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उद्धव ठाकरे को श्रेय लेते नहीं देखना चाहते चव्हाणः मेटे

डिजिटल डेस्क, मुंबई। मराठा आरक्षण को लेकर दिल्ली की बैठक में आमंत्रित नहीं किए जाने से नाराज शिवसंग्राम के अध्यक्ष विनायक मेटे ने प्रदेश के सार्वजनिक निर्माण कार्य (पीडब्ल्यूडी) मंत्री तथा मराठा आरक्षण उपसमिति के अध्यक्ष अशोक चव्हाण पर मनमानी करने का आरोप लगाया है। उन्होंने चव्हाण को मराठा आरक्षण उपसमिति के अध्यक्ष पद से हटाने की मांग दोहराई है।
सोमवार को मुंबई मराठी पत्रकार संघ में पत्रकारों से बातचीत में मेटे ने कहा कि चव्हाण नहीं चाहते हैं कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की पहल से मराठा आरक्षण की लड़ाई का समाधान निकले। वे मुख्यमंत्री को बदनाम करने और विफल साबित करने में लगे हुए हैं। मेटे ने कहा कि मुख्यमंत्री मराठा आरक्षण की लड़ाई में सकारात्मक नजर आते हैं। लेकिन चव्हाण मुख्यमंत्री को मराठा आरक्षण के मामले से जानबूझकर दूर रखते हैं। मुख्यमंत्री को इस मामले की सही जानकारी नहीं देते। उन्होंने कहा कि मराठा आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट में 25 जनवरी से सुनवाई शुरू होगी। चव्हाण ने इस सुनवाई को लेकर रणनीति तैयार करने के लिए सोमवार को दिल्ली में बैठक की। लेकिन इस बैठक में मराठा आरक्षण के लिए अदालत में निजी याचिका दायर करने वाले संगठनों के प्रतिनिधियों और उनके वकीलों को नहीं बुलाया गया। जबकि मुख्यमंत्री ने बीते 7 जनवरी की बैठक में सभी संगठनों को विश्वास में लेकर फैसला करने को कहा था। लेकिन चव्हाण ने मराठा समाज के कई लोगों को जानबूझकर दूर रखा।
मेटे ने कहा कि मुख्यमंत्री ने प्रदेश के परिवहन मंत्री अनिल परब को मराठा आरक्षण को लेकर विभिन्न संगठनों से तालमेल की जिम्मेदारी दी थी लेकिन परब से हम लोग रविवार से संपर्क कर रहे हैं लेकिन वे हमसे संपर्क टाल रहे हैं। मेटे ने कहा कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष तथा राज्य के राजस्व मंत्री बालासाहब थोरात स्पष्ट करें कि चव्हाण की मराठा आरक्षण की भूमिका व्यक्तिगत है अथवा यह पार्टी की भूमिका है। मेटे ने कहा कि मुख्यमंत्री चव्हाण को मराठा आरक्षण उपसमिति के अध्यक्ष पद से तत्काल हटाएं। यदि मुख्यमंत्री ने चव्हाण को नहीं हटाया और आरक्षण को लेकर कोई निराशजनक फैसला आता है तो इसकी जिम्मेदारी चव्हाण और सरकार की होगी।
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ध्यान रखें की प्रॉपर्टी RERA अप्रूव्ड हो
कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने से पहले इस बात का ध्यान रखे कि वो भारतीय रियल एस्टेट इंडस्ट्री के रेगुलेटर RERA से अप्रूव्ड हो। रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवेलपमेंट एक्ट, 2016 (RERA) को भारतीय संसद ने पास किया था। RERA का मकसद प्रॉपर्टी खरीदारों के हितों की रक्षा करना और रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देना है। राज्य सभा ने RERA को 10 मार्च और लोकसभा ने 15 मार्च, 2016 को किया था। 1 मई, 2016 को यह लागू हो गया। 92 में से 59 सेक्शंस 1 मई, 2016 और बाकी 1 मई, 2017 को अस्तित्व में आए। 6 महीने के भीतर केंद्र व राज्य सरकारों को अपने नियमों को केंद्रीय कानून के तहत नोटिफाई करना था।