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बाल कल्याण कमेटी नहीं दे सकती गर्भपात की इजाजत

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बाल कल्याण कमेटी की बच्चों के हितों के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका है लेकिन यह कमेटी किसी को गर्भपात की अनुमति नहीं दे सकती है। बांबे हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में यह बात स्पष्ट की है। दरअसल हाईकोर्ट में एक नाबालिग दुष्कर्म पीड़ित मूक बधिर लड़की को 24 सप्ताह के भ्रूण के गर्भपात की इजाजत दिए जाने की मांग को लेकर याचिका दायर की गई थी। हाईकोर्ट ने मामले से जुड़े तथ्यों व मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट पर गौर करने के बाद पीड़िता को गर्भपात की इजाजत दे दी थी। लेकिन सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि इस मामले में ठाणे की बाल कल्याण कमेटी ने पहले पीड़ित लड़की को गर्भपात की अनुमति देने का आदेश जारी किया था।
इस पर न्यायमूर्ति उज्जल भूयान व न्यायमूर्ति माधव जामदार की खंडपीठ ने कहा कि इस मामले में पीड़ित बच्ची के प्रति बाल कल्याण कमेटी के रुख की सराहनीय है। कमेटी बच्चों के कल्याण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। लेकिन वह ऐसी अनुमति नहीं दे सकती है जिसके लिए उसे प्रधिकृत नहीं किया गया है। नियमानुसार सिर्फ हाईकोर्ट ही गर्भपात की अनुमति से जुड़े आवेदन पर सुनवाई कर सकती है। इसलिए बाल कल्याण कमेटी इस तरह के मामले में दखल देना अपेक्षित नहीं है। खंडपीठ ने कहा कि बाल न्याय कानून व पाक्सों कानून के तहत बाल कल्याण कमेटी बच्चों के हित को सुरक्षित करने में अह्म भूमिका निभाती है लेकिन गर्भपात की अनुमति से जुडे प्रकरण में वह दखल नहीं दे सकती है। कमेटी को सलाह है कि वह गर्भपात की अनुमति देने से जुड़े मामलों बचेें। खंडपीठ ने कहा कि विधि सेवा प्राधिकरण पीड़िता को मनोधैर्य योजना के तहत निर्धारित मुआवजा हासिल करने में सहयोग करे। ताकि उसे शीघ्रता से अंतरिम मुआवजा मिल सके। इस तरह खंडपीठ ने याचिका को समाप्त कर दिया।
Created On :   4 Sept 2021 7:34 PM IST