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हवा में घुला वेरिसेला वायरस, फैला रहा चिकन पॉक्स
डिजिटल डेस्क छिंदवाड़ा। गर्म हवाओं में चिकन पॉक्स फैलाने वाले वायरस वेरिसेला जोस्टर घुल गया है। सांस के जरिए शरीर में प्रवेश कर वायरस संक्रमण फैला रहा है। इस वायरस की चपेट में आने वाले मरीजों की जिला अस्पताल में कतार लगी हुई है। वायरस से पीडि़त मरीजों में बच्चों की संख्या अधिक है। शिशु रोग विशेषज्ञों का कहना है कि बीते 15 दिनों से अचानक चिकन पॉक्स के मरीजों में इजाफा हुआ है। रोजाना अस्पताल में 8 से 10 बच्चों को चिकन पॉक्स का इलाज दिया जा रहा है। गर्मी के दिनों में अक्सर वेरिसेला जोस्टर वायरस सक्रिय हो जाता है। चिकन पॉक्स पीडि़त मरीजों का समय पर इलाज करना चाहिए वरना संक्रमण घातक रूप ले सकता है। हालांकि इस वायरस का असर मरीज के शरीर पर लगभग 10 से 15 दिन तक रहता है।
चिकन पॉक्स संक्रामक बीमारी
चिकन पॉक्स एक संक्रामक बीमारी है। जिसके वायरस खांसने-छींकने से फैलते है। संक्रमित मरीज से सामान्य लोगों को कम से कम छह फीट की दूर रहना चाहिए। मरीज का बिस्तर और कपड़े भी अलग रखना चाहिए। कपड़ों में लगे वायरस से भी सामान्य मरीज इसकी चपेट में आ सकते हैं।
चिकन पॉक्स के लक्षण
चिकन पॉक्स के वायरस से संक्रमित मरीज के शरीर में लाल-गुलाबी द्रव युक्त दाने आना, सिरदर्द, बदनदर्द, बुखार, कमजोरी, भोजन में अरुचि, गले में सूखापन और खांसी आदि की समस्या होती है। ऐसी स्थिति में मरीज को चिकित्सकीय इलाज कराना जरुरी है।
दवाएं न लेने का दुष्परिणाम
अधिकांश मरीज चिकन पॉक्स होने पर दवाएं नहीं लेते या समय पर इलाज नहीं कराते। जिसके शरीर में कई प्रकार के दुष्परिणाम होने की संभावना होती है। कुछ प्रकरणों में देखा गया है कि बच्चों में निमोनिया, मस्तिष्क में सूजन, ब्लडिंग होना, ब्लड में संक्रमण और निर्जलीकरण की समस्या आती है।
क्या कहते हैं चिकित्सक
चिकन पॉक्स के लक्षण दिखाई देने पर मरीज को चिकित्सकीय इलाज जरुर कराना चाहिए। गर्मी के दिनों में वेरिसेला जोस्टर वायरस संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ जाती है। अस्पताल में चिकन पॉक्स पीडि़त बच्चे रोजाना पहुंच रहे है।
-डॉ. हितेश रामटेके, शिशु रोग विशेषज्ञ
Created On :   23 May 2018 8:01 AM GMT