कोरोना संकट के बीच नागपुर जिले में बढ़ा बाल विवाह

Child marriage increased in Nagpur district amid Corona crisis
कोरोना संकट के बीच नागपुर जिले में बढ़ा बाल विवाह
कोरोना संकट के बीच नागपुर जिले में बढ़ा बाल विवाह

डिजिटल डेस्क, नागपुर । भले ही आज बेटा-बेटी में अंतर की बात को नकारा जाता है, बावजूद इसके शहर में बाल विवाह के मामले बढ़ रहे हैं।  मार्च 2020 से अब तक शहर और ग्रामीण में 17 बाल विवाह के मामले आए, लेकिन महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा इन विवाहों को रोका गया है। खास बात यह है कि यह मामले तो विभाग की नजरों में आ गए या किसी ने शिकायत की तो सामने आए, जबकि इससे कई गुना मामले विभाग के सामने नहीं आते। परिजनों द्वारा बाल विवाह का कारण  कोरोना महामारी को भी बताया जा रहा है। कोरोना महामारी के चलते कई परिवार आर्थिक रूप से कमजोर हो गए। लाखों लोगों की नौकरियां चली गईं।  ऐसे में विवाह उनके लिए जीवन में आगे बढ़ने का सबसे सहज विकल्प है। पिछले वर्ष  शहर में बाल विवाह के 3 और ग्रामीण में 14 मामले सामने आए। सामाजिक विभाग बाल कल्याण सुरक्षा विभाग द्वारा इन बाल विवाह को रोकने में मदद मिली है। इन मामलों में बाल विवाह प्रतिबंधात्मक कानून अधिनियम 2006 के तहत कार्रवाई भी की गई। 

15 वर्ष की किशोरी का विवाह 26 वर्ष के युवक के साथ
6 जनवरी 2021  को लष्करीबाग का एक मामला सामने आया था। जिसमें लाॅकडाउन में 15 वर्षीय लड़की अपनी दादी के घर लष्करीबाग रहने आई थी। लड़की के साथ उसका 12 वर्षीय भाई भी आया था। लड़की के अभिभावक नहीं होने की जानकारी सामने आई थी। दादी ने नाबालिग लड़की का विवाह दिल्ली के 26 वर्षीय युवक के साथ तय कर दिया था। विवाह 6 जनवरी को लष्करीबाग में दादी के  निवास स्थान में होना तय हुआ। विवाह के लिए कार्ड भी छपवाए गए थे। इस बात की जानकारी विभाग को मिलते ही उन पर कार्रवाई कर बाल विवाह रोका गया। 

सभागृह में होने जा रहे विवाह को रोका
28 सितंबर 2020 को कामठी के इमलीबाग में बाल विवाह का मामला सामने आया था। जिसमें नाबालिग लड़की का विवाह एक युवक के साथ तय किया गया था। विवाह में लड़की और लड़के दोनों के अभिभावक शामिल थे। कामठी के इमलीबाग के सभागृह में विवाह होने ही जा रहा था, कि महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा कार्यवाही बाल विवाह को रोका गया। दोनों पक्षों पर बाल विवाह प्रतिबंध कायदा 2006 के तहत कार्रवाई कर बाल विवाह को रोका गया था। वधू के आयु के लिए प्रमाणपत्र मांगे गए थे, जिसमें लड़की नाबालिग होने की बात सामने आई थी। कार्रवाई के पश्चात दोनों पक्षों को समझाइश दी गई। 

जल्द शादी और जल्द मौत के बीच भी सीधा संबंध 
यूनिसेफ की रिपोर्ट में बताया गया है कि दुनियाभर में लगभग 65 करोड़ लड़कियों और महिलाओं का विवाह बचपन में हुआ। इनमें से आधी संख्या बांग्लादेश, ब्राजील, इथोपिया, भारत और नाइजीरिया में है। दुनिया की तीन में से एक बाल वधू भारत में रहती है। एक रिपोर्ट के अनुसार  बच्चों की जल्दी शादी करने और युवावस्था में होने वाली मौत के बीच भी सीधा संबंध है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार  विकासशील देशों में 15 से 19 वर्ष की लड़कियों में गर्भावस्था की जटिलताएं और प्रसव उनकी जल्द मृत्यु का प्रमुख कारण है। बालवधुओं के बच्चों में शिशु मृत्यु दर का खतरा भी अधिक होता है

बालिका का जन्मतिथि प्रमाण-पत्र मांगने पर की आनाकानी
24 मई 2021 चाइल्ड लाइन को गुप्त जानकारी मिली कि उमरेड रोड पर एक 16 वर्षीय किशोरी का बाल विवाह होने जा रहा था। बाल विवाह 25 मई को उमरेड रोड पर होने वाला था। मामले में जब विभाग द्वारा किशोरी के जन्मतिथि का प्रमाण-पत्र मांगा गया, तो उनके परिजन आनाकानी कर रहे थे। किशोरी के परिजन उसकी शादी न करें और उसका शिक्षण अधूरा न रह जाए, इसलिए बाल कल्याण समिति के आदेश पर उसे महिला बालगृह में भेज दिया गया। किशोरी के माता-पिता से पत्र लिखवाया गया कि वह अपनी बेटी की शादी 18 वर्ष के बाद ही करें। 

ये थे मामले, जहां हुई कार्रवाई
- 6 जून 2020 को कचीमेट मटकाझरी, तहसील उमरेड, जिला नागपुर
-13 जून 2020 तरोड़ी कोंढाली तहसील काटोल, जिला नागपुर
-9 जुलाई 2020 कामठी, जिला नागपुर
-28 सितंबर 2020 कामठी जिला, नागपुर
- 6 नवंबर 2020 वाही तहसील काटोल, जिला नागपुर
-6 जनवरी 2021 लष्करीबाग नागपुर
- 2 फरवरी 2021 वाकेश्वर तहसील मौदा, जिला नागपुर
- 6 मार्च 2021 पीठेसुर, जिला नागपुर
-  8 मार्च 2021 कोदामेंढी तहसील मौदा, जिला नागपुर
- 29 मार्च 2021 रविदासनगर तहसील कामठी, जिला नागपुर
- 6 अप्रैल 2021 वाही तहसील काटोल, जिला नागपुर
- 8 अप्रैल 2021 पांचगांव तहसील उमरेड, जिला नागपुर
-11 अप्रैल 2021  तहसील नरखेड़ जिला नागपुर
-15 अप्रैल 2021 पारडी, जिला नागपुर
-24 मई 2021 बजाज नगर नागपुर
-22 जून 2021 कुही तालुका, जिला नागपुर

कोरोना के चलते खराब आर्थिक स्थिति कारण
पिछले मार्च से अभी तक शहर और ग्रामीण मिलाकर 17 बाल विवाह रोके गए हैं। कार्यवाई के दौरान पर परिजनों से बाल विवाह का कारण पूछा गया, तो अधिकतर परिजनों ने कोरोना महामारी के चलते परिवार की आर्थिक खराब होना बताया। सूत्रों एवं बाल संरक्षण कक्ष  से विभाग को  बाल विवाह की जानकारी मिलते ही उन्हें रोका गया है। बाल विवाह करना एक अपराध है।  अभी तक जितने भी बाल विवाह रोके गए, उनमें लड़कियों की उम्र 18 से कम ही थी। ऐसे में विभाग द्वारा उन परिवारों को समझाइश देकर छोड़ा गया।  - मुश्ताक पठान, जिला बाल संरक्षण अधिकारी

जानकारी मिलते ही होती है कार्रवाई
महिला बाल विकास को जैसे ही सूचना मिलती है, घटनास्थल पर जाकर बाल प्रतिबंधात्मक  कानून अधिनियम 2006 के अंतर्गत रोकने की कार्रवाई की जाती है।  जिन बच्चियों का बाल विवाह रोका गया है, उन्हें शिक्षा व पुनर्वसन के लिए बाल कल्याण समिति के समक्ष ले जाया जाता है।  - अर्पणा कोल्हे, जिला महिला बाल विकास अधिकारी 


 

Created On :   13 July 2021 10:32 AM GMT

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