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बच्चों के दिल की हिफाजत के लिए गाते हैं CEO, मदद के लिए संगीत का सहारा

डिजिटल डेस्क, मुंबई। मुख्य कार्यकारी अधिकारी यानी CEO शब्द सुनने के बाद दिमाग में सिर्फ फाइलों में उलझे, मीटिंगों में व्यस्त लोगों का खयाल दिमाग में आता है। लेकिन बड़ी-बड़ी कंपनियों के फैसले लेने वाले इन्हीं अधिकारियों को लोगों ने झूमते गाते सुना वह भी जरूरतमंद बच्चों की मदद के लिए। इस तरह के कार्यक्रमों के जरिए पैसे जुटा कर अब तक 1500 से ज्यादा दिल की बीमारी से जूझ रहे गरीब बच्चों की मदद की जा चुकी है।
अधिकारियों की गायन प्रतिभा से मनोरंजन और गरीब बच्चों की मदद का यह काम 2010 में शुरू हुआ था। इसके बाद बीमारी से जूझ रहे बच्चों की मदद से लिए काम करने वाली संस्था जेनेसिस फाउंडेशन इस तरह के 21 कार्यक्रमों का आयोजन कर चुकी है। संस्था हर साल मुंबई, दिल्ली और बंगलोर में इस तरह के कार्यक्रम करती है। संस्था से जुड़ी सरोज गुप्ता ने बताया कि कंपनियों के अधिकारी इस नेक काम के लिए दान देते हैं साथ ही संगीत के जरिए लोगों का मनोरंजन भी करते हैं। कार्यक्रम देखने पहुंचने वाले भी आर्थिक मदद देते हैं। संस्था ऐसे परिवारों की आर्थिक मदद करती है जिनकी आय 10 हजार से कम है और जिनके बच्चे दिल की बीमारी से जूझ रहे हैं। संस्था ऑपरेशन से जुड़ा सारा खर्च उठाती है।
संगीत से जरूरतमंदों को सहारा
शनिवार को मुंबई के आईटीसी ग्रैंड सेंट्रल होटल में आयोजित कार्यक्रम में 10 से ज्यादा सीईओ ने संगीत से जुड़ी अपनी प्रतिभा के जरिए गरीब बच्चों की मदद के लिए कार्यक्रम किया। अधिकारियों ने बालीवुड के नए पुराने और अंग्रेजी गानों के जरिए लोगों का खूब मनोरंजन किया। कार्यक्रम में कैपिटल फर्स्ट के चेयरमैन वी वैद्यनाथन, रिच ग्रेविस प्रोडक्ट्स के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर व सीईओ पंकज चतुर्वेदी, आईटीसी ग्रैंड सेंट्रल की जनरल मैनेजर केरमन ललकाका समेत कई अधिकारियों ने संगीत से जुड़ी अपनी प्रतिभा दिखाई। ओरेकल कार्पोरेट सिटिजनशिप इंडिया के सीनियर मैनेजर राजेंद्र त्रिपाठी के मुताबिक सामाजिक संस्था और सीईओ का यह मिलाप बेहद नायाब है। संस्था से जुड़कर गरीब बच्चों की मदद करना बेहद अच्छा लगता है।
बेटा खोने के बाद की शुरूआत
जेनेसिस फाउंडेशन के संस्थापकों प्रेमा और ज्योति सागर के बेटे समीर की मौत दिल की बीमारी के चलते हुई थी। आर्थिक स्थिति अच्छी होने के बावजूद सही समय पर बीमारी का पता न चलने के कारण बच्चे की मौत हुई। इसके बाद दोनों ने दिल की बीमारी से जूझ रहे गरीब बच्चों को बचाने की पहल शुरू की। ज्योति सागर के मुताबिक अभी दिल की गंभीर बीमारियों से जूझ रहे कई गरीब परिवारों की बच्चे मदद की राह देख रहे हैं। जिस तरह लोग मदद के लिए आगे आ रहे हैं उससे उम्मीद की किरण नजर आ रही है। जेनेसिस फाउंडेशन के कर्मचारियों से जुड़ा सारा खर्च सागर दंपति खुद उठाता है और मिलने वाली सारी आर्थिक मदद बच्चों के इलाज में खर्च की जाती है।
Created On :   2 July 2018 1:13 AM IST