बीमा सुरक्षा योजना में केंद्र व राज्य सरकार अपने हिस्से का नहीं भुगतान नही कर रही

Central and state government are not paying their share in insurance protection scheme
बीमा सुरक्षा योजना में केंद्र व राज्य सरकार अपने हिस्से का नहीं भुगतान नही कर रही
कोर्ट ने बीमा कंपनी को दी राहत बीमा सुरक्षा योजना में केंद्र व राज्य सरकार अपने हिस्से का नहीं भुगतान नही कर रही

डिजिटल डेस्क, मुंबई। प्राकृतिक आपदा से होनेवाले नुकसान से किसानों को बचाने के लिए बनाई गई बीमा सुरक्षा योजना के तहत केंद्र व राज्य सरकार बीमा कंपनी को अपने हिस्से की राशि का भुगतान नहीं कर रही है। किसानों को बीमा सुरक्षा देनेवाली इफ्को टोकियो जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड ने बांबे हाईकोर्ट में यह खुलासा किया है। अंशदान के भुगातन से जुड़ी सरकार की बेरुखी के कारण बीमा कंपनी नैसर्गिक आपदा से प्रभावित किसानों को बीमा सुरक्षा राशि का वितरण करने में वित्तीय कठिनाई महसूस कर रही है। इस बात को जानने के बाद हाईकोर्ट ने राज्य व केंद्र सरकार को बीमा कंपनी के खिलाफ कार्रवाई करने से रोक दिया है बशर्ते बीमा कंपनी दो सप्ताह में 50 करोड़ रुपए कोर्ट में जमा करे।  

कंपनी की याचिका के मुताबिक प्रकृति में होनेवाले प्रत्याशित बदलवो व प्राकृतित आपदा की स्थिति में किसानों को होनेवाले नुकसान की भरपायी प्रदान करने के लिए त्रिपक्षीय बीमा सुरक्षा योजना तैयार की गई है। इसके तहत  किसानों को दी जानेवाली बीमा सुरक्षा  राशि का एक हिस्सा बीमा कंपनी देगी,एक हिस्सा केंद्र सरकार व एक हिस्सा राज्य सरकार देगी। याचिका में दावा किया गया है कि केंद्र व राज्य सरकार बीमा कवर राशि के अपने हिस्से का अंशदान नहीं दे रही है। और बीमा कंपनियों को अकेले किसानों को भुगतान करने के लिए छोड़ दिया गया  है। यहीं नहीं राज्य सरकार ने 15 दिसंबर 2021 तक बीमा कंपनियों को निर्देश दिया है कि वे किसानो को बीमा सुरक्षा राशि का 20 दिसंबर 2021 तक भुगतान करे और इसकी रिपोर्ट संबंधित विभाग के पास जमा करे अन्यथा उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। 

याचिकाकर्ता बीमा कंपनी अब तक किसानों को 403 करोड़ रुपए का भुगतान कर चुकी है। जबकि 156.36 करोड़ रुपए का भुगतान किया जाना बाकी है। बीमा कंपनी की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता रोहन कामा ने कहा कि त्रिपक्षीय व्यवस्था के तहत केंद्र व राज्य सरकार को भी अपना अंशदान देना चाहिए लेकिन वे ऐसा नहीं कर रहे। ऐसे में अकेले मेरे मुवक्किल को सारी रकम का भुगतान करने के लिए कहना उचित नहीं है। मेरे मुवक्किल की तरह दूसरी बीमा कंपनियां भी इसी तरह की परेशानी का सामना कर रही है। उन्होंने कहा कि फिलहाल हमारे मुवक्किल को राज्य सरकार की कार्रवाई से अंतरिम राहत प्रदान की जाए। सरकारी वकील मिलिंद मोरे ने कहा कि बीमा कंपनी की ओर से राशि के संबंध में जो आकड़े पेश किए गए वे राज्य सरकार के रिकार्ड से मेल नहीं खाते है। इसमें काफी भिन्नता है। इसलिए उन्हें जवाब देने के लिए वक्त किया जाए। 

न्यायमूर्ति प्रशांत वैराले व न्यायमूर्ति एसएम मोडक की खंडपीठ ने मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद कहा कि फिलहाल हम बीमा की रकम को लेकर विवादित तथ्यों पर विचार नहीं करेंगे। लेकिन जब बीमा सुरक्षा योजना में तीन पक्षकार है तो सिर्फ एक जन को राशि का भुगतान करने के लिए कहना अनुचित है। और भुगतान न करने पर कार्रवाई की बात करना अन्यायपूर्ण है। चूंकि यह योजना प्राकृतिक आपदा के चलते नुकसान झेलनेवाले किसानों के लिए बनाई गई है। इसलिए यदि किसानों को समय पर मदद नहीं मिलेगी तो योजना का उद्देश्य कुंठित हो जाएगा। इसलिए बीमा कंपनी कोर्ट में दो सप्ताह में 50 करोड़ रुपए जमा करें। इस राशि के जमा करने के बाद राज्य व केंद्र सरकार बीमा कंपनी के खिलाफ कार्रवाई न करे। खंडपीठ ने केंद्र व राज्य सरकार को इस मामले में जवाब देने को कहा है और याचिका पर सुनवाई 27 जनवरी 2022 को रखी है। 
 

Created On :   24 Dec 2021 7:20 PM IST

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