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सेंट्रल जीएसटी इंस्पेक्टरों को नहीं मिल रहा ऑल इंडिया स्तर पर वरीयता का लाभ

डिजिटल डेस्क, नागपुर। सेंट्रल जीएसटी में इंस्पेक्टरों की परीक्षा ऑल इंडिया स्तर पर होती है। इनका चयन राष्ट्रीय स्तर पर मेरीट के आधार पर होने के बाद इन्हें पोस्टिंग दी जाती है। परीक्षा व चयन के मापदंड का पैमाना ऑल इंडिया स्तर पर होने के बावजूद इन्हें वरीयता का लाभ ऑल इंडिया स्तर पर नहीं मिलता। सेंट्रल जीएसटी, एक्साइज एण्ड कस्टम में इंस्पेक्टरों के सबसे ज्यादा पद हैं।
सेंट्रल जीएसटी में स्टाफ सिलेक्शन के माध्यम से इंस्पेक्टरों के लिए परीक्षा ली जाती है। यह परीक्षा आल इंडिया स्तर पर होने से इसमें देश भर के उम्मीदवार परीक्षा देते है। परीक्षा उत्तीर्ण होने के बाद आल इंडिया स्तर पर मेरीट के आधार पर इनका चयन किया जाता है। चयन होने के बाद इन्हें देश भर में पोस्टेट (नियुक्त) किया जाता है। इसके बाद जोनल स्तर पर वरीयता मानकर इन्हें प्रमोशन दिया जाता है। देश के कुछ राज्यों में उद्योग बहुत है, तो कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां उद्योग बहुत कम है। जोनल स्तर पर वरीयता व प्रमोशन का पैमाना होने से एक साथी को प्रमोशन मिलता है, तो दूसरे को प्रमोशन नहीं मिल पाता।
जिन राज्यों में उद्योग ज्यादा है, वहां पदोन्नति के अवसर ज्यादा निर्माण होते है। इसका सीध असर इंस्पेक्टरों की मानसिकता पर होता है। पोस्टिंग होने के बाद जोन से बाहर तबादला नहीं किया जाता। इंस्पेक्टर चाहकर भी अपने पैतृक राज्य या मनपसंद जगह पर पोस्टेड नहीं हो सकता। ट्रांसफर एक्सचेंज की सुविधा भी खत्म कर दी गई। पहले दो जोन के इंस्पेक्टर अपना ट्रांसफर आपस में साझा कर सकते थे। अब यह सुविधा भी खत्म होने से जिसका चयन जहां हुआ वह उस जोन से बाहर निकल नहीं सकता। इसका सबसे ज्यादा असर महिला इंस्पेक्टरों पर हो रहा है। अगर किसी महिला का विवाह जोन के बाहर के एरिया में हुआ तो उसके सामने कई सवाल खड़े हो जाते है।
सीबीआईटी के पाले में गेंद
सेंट्रल जीएसटी के एससी, एसटी एम्प्लाइज वेल्फेयर आर्गेनाईजेशन के अध्यक्ष संजय थुल ने सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्सेस एण्ड कस्टम्स (सीबीआईटी) को पत्र लिखकर इस समस्या का समाधान करने का अनुरोध किया है। इनका कहना है कि जिन महिलाओं का विवाह नौकरी लगने के बाद होगा, वह चाहकर भी अपने महीने-महीने नहीं जा सकती। इसी तरह परीक्षा व पोस्टिंग ऑल इंडिया स्तर पर होती है, तो प्रमोश भी ऑल इंडिया स्तर पर ही मिलने चाहिए। सीबीआईडी के चेयरमैन को पत्र लिखकर इस संबंध में जानकारी दी गई है। अब गेंद सीबीआईडी के पाले में है। इस संबंध में निती निर्धारित करने का अधिकार सीबीआईटी को है।
Created On :   24 Feb 2019 7:23 PM IST