लाइसेंसी बंदूक धारकों पर केंद्र ने कसी लगाम, हाईकोर्ट पहुंचा मामला

Center tightens on licensee gun holders, case reached High Court
लाइसेंसी बंदूक धारकों पर केंद्र ने कसी लगाम, हाईकोर्ट पहुंचा मामला
लाइसेंसी बंदूक धारकों पर केंद्र ने कसी लगाम, हाईकोर्ट पहुंचा मामला

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने चार्टर्ड अकाउंटेंट और नागपुर डिस्ट्रिक्ट राइफल एसोसिएशन के सदस्य मोहम्मद अरिशुद्दीन को राहत प्रदान की है। हाईकोर्ट ने गृह मंत्रालय के अतिरिक्त मुख्य सचिव के 7 जुलाई के उस आदेश पर अंतरिम स्थगन लगाया है, जिसमें मंत्रालय ने याचिकाकर्ता को उनकी बंदूक 7 दिन में बेचने के आदेश दिए थे। दरअसल यह सारा विवाद वर्ष 2019 में आर्म्स एक्ट में हुए संशोधन के बाद हुआ, जिसके तहत केंद्र सरकार ने शूटिंग स्पोर्ट प्रेमियों को बंदूके रखने की छूट में कटौती कर दी, राइफल क्लब के सदस्यों को भी नाममात्र छूट ही मिली। जिस पर आपत्ति लेते हुए याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। हाल ही में हुई सुनवाई में याचिकाकर्ता का पक्ष सुनकर हाईकोर्ट ने प्रतिवादी केंद्र सरकार, अटर्नी जनरल, प्रदेश गृह मंत्रालय, नागपुर पुलिस आयुक्त को नोटिस जारी कर 4 सप्ताह में जवाब मांगा है। याचिकाकर्ता की ओर से एड. फिरदौस मिर्जा ने पक्ष रखा।

याचिकाकर्ता के अनुसार उन्हें शूटिंग स्पोर्ट में काफी रुचि है और विविध शूटिंग प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने के लिए उन्होंने लाइसेंसी बंदूकें खरीद रखी हैं। इसमें  0.32 बोर की पिस्टल, 30.06 बोर की राइफल और 0.22 बोर की रिवॉल्वर शामिल है। वर्ष 2019 तक आर्म्स एक्ट 1959 सेक्शन 3 के अनुसार एक व्यक्ति को अधिकतम 3 बंदूकें रखने की अनुमति थी, राइफल क्लब के सदस्यों को अतिरिक्त राहत थी। लेकिन फिर 2019 में केंद्र सरकार ने इस अधिनियम में संशोधन करके यह फरमान जारी कर दिया कि एक व्यक्ति अधिकतम 2 लाइसेंसी बंदूकें ही रख सकता है।

 अतिरिक्त बंदूक उसे बेचनी या नजदीकी पुलिस थाने में जमा करानी होगी। इसमें राइफल क्लब या एसोसिएशन के सदस्यों को सिर्फ इतनी छूट मिली कि वे चाहे तो टार्गेट प्रैक्टिस के लिए 0.22 बोर की एक बंदूक रख सकते हैं। अन्य बोर की बंदूकों से प्रैक्टिस करने वालों की छूट खत्म कर दी गई। इसी संशोधन के तहत 7 जुलाई को गृह मंत्रालय की ओर से उन्हें अपनी एक अतिरिक्त बंदूक बेचने के आदेश जारी हुए। उन्होंने इस संबंध में पुलिस आयुक्त को निवेदन भी सौंपा, पर कोई हल नहीं निकला। जिसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट की शरण ली है।

Created On :   22 July 2020 10:13 AM GMT

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