेकिन इसमें सिर्फ 35 हजार रुपए का खर्च आया है। खंडपीठ ने कहा कि पुलिस नहीं चाहती है कि कुछ रिकार्ड हो। वे कोर्ट व किसी प्राधिकरण को कुछ दिखाना भी नहीं चाहते हैं। खंडपीठ ने कहा कि पुलिस नहीं चाहती की अदालत जान सके की 60 करोड़ रुपए कहां गए। खंडपीठ ने अब इस य़ाचिका पर 21 फरवरी को सुनवाई रखी है और राज्य के महाधिवक्ता को पैरवी के लिए बुलाया है। कोर्ट ने नाशिक के एक पुलिस स्टेशन का सीसीटीवी कैमरा बंद होने की बात को जानने के बाद सरकार से रिपोर्ट मंगाई थी।
Created On :   15 Feb 2022 7:31 PM IST